Water Conservation: बारिश के पानी से बनती हैं ईंट, काबिल-ए-तारीफ है कानपुर की सुनीता की मुहिम
कानपुर के जूही में रहने वाली सुनीता ईंट भटठों पर जल संचयन को लेकर अभियान चालने के साथ मजदूरों को भी जागरूक कर रही हैं। भट्ठों में गड्ढे और तालाब खोदकर बारिश के पानी का संरक्षण और भूगर्भ जलस्तर बढ़ाने में जुटी हैं।
कानपुर, [राहुल शुक्ल]। बारिश के पानी के संरक्षण को लेकर हर कवायद हो रही है। हो भी क्यों न, जल ही तो जीवन देता है। कहा भी गया है, रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। कुछ यही कर रहे हैं प्रवासी मजदूर। उनकी तैयार की गईं ईंटे किसी के ख्वाब के घरौंदे की बुनियाद रख रहीं हैं।
जूही की रहने वाली सुनीता श्रीवास्तव प्रवासी मजदूरों को शिक्षित करने के साथ ही पानी बचाने में भी जुटी हैं। भट्ठों में बरसाती पानी बचाने के साथ ही भूगर्भ जलस्तर को बढ़ाने का काम कर रहीं हैं। सरसौल, टिकरा, चौबेपुर में डेढ़ दर्जन भट्ठों में वह इस मुहिम को चला रहीं हैं। एक भट्ठे में चार फीट चौड़े और छह फीट गहरे कच्चे गड्ढे खुदवाकर उसमें बरसाती पानी को सहेजा जाता है। एक भट्ठे में कम से कम दस गड्ढे बनवाती हैं, इससे लगभग पांच हजार लीटर पानी बचता है और काफी पानी कच्चा गड्ढा होने के कारण जमीन में अंदर चला जाता है।
लगभग एक लाख लीटर बरसाती पानी बच जाता है। इस पानी का प्रयोग भट्ठों में ईंटें बनाने में काम आता है। इसके अलावा हैंडपंप के बगल में गड्ढा बनवाकर पानी को बचाया जाता है। गांव वाले जब जल दीदी कहकर पुकारते हैं तो बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने बताया कि पिछले 22 साल से जागृति बाल विकास समिति से जुड़कर प्रवासी मजदूरों के साथ कार्य कर रहीं हैं। उन्हें देखकर आसपास के गांव वालों ने भी छोटे तालाब बनाकर बारिश का पानी बचाना शुरू कर दिया है।