Move to Jagran APP

पुलिस को भी लगता है डर, बिकरू गांव का भूत और अलग चल रही इनकी थानेदारी

कानपुर शहर में कुछ घटनाएं और मंशाएं पर्दे के पीछे रहती है और बाहर नहीं आ पाती हैं शहर के ऐसे ही कुछ वाकयों को व्यंगात्मक अंदाज में ज्यादा कहे बिना ही सबकुछ बताने का प्रयास किया गया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 14 Nov 2020 08:58 AM (IST)Updated: Sat, 14 Nov 2020 08:58 AM (IST)
पुलिस को भी लगता है डर, बिकरू गांव का भूत और अलग चल रही इनकी थानेदारी
कानपुर का रोजनामचा काॅलम पर भी डालें नजर।

कानपुर, [गौरव दीक्षित]। पिछले दिनों एक खबर तेजी से फैली थी कि बिकरू में विकास दुबे का भूत दिखाई देता है। सवाल उठे कि क्या भूत-प्रेत होते हैं। निश्चित तौर पर भूत-प्रेत नहीं होते, लेकिन यह भी सच्चाई है कि कई पुलिस अफसरों को दिन रात बिकरू का ही भूत सता रहा है। पूर्व में किए गए करम अब मुसीबत बन सामने आ रहे हैं। एक पूर्व अफसर पर कार्रवाई का डंडा चल चुका है, जबकि तमाम कार्रवाई की जद में हैं। अब उन्हें चिंता सता रही कि पता नहीं कब नंबर आ जाए। आखिर जांच का दायरा जो पंद्रह साल पीछे तक चला गया। रिटायर हो चुके लोग खुश हैं, लेकिन अभी भी सेवा में होने वालों को अब नौकरी ही खतरे में दिखाई पड़ रही है। पता नहीं कब जबरन रिटायरमेंट के लिए कह दिया जाए। ऐसे में सभी अपने-अपने आका तलाश रहे हैं, जिससे बचने सही का रास्ता निकल सके।

loksabha election banner

अलग ही थानेदारी चला रहे

थानेदार साहब की अचानक चार दिन से लापता चल रहे दारोगा पर नजर पड़ गई। उन्होंने दारोगा को बुलाकर टोकते हुए कहा कि कहां गायब रहते हो, कप्तान साहब तुम्हें पूछ रहे थे। जवाब में दारोगा ने कहा, कहां गायब हते साहेब यहीं तो रहे। पहले वीआइपी ड्यूटी की, अब लिखा पढ़ी का काम निपटा रहे हैं। हम तो कल भी आए हते पर आपै नहीं मिले साहेब तो बताओ हम का करें। दारोगा का जवाब सुनकर थानेदार का पारा चढ़ गया। उन्होंने दारोगा जी के पेंच कसते हुए कहा कि हम थानेदार हैं और उल्टा मुंहजोरी कर रहे हो। चौकी प्रभारी को भी तुम कोई जानकारी नहीं देते कि कहां जा रहे, कहां नहीं। तुम तो अलग ही थानेदारी चला रहे हो। हमको बताने की भी जरूरत नहीं समझते। मेरी नजर थाने के सिपाही और गार्ड तक पर रहती है। यहीं तो हते कहकर तुम हमको नहीं घुमा पाओगे।

माफिया की कमाई से स्वागत

शहर के प्रमुख चौराहों में शुमार रामादेवी चौराहा दिनभर जाम से जूझता रहता है। अब तक हुई तमाम कवायदें यहां पर फेल हो चुकी हैं। इसकी प्रमुख वजह है चौराहे के चारों ओर सड़क पर अतिक्रमण कर बना अवैध स्टैंड व सब्जी मंडी। अराजकता का आलम यह है कि थाने के गेट पर ही सब्जी व फल के ठेलों के साथ अवैध स्टैंड संचालित है। तो फिर पुलिस क्यों चुप है? बताते हैं कि इन सबके लिए जिम्मेदार माफिया पुलस के बेहद खास हैं। थाने पर किसी बड़े अधिकारी के आने पर माफिया की कमाई से ही उनका स्वागत होता है। पिछले दिनों इंटरनेट मीडिया पर कई फोटो भी वायरल हुए, जिसमें स्टैंड माफिया के साथ खाकी वाले साहब के फोटो है। इन्हीं फोटो को दिखाकर ही तो माफिया क्षेत्र में दहशत के अलावा रोड पर जाम का ठेका लेते हैं। शिकायत ऊपर तक हुई है, मगर कार्रवाई नहीं होती।

कोरोना डायन खाए जात...

पुलिस विभाग में बदलाव की कई योजनाएं पिछले साल शुरू हुईं। बीट पुलिसिंग की शुरुआत और पुलिस वालों को साप्ताहिक अवकाश दो बड़े फैसले थे। मगर, कोरोना के चलते अब तक सब जहां का तहां ठहरा है। साप्ताहिक अवकाश तो दूर छह महीने से काम के लिए भी छुट्टी मिलनी मुश्किल हो गई है। साप्ताहिक अवकाश के संबंध में जब एक सिपाही से पूछ तो वह हत्थे से उखड़ गया। बोला कि साप्ताहिक छुट्टी की बात करते हो तीन महीने से घर जाने को नहीं मिला है। एक दारोगा जी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और बेटे का मुंह देखने में उन्हें महीनों लग गए। बहुत मिन्नतें कीं, तब जाकर छुट्टी मिली। एक तो अवकाश नहीं मिल रहा, ऊपर से ड्यूटी के दौरान का खतरा। थका हारा शरीर आखिर कब तक लड़ेगा। फिलहाल, पुलिस महकमे में कोरोना डायन खाए जात है की सोच सबके दिल और दिमाग में है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.