कानपुर का मौसम: पश्चिमी विक्षोभ से बादलों का आना फिर शुरू, ठिठुरन से राहत की उम्मीद नहीं
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पश्चिमीं हवाएं उत्तर भारत के लोगों को अभी और ठिठुरनें पर मजबूर कर सकती हैं। वहीं पूर्वोत्तर भारत में ठंड के साथ बारिश भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगी। बारिश की वजह से किसानों को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। पश्चिमी विक्षोभ से हिमालय व आसपास के इलाकों में सक्रिय होने के कारण आसमान में बादलों का आना फिर शुरू हो गया है। इसके चलते शुक्रवार से बूंदाबांदी और हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। बादलों के कारण दिन का तापमान तेजी से गिर सकता है और रात के तापमान में थोड़ी बढ़ोत्तरी हो सकती है। हालांकि इस दौरान शीतलहर, गलन और ठिठुरन से लोगों को निजात मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के मौसम वैज्ञानिक डा. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि पूर्वोत्तर भारत में विशेष रूप से असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम में घने बादल छाए हैं। इसके चलते वहां हल्की बारिश हो सकती है। इसी तरह पंजाब के उत्तरी हिस्सों में भी एक या दो जगहों पर हल्की बारिश हो सकती है। उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में कोल्ड-डे जारी रहेगा और शीतलहर व गलन बरकरार रहेगी। पहाड़ों से आ रही उत्तर पश्चिमी बर्फीली हवाओं के साथ ही बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आ रही दक्षिण पूर्वी व दक्षिण पश्चिमी हवाएं भी गंगा के मैदानी इलाकों में अपना असर दिखा रही हैं।
बुधवार को कानपुर का अधिकतम तापमान 14.8 डिग्री और न्यूनतम 6.6 डिग्री रहा था, लेकिन अब रात का तापमान बढ़ने और दिन का कम होने के आसार हैं। इसके कारण कानपुर मंडल व आसपास के जिलों में भीषण सर्दी होने की संभावना है। 21 जनवरी और उसके बाद उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में छिटपुट बारिश हो सकती है। किसानों को फसलों की भी ज्यादा देखभाल करने की जरूरत है। इसी माह की शुरुआत में जब बारिश तेज हुई थी तो आलू, सरसों आदि तमाम फसलों का काफी नुकसान हुआ था। कई स्थानों पर ओले गिरने से पूरी फसल बर्बाद हो गई थी। लिहाजा अब फिर बारिश के आसार हैं, इसलिए किसान पहले से ही खेतों में पानी जमा होने से रोकने का इंतजाम करें। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से जरूरी कीटनाशक, खरपतवार नाशक दवाओं का भी छिड़काव रुक-रुककर करें।