आस्था पर चोट : संकटमोचन के दर पर विवाद वाले वीआइपी दर्शन
पनकी मंदिर में वीआइपी दर्शन को लेकर आए दिन होता है विवाद
जागरण संवाददाता, कानपुर: वीआईपी दर्शन कराने को लेकर वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में सेवायतों और सेवाधिकारी के बीच हुई झड़प की भले चर्चा हो पर पनकी स्थित श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर परिसर भी आए दिन वीआइपी दर्शन कराने को लेकर अखाड़े में बदल जाता। लंबी-लंबी कतारों में घंटों इंतजार कर रहे भक्तों का सब्र तब टूट जाता है जब मंदिर के कुछ लोग गुप्त प्रवेश द्वार से विशेष दिनों में दर्शन पूजन कराने लगते हैं। हाल में ऐसा ही एक मामला सामने आया जब वीआइपी दर्शन को लेकर मंदिर में विवाद हुआ और पुलिस को दखल देना पड़ा। इससे पहले भी बुढ़वा मंगल पर्व में मंदिर के महंतों के शिष्य आपस में वीआइपी दर्शन को लेकर आपस में भिड़ गए थे। विवाद इतना बढ़ गया था कि परिसर में अभद्र भाषा का प्रयोग और मारपीट का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। जिससे पनकी दरबार में आने वाले भक्त काफी दुखी हुए थे।
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मंदिर में हैं कई गुप्त द्वार
वीआइपी दर्शन के लिए मंदिर परिसर में कई गुप्त द्वार हैं। जिसका उपयोग चंद रुपयों और प्रभावशाली लोगों को दर्शन कराने के लिए किया जाता है। जो भक्तों को सीधे गर्भ गृह तक पहुंचाता है। दर्शन के बाद इसी दरवाजे से भक्त बाहर आसानी से जाते हैं और लंबी-लंबी कतारों में खड़े भक्तों को इंतजार करना पड़ता है। हालांकि कई बार मंदिर में होने वाले विशेष दर्शन पूजन पर भक्तों ने रोक लगाने की बात जोर-शोर से उठाई है।
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भगवान के दरबार में सभी भक्त समान हैं। यहां पर कोई वीआइपी नहीं होता है। सभी को आम भक्तों की तरह दर्शन पूजन करना चाहिए। इससे विवाद समाप्त हो जाएगा। बुजुर्ग और दिव्यांग लोगों के लिए मंदिर में विशेष दर्शन की व्यवस्था गुप्त द्वार से होनी चाहिए।
- महामंडलेश्वर श्रीकृष्ण दास महाराज।
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बोले भक्त
मंदिर में मंगलवार और शनिवार को वीआइपी दर्शन का नजारा आमतौर पर दिख जाता है। मंदिर प्रबंधन के साथ प्रशासन को इस पर रोक लगानी चाहिए। इससे विवाद होता है और आस्था को ठेस पहुंचती है।
- विपिन सोनकर, भक्त काकादेव।
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वीआइपी दर्शन बुजुर्ग और दिव्यांग लोगों के लिए होने चाहिए। परंतु मंदिर में कुछ लोग इस व्यवस्था का गलत मतलब निकालकर बिना लाइन के अपनों को दर्शन कराते हैं, यह गलत है इस पर रोक लगनी चाहिए।
- सौरभ सिंह, भक्त शास्त्री नगर।
--------- मंदिर में महंत कभी भी वीआइपी दर्शन के पक्ष में नहीं रहते हैं और मंदिर में ऐसा होना भी नहीं चाहिए। मंदिर में आने वाले हर भक्त को नियमानुसार दर्शन करने चाहिए। वीआइपी दर्शन में पैसों के लेन-देन की बात गलत है।
- महामंडलेश्वर जितेंद्र दास महाराज।