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सीएसजेएमयू में बनेगा वर्चुअल अकेडमिक स्टाफ कालेज, Youtube पर शिक्षक छात्रों के लिए बनाएंगे व्याख्यान

शिक्षकों के प्रशिक्षण के तहत उन्हेंं पदोन्नति के लिए ओरिएंटेशन कोर्स व रिफ्रेशर कोर्स करना होता है। यह कोर्स करने के बाद ही उनकी पदोन्नति के रास्ते खुलते हैं। उप्र में लखनऊ अलीगढ़ व इलाहाबाद में ही एकेडमिक स्टाफ कालेज हैं

By Akash DwivediEdited By: Published: Thu, 08 Jul 2021 12:05 PM (IST)Updated: Thu, 08 Jul 2021 12:05 PM (IST)
सीएसजेएमयू में बनेगा वर्चुअल अकेडमिक स्टाफ कालेज, Youtube पर शिक्षक छात्रों के लिए बनाएंगे व्याख्यान
विश्वविद्यालय की महाविद्यालय विकास परिषद की पहली बैठक में यह निर्णय लिया गया

कानपुर, जेएनएन। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) से संबद्ध डिग्री कालेजों के शिक्षकों को अब दूसरे विश्वविद्यालयों में प्रशिक्षण के लिए नहीं जाना होगा। पदोन्नति के लिए होने वाला प्रशिक्षण वह सीएसजेएमयू में प्राप्त कर सकेंगे। एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति के लिए वह विश्वविद्यालय में रहकर प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले सकेंगे। शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए सीएसजेएमयू में वर्चुअल अकेडमिक स्टाफ कालेज स्थापित किया जाएगा। विश्वविद्यालय की महाविद्यालय विकास परिषद की पहली बैठक में यह निर्णय लिया गया।

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शिक्षकों के प्रशिक्षण के तहत उन्हेंं पदोन्नति के लिए ओरिएंटेशन कोर्स व रिफ्रेशर कोर्स करना होता है। यह कोर्स करने के बाद ही उनकी पदोन्नति के रास्ते खुलते हैं। उप्र में लखनऊ, अलीगढ़ व इलाहाबाद में ही एकेडमिक स्टाफ कालेज हैं जिनमें प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए शिक्षकों का तांता लगा रहा है। ऐसे में सीएसजेएमयू व संबद्ध डिग्री कालेज के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए बहुत कम अवसर मिल पाते थे। परिषद के अध्यक्ष व विवि कुलपति प्रो. विनय पाठक ने विश्वविद्यालय में वर्चुअल एकेडमिक स्टाफ कालेज स्थापित किए जाने को स्वीकृति दे दी है। इसकी खासियत यह है कि बिना कहीं जाए शिक्षक विवि परिसर से ही यह कोर्स कर सकेंगे। बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि शिक्षा के उन्नयन के लिए आइआइटी समेत देश के बड़े शिक्षण संस्थानों से करार भी किया जाएगा। इसके अलावा Youtube में शिक्षक अपनी जानकारियों का आदान प्रदान करने के साथ छात्रों के लिए वीडियो के व्याख्यान बनाएंगे। इन वीडियो का मूल्यांकन विश्वविद्यालय करेगा कि यह कितने गुणवत्तापूर्ण हैं। इसके बाद ही वह छात्रों तक पहुंचेगा। बैठक में परिषद के निदेशक डा. आरके द्विवेदी, कुलसचिव डा. अनिल यादव, डीन प्रशासन प्रो. सुधांशु पांड्या, प्रो. अंशु यादव, डा. सिद्धार्थ मिश्रा, डा. संदीप सिंह व कूटा अध्यक्ष डा. बीडी पांडेय समेत अन्य परिषद के अन्य सदस्य मौजूद रहे।

उत्कृष्ट संस्थानों में जाकर शोध कर सकेंगे शिक्षक : आइआइटी, इंडियन इंस्टीट््यूट आफ साइंस, एनआइटी व सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट््यूट समेत देश के नामी गिरामी संस्थानों में जाकर सीएसजेएमयू व संबद्ध डिग्री कालेज के शिक्षक शोध कार्य कर सकेंगे। शोध कार्य करने के दौरान जो भी खर्च आएगा वह विश्वविद्यालय देगा।

स्ववित्तपोषित शिक्षकों की वेतन विसंगति होगी दूर : बैठक में यह निर्णय लिया गया कि स्ववित्तपोषित कालेज के शिक्षकों को भी शोध करने के लिए नियमानुसार अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा उनकी वेतन विसंगति को भी दूर की जाएगी। इसके लिए एक कमेटी गठित कर दी गई है।

अपने क्वैश्चन बैंक बनाएंगे शिक्षक : कला, वाणिज्य व विज्ञान संकाय समेत अन्य प्रोफेशनल कोर्स के शिक्षकों को छात्रों के लिए क्वैश्चन बैंक बनाने होंगे। उनके क्वैश्चन बैंक का परीक्षण करने करने के बाद ही उन्हेंं छात्रों के लिए मान्य किया जाएगा इसके बाद ही उन्हेंं इसका भुगतान होगा। कापी किए गए क्वैश्चन बैंक स्वीकार नहीं किए जाएंगे। इसके अलावा डिग्री कालेजों में शिक्षक व छात्रों के लिए प्रोत्साहन कार्यशालाएं भी होंगी। 


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