Weather Update: यूपी के ऊपर सक्रिय हुआ क्षेत्रीय चक्रवात, कल से हो सकती बारिश
मौसम विभाग की मानें तो उत्तर प्रदेश में रविवार से बारिश होने की संभावना बनी है। वहीं धान की पौध की रोपाई के लिए किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि देश के कुछ हिस्सों में बारिश हो रही है।
कानपुर, जेएनएन। बार-बार मानसूनी सिस्टम कमजोर होने से बारिश का इंतजार है। यूपी के ऊपर क्षेत्रीय चक्रवात सक्रिय होने से बारिश की पूरी संभावना बन गई है, वहीं शाम तक बूंदाबांदी भी हो सकती है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आने वाली हवा मैदानी क्षेत्रों में आकर मिल रही हैं, जिसकी वजह से क्षेत्रीय चक्रवात बनने से रविवार से बारिश के आसार हैं।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विभाग ने रविवार को बारिश का अनुमान लगाया है। शनिवार को बदली छाई रही और सामान्य से तेज हवा चली। मौसम विज्ञानी डाॅ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया की मानसून की गतिविधियां फिर से सक्रिय हो रही हैं, लेकिन अभी कुछ दिन जोरदार बारिश के आसार कम हैं। उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बारिश का इंतजार अब खत्म होने वाला है, हालांकि देश के कुछ हिस्सों में बारिश हो रही है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में हुई बारिश से किसानों के चेहरे पर मुस्कराहट दिखी, लेकिन यह नाकाफी है और किसानों को झमाझम बारिश का इंतजार है।
डा.एसएन सुनील पांडेय ने बताया किसानों ने किसी तरह धान की नर्सरी तो तैयार कर ली है। अब पौधों की रोपाई के लिए पानी का इंतजार है। धान की नर्सरी में हर तीसरे चौथे दिन पानी देना पड़ रहा है। इसके बावजूद पौध में उतनी गुणवत्ता नहीं आ रही है, जितनी बरसात से होती है, पौध 18 दिन से ऊपर की हो गई है। 21 दिन में पौधे की रोपाई शुरू हो जाती है। धान की रोपाई के समय अगर पानी नहीं मिला तो उसके पौधे की वृद्धि पर असर पड़ सकता है।
इस बरसात से धान की फसल को फायदा है। उसमें मदद मिलेगी। दूसरा धान की फसल में अगर पत्ता लपेट यानी लीफ फोल्डर जैसी बीमारी का यदि कोई प्रकोप है भी तो वह इससे दूर हो जाएगा। दूसरा इस तरह की बरसात की धान की फसल को जरूरत थी क्योंकि अभी किसानों के खेतों में धान की फसल फ्लोरिंग स्टेज पर है। लगभग 12 से 14 दिनों में किसानों के खेतों में धान के पौधों की मिल्की स्टेज शुरू हो जाएगी।
देश भर में बने मौसमी सिस्टम
मानसून की अक्षीय रेखा राजकोट, दहानू, औरंगाबाद, रामागुंडम, कलिंगपट्टनम से गुजरते हुए पूर्व-दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी की ओर जा रही है।मराठवाड़ा और आसपास के इलाकों में चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। एक ट्रफ रेखा दक्षिण कोंकण और गोवा से केरल तट तक फैली हुई है।