Weather Update Latest: कानपुर में शाम तक होती रही हल्की बारिश, अब सताएंगी सर्द हवाएं
Rain In Kanpur शहर में बादलों और हल्की बारिश ने न्यूनतम तापमान पारे में बढ़ोत्तरी की है लेकिन आने वाले दिनों में पारा गिरते ही सर्द हवाएं सताने लगेंगी। पूर्वी हवाओं के कारण मौसम में उतार चढ़ाव का सिलसिला जारी है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। शहर में बीते एक दिन से छाए बादलों से मौसम में बदलाव नजर आया तो शनिवार की सुबह हल्की बारिश लेकर आई। तापमान में उतार चढ़ाव की स्थिति बनी है और न्यूनतम तापमान में बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन अब सर्द हवाओं का सितम सताएगा। मौसम विभाग की मानें तो बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र के कारण यूपी के मध्य क्षेत्र में आसमान पर बादल छाए रहेंगे और बूंदाबांदी की पूरी संभावना बनी रहेगी। हालांकि न्यूनतम तापमान में 1.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी के बाद मौसम में उतार चढ़ाव के आसान बने हुए हैं। रविवार को भी बादल छाए रहने और बूंदाबांदी की संभावना बनी है।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के अनुसार कानपुर शहर में अधिकतम तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है लेकिन न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ है। तापमान में इस उतार चढ़ाव की वजह आसमान में बादलों का डेरा है, हालांकि शनिवार की सुबह हुई बारिश के बाद मौसम में फिर एक बार बदलाव के आसार बने हैं। बुधवार को शहर का अधिकतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 10.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इसी तरह शुक्रवार तड़के न्यूनतम तापमान में 3.2 डिग्री का इजाफा दर्ज किया गया और यह 15.8 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था। इसकी मुख्य वजह आसमान में छाए बादल हैं और बूंदाबांदी भी करा रहे हैं। शनिवार को भी न्यूनतम तापमान 1.4 डिग्री बढ़कर 17.2 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। हालांकि सुबह हुई हल्की बारिश से न्यूनतम तापमान में बढ़ोत्तरी हो सकती है लेकिन आने वाले दिनों में सर्द हवाओं का सितम लोगों को सता सकता है।
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अगले दो दिनों में इसी तरह का मौसम रहेगा। बादल छंटने पर न्यूनतम तापमान में गिरावट आएगी और ठंड तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के मौसम वैज्ञानिक डा. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि आसमान में मध्यम से गहरे बादल छाए हैं। किसानों को सलाह दी कि वे धान, मूंगफली आदि की कटी हुई फसलों की मड़ाई कर दानों को संरक्षित कर लें और रबी की फसलें जैसे-गेहूं, जौ, चना, मटर, मसूर, सरसों, अलसी, आलू व सब्जियों आदि की बुवाई का कार्य रुककर करें।