Vikas Dubey News : 17 की उम्र से शुरू किया अपराध, 52वें साल में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर फैलाया आतंक
Vikas Dubey News कुख्यात विकास दुबे ने दहशत के बूते ऐसी पकड़ बनाई थी कि किसी भी दल का कोई नेता रहा हो इसके बिना न चुनाव लड़ पाया न ही जीत सका।
कानपुर [शिवा अवस्थी]। मैं हूं विकास दुबे...कानपुर वाला। यही वो अल्फाज थे, जिन्हें सुनकर हर कोई थर्रा उठता था। आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद आठ दिन में ही पांच लाख का इनामी तक बन चुका 52 वर्षीय विकास दुबे गुरुवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में जब पकड़ा गया तो भी यही पहचान दोहराई। ऐसा उसने किसी को बताने के लिए कहा या खुद को बचाने के लिए, यह तो अब राज ही रह गया, इतना जरूर है कि दहशतभरे इन्हीं शब्दों पर उसकी पूरी आपराधिक कायनात टिकी हुई थी।
मारपीट और दबंगई दिखाकर 17 साल की उम्र में आपराधिक दुनिया में कूदे इस कुख्यात विकास दुबे ने शुरुआत में छात्र राजनीति पर दखल बनाई और फिर असल राजनीति पर। दहशत के बूते ऐसी पकड़ बनाई थी कि किसी भी दल का कोई नेता रहा हो, इसके बिना न चुनाव लड़ पाया, न ही जीत सका। चौबेपुर थाने का यह पहला हिस्ट्रीशीटर इतना बेखौफ हो गया था कि शिवली थाने के भीतर वर्ष 2001 में श्रम संविदा बोर्ड के चेयरमैन और दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला को दिनदहाड़े गोलियों से भूनकर भी अदालत से बरी हो गया। घटना के वक्त थाने में मौजूद 25 पुलिसकर्मियों में से किसी ने उसके खिलाफ गवाही देने की जुर्रत नहीं की। 35 साल में उसके खिलाफ हत्या, लूट, डकैती, हत्या के प्रयास, अपहरण जैसी संगीन धाराओं वाले कुल 71 मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन बाल-बांका न हुआ। पुलिस और नेताओं के बीच पैठ के बूते 33 मुकदमों से वह बरी हो गया।
दो जुलाई की रात विकास दुबे के दुस्साहस की पराकाष्ठा पूरे देश ने देखी। तीन थानों के 20 पुलिसकर्मी उसे गिरफ्तार करने पहुंचे थे। मगर, चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी, हलका प्रभारी केके शर्मा और कई पुलिस वालों ने उसे पहले ही खबरदार कर दिया। पूरी तैयारी करके छतों पर बैठे विकास और उसके गुर्गों ने नक्सलियों के अंदाज में 20 पुलिसकर्मियों की टीम पर हमला बोला। सीओ देवेंद्र मिश्र समेत आठ पुलिसकर्मियों को मौके पर ही भून डाला। अब तो वह यह भी कबूल चुका है कि लाशें जलाने की भी उसने योजना बनाई थी।
जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर दूर चौबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरू निवासी किसान रामकुमार दुबे के तीन बेटों में विकास सबसे बड़ा है और सबसे ज्यादा शातिर भी। विकास से छोटे अविनाश दुबे की हत्या हो चुकी है, जबकि छोटा दीपूप्रकाश उर्फ दीपू दुबे भी उसके साथ चौबेपुर थाने का हिस्ट्रीशीटर है। विकास पर 1985 में पहला मुकदमा शिवली थाने में दर्ज हुआ। शहर के पीपीएन कॉलेज में बीए करने आया तो गुंडई का शौक न गया। यहां भी मुकदमा हुआ। छात्र राजनीति में दखल दिया तो युवाओं को जोड़ लिया। जमीन के विवाद में पहली हत्या 1994 में कन्नौज के मानीमऊ तेजीपुरवा निवासी किसान की की। डर बढ़ाकर वह विवादित जमीनों पर कब्जे करने लगा। छात्र नेताओं को चुनाव लड़ाने लगा। इस बीच, शहर से गांव लौटा और प्रधानी का चुनाव जीत गया।
फिर, जिला पंचायत सदस्य बना। आसपास के गांवों के युवाओं को जोड़ा और दहशत का पर्याय बनने लगा। उगाही शुरू की और जमीनों का खेल बढ़ाया। वह अरबों रुपये की संपत्ति जुटा चुका है। आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद उसकी 27 करोड़ की संपत्ति जब्त हो चुकी है। कानपुर, लखनऊ, कोलकाता, मुंबई समेत कई शहरों में फ्लैट हैं। उसकी काली कमाई को शहर के ब्रह्म नगर का जय बाजपेयी सफेद बनाता था। उसने दर्जनों पुलिस वालों को मुफ्त में फ्लैट दे रखे हैं। पिछले दिनों ही जय बाजपेयी की तस्वीरें डीआइजी एसटीएफ के पद से हटाए गए कानपुर के तत्कालीन एसएसपी अनंत देव तिवारी के साथ वायरल हुई थीं।
विकास की गोद में बैठने वाले चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी पर अनंत देव की खूब कृपा रहती थी। थाने में राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या के मामले में भी भाजपा सरकार के एक मंत्री ने ही उसका सरेंडर 'मैनेज' कराया था। पुलिस, प्रशासनिक अफसरों और नेताओं तक तगड़ी पैठ के कारण ही विकास के आगे कोई मुंह नहीं खोल पाता था।
सियासी नेताओं का बना लाडला : बसपा से सियासी सफर शुरू करने वाला विकास सपा और भाजपा नेताओं के भी बेहद करीब रहा है। चौबेपुर इलाके का कोई ऐसा कार्यक्रम नहीं, जो उसके बगैर हुआ हो। शिवली स्थित जिस ताराचंद इंटर कॉलेज में वह पढ़ा था, वर्ष 2000 में उसी ट्रस्ट की दुकानों पर कब्जेदारी में रोड़ा अटकाने पर अपने प्रधानाचार्य सिद्धेश्वर पांडेय की भी उसने दिनदहाड़े हत्या कर दी थी। इस मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई तो उसने पत्नी रिचा दुबे को घिमऊ सीट से जिला पंचायत सदस्य बनवा दिया। 20 साल से यह सीट उसके कब्जे में थी।
कुख्यात राजू खुल्लर की बहन से की थी शादी : शास्त्री नगर के कुख्यात राजू निगम उर्फ राजू खुल्लर की आपराधिक छांव में खेले-कूदे विकास उसी की बहन रिचा को ले भागा। फिर, मंदिर में लव मैरिज की। घरवाले इसके खिलाफ थे। पुलिस के खौफ से राजू खुल्लर सपरिवार शहडौल चला गया। विकास ने 29 जून को ही अपने भतीजे अमर दुबे की शशि से जबरन शादी कराई थी। अमर को भी हमीरपुर पुलिस बुधवार को मुठभेड़ में ढेर कर चुकी है।
इतनी लाशें बिछा दूंगा कि कंधे नहीं मिलेंगे : विकास का दुस्साहस इतना बढ़ चुका था कि उसने जमीन कब्जाने की शिकायत करने वाले राहुल तिवारी को चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी के सामने ही एक जुलाई को पीट दिया था। बचाने पर एसओ से भी हाथापाई की और उनके फोन छीन लिए। राहुल ने आपबीती एसएसपी को बताई तो उसे इसकी खबर लग गई और उसने चौबेपुर थाने के बीट दारोगा केके शर्मा को फोन पर कहा कि अगर गांव में पुलिस आई तो इतनी लाशें बिछा दूंगा कि उठाने के लिए कंधे तक नहीं मिलेंगे। हुआ भी यही। रात एक बजे पुलिस पहुंची तो ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर उसने आठ पुलिसकर्मियों की लाशें बिछा दीं। 10 राज्यों की पुलिस उसे खोजती रह गई और वह यूपी का सबसे बड़ा पांच लाख का इनामी अपराधी बन गया।
दुर्दांत अपराधी विकास दुबे का अंत : कानपुर में बिल्हौर सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की आठ दिन पहले अपने गांव बिकरू में नक्सली अंदाज में गोलियां बरसाकर हत्या करने वाले दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को आठवें दिन ही पुलिस और एसटीएफ की टीम ने मार गिराया। पांच लाख रुपये इनामी हिस्ट्रीशीटर को गुरुवार सुबह मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर से गिरफ्तार किया गया था। वहां से कोर्ट में पेशी के लिए लाते वक्त कानपुर शहर से पहले ही सचेंडी थाना क्षेत्र में बेसहारा जानवरों को बचाने के चक्कर में एसटीएफ की कार पलटी तो कुछ पल के लिए पुलिसकर्मी हल्की बेहोशी की हालत में आ गए। दुर्घटना का फायदा उठाकर विकास इंस्पेक्टर नवाबगंज की पिस्टल छीनकर भागा। पीछे से आई दूसरी टीम ने उसे दौड़ाया। इस दौरान जवाबी मुठभेड़ में एसटीएफ और पुलिस टीम ने उसे ढेर कर दिया। मुठभेड़ में एसटीएफ के दो जवान भी घायल हो गए।