वाट्सएप और मैसेंजर कॉलिंग आतंकियों के लिए सस्ता और सुरक्षित विकल्प
पुलिस और खुफिया एजेंसियों को चकमा देने के लिए आतंकी अपने आकाओं और साथियों से बात करने के लिए वाट्सएप व मैसेंजर कॉलिंग का प्रयोग कर रहे हैं।
कानपुर (जेएनएन)। पुलिस और खुफिया एजेंसियों को चकमा देने के लिए आतंकी अपने आकाओं और साथियों से बात करने के लिए वाट्सएप व मैसेंजर कॉलिंग का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने अपने मोबाइल पर कुछ एप्लीकेशन भी डाउनलोड कर रखी हैं, जिनकी मदद से वीडियो कॉलिंग व कोडिंग में मैसेज किए जा रहे हैं। खुफिया टीमें इन एप्लीकेशन की जड़ें और इंटरनेट कॉलिंग के सर्वर से ब्योरा जुटाने की कोशिश कर रही है।
कमरुज्जमां को कई बार इंटरनेट कॉल
मोबाइल से सीधे कॉल करने की बजाए अपराधियों के लिए इंटरनेट कॉलिंग सस्ता और सुरक्षित विकल्प बन गया है। आतंकी और स्लीपर सेल इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। चकेरी में पकड़े गए हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमां उर्फ डा. हुरैरा उर्फ कमरुद्दीन के पास भी एटीएस को स्मार्ट फोन व दो सिमकार्ड मिले हैं जिनसे कई बार इंटरनेट कॉल की गई। सूत्रों ने बताया कि इन कॉल के बाद लॉग हिस्ट्री से पूरा डाटा डिलीट कर दिया गया। एटीएस टीमें कॉल लॉगिंग का डाटा खंगालने की कोशिश कर रही हैं लेकिन अब तक कोई अहम जानकारी नहीं मिल सकी है।
वाट्सएप सर्वर से नहीं मिल पा रहा डाटा
एप्लीकेशन के जरिए हो रही कॉल्स पर निगरानी रखने में पुलिस व खुफिया तंत्र फेल साबित हो रहा है। विदेशों में बैठे लोग भी अब इसी तकनीक से देश में मौजूद अपने लोगों से बात कर रहे हैं। शहर में दुबई व खाड़ी देशों से हर रोज ऐसी सैकड़ों कॉल हो रही हैं लेकिन खुफिया इकाइयां कुछ नहीं कर पा रही हैं। आतंकी भी कॉल करने के बाद डाटा डिलीट कर देते हैं।
कॉलिंग के कई एप, सर्वर विदेशों में
इंटरनेट पर वॉयस व वीडियो कॉल करने के कई एप्लीकेशन हैं जिनमें से अधिकांश के सर्वर विदेशों में हैं। ऐसे में किसी बातचीत का ब्योरा मांगने के लिए उन कंपनियों से संपर्क करना पड़ता है। हाल में ही वाट्सएप ने भी अपनी सर्विस का डाटा सार्वजनिक करने से इन्कार कर दिया था।
अपने एप्लीकेशन भी तैयार कराए
सूत्रों के मुताबिक कुछ आतंकी संगठन अपने एप्लीकेशन भी तैयार करा रहे हैं, जो आपस में ही एक-दूसरे के फोन पर इंस्टाल कराकर सूचनाओं का आदान प्रदान कर रहे हैं और वीडियो कॉलिंग की जा रही है। बात करने के बाद ये लोग एप्लीकेशन को डिलीट कर देते हैं जिससे इनका डाटा पकड़ में नहीं आता है।
कंपनियां डाटा भी आसानी से मुहैया नहीं कराती
साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि एप्लीकेशन बेस्ड कॉलिंग वाकई ट्रेस कर पाना काफी कठिन है क्योंकि विदेशों में उनका सर्वर है। ये कंपनियां डाटा भी आसानी से मुहैया नहीं कराती हैं। केंद्र सरकार अब यहां तो इन्हें प्रतिबंधित करे या फिर दबाव बनाकर उनका सर्वर भारत में लगवाए ताकि उनका पूरा ब्योरा सरकार के पास रहे।