Vikas Dubey News :अमर के मारे जाने के बाद मानसिक दबाव में था विकास दुबे, उसे मानता था बेटे जैसा
अनुराग दुबे और वीनू तिवारी से अनबन के बाद भतीजे को बनाया था अपना सबसे करीबी।
कानपुर, जेएनएन। आठ दिन के भीतर प्रदेश में टॉप गैंगस्टर बना विकास दुबे रिश्ते में भतीजे लगने वाले अमर दुबे को बेटे की तरह मानता था। यही वजह है कि अमर दुबे को मुठभेड़ में मार गिराए जाने के बाद विकास मानसिक दबाव में आ गया था।
विकास की मर्जी से ही बनते थे आसपास गांवों के प्रधान
12 अक्टूबर 2001 को शिवली थाने में भाजपा के दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री संतोष शुक्ला की हत्या के बाद चर्चा में आए विकास दुबे ने जेल से छूटने के बाद क्षेत्र में अपनी हनक व राजनीतिक दखल हमेशा रखी। चाहे पंचायत का चुनाव रहा हो या फिर सांसद व विधायक का। उसके दरबार में हर किसी ने मत्था टेका। बिकरू और आसपास के दो दर्जन गांवों में विकास की मर्जी से ही प्रधान बनते रहे। ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा के बाद उसने वर्ष 2005 में परिवार के ही अनुराग दुबे को जिला पंचायत का चुनाव लड़ाकर एकतरफा जीत दिलाई। कुछ दिनों बाद दोनों के बीच अनबन हो गई। वहीं गांव के ही बीनू तिवारी से मतभेद होने के बाद जब विकास की ताकत कम हुई तो उसने परिवार के दाहिना हाथ रहे अतुल दुबे के भतीजे अमर दुबे को अपना करीबी बना लिया। अमर भी विकास के लिए मरने-जीने को हमेशा आगे रहता था।
अमर के लिए लड़की को घर बुलवाकर कराई थी शादी
विकास दो वर्ष से अमर दुबे को बेटे की तरह मानने लगा था। वह उसे घर पर ही साथ रखता था। बीते माह अमर ने पनकी निवासी खुशी से शादी का प्रस्ताव उसके घरवालों से रखा तो उन लोगों ने विकास के साथ रहने की बात कहते हुए शादी से इन्कार कर दिया। यह बात जब विकास को पता चली तो उसने दबाव बनाकर 29 जून को लड़की वालों को बुला अपने घर पर ही अमर की शादी करा दी। इधर दो जुलाई की रात दबिश के दौरान सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद अमर और प्रभात के साथ विकास फरार हुआ था। पुलिस ने विकास दुबे पर मानसिक दबाव बनाने के लिए अमर दुबे को पकडऩे की योजना बनाई। प्लान सटीक बैठा। पुलिस ने जब हमीरपुर के मौदहा में अमर दुबे को मुठभेड़ में मार गिराया तो विकास दबाव में आकर टूट गया।
अपने बेटों को हमेशा गांव से दूर रखा
अपराध का अंजाम विकास दुबे भी जानता था। यही वजह रही कि उसने कभी भी अपने बेटों को बिकरू गांव तक आने नहीं दिया। गांव वाले बताते हैं कि उसके बेटे कभी गांव नहीं आए। करीब चार माह से विकास अकेला ही गांव में रह रहा था।