Move to Jagran APP

Vikas Dubey News : जय जेल में और किस्से बाहर... विधायक का पास लगी गाड़ी से सचिवालय तक बेधड़क थी एंट्री

Vikas Dubey News पुलिस ने विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी की जिन तीन गाड़ियों को कब्जे में लिया था उनमें से एक में विधायक के नाम से जारी होने वाला पास चस्पा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 10:38 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 08:03 AM (IST)
Vikas Dubey News : जय जेल में और किस्से बाहर... विधायक का पास लगी गाड़ी से सचिवालय तक बेधड़क थी एंट्री
Vikas Dubey News : जय जेल में और किस्से बाहर... विधायक का पास लगी गाड़ी से सचिवालय तक बेधड़क थी एंट्री

कानपुर [गौरव दीक्षित]। दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी के हाथ भी कुछ कम लंबे नहीं रहे हैं। उसकी सियासी पहुंच और पकड़ का अंदाजा इसी से लगाइये कि पुलिस ने जिन तीन गाड़ियों को कब्जे में लिया था, उनमें से एक में विधायक के नाम से जारी होने वाला पास चस्पा है। इससे जय विधानसभा सचिवालय में बेधड़क आता-जाता था। कहीं कोई पूछताछ भी न होती थी। बताते हैं कि शहर के दो विधायकों से जय बाजपेयी के करीबी रिश्ते रहे हैं। ये कौन विधायक हैं, जिसने एक हिस्ट्रीशीटर के खजांची को अपने नाम से कार का पास बनवा दिया?

loksabha election banner

कानपुर में दो जुलाई की रात नक्सलियों के अंदाज में गोलियां बरसाकर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले दुर्दांत विकास दुबे को मदद पहुंचाने में उसका खजांची जय बाजपेयी जेल में है और तमाम किस्से बाहर। काकादेव पुलिस ने पांच जुलाई की सुबह उसकी तीन कारें विजय नगर चौराहे पर लावारिस हाल में खड़ी पाई थीं। सबकी नंबर प्लेट गायब थी। एसटीएफ और पुलिस टीम से जय बाजपेयी ने बताया था कि तीनों कारें उसी की हैं, लेकिन परिचितों के नाम पर फाइनेंस कराई हुई हैं।

जय बाजपेयी के पास से पकड़ी गई कारों में ऑडी प्रमोद विश्वकर्मा, वरना कपिल सिंह और फॉर्च्यूनर राहुल सिंह के नाम कानपुर आरटीओ दफ्तर में पंजीकृत हैं। राहुल सिंह मकान नंबर 193/243 चकरपुर रतनपुर का निवासी है। उसे जय का कारोबारी सहयोगी बताते हैं। उसी की फॉर्च्यूनर (यूपी 78 ईडब्ल्यू 7070) में विधायक और विधानसभा सचिवालय का पास चस्पा है। 0828 सचिवालय नंबर वाला यह पास दिसंबर 2020 तक मान्य है। तीनों कारें 15 दिन से काकादेव थाने में खड़ी हैं।

एसएसपी दिनेश कुमार पी का कहना है कि तीनों कारें जय बाजपेयी ने अपनी ही बताई थीं। उनकी जांच की जाएगी। कार में लगे विधायक के पास को भी जांचा-परखा जाएगा। विकास और जय से जुड़े प्रकरण से जिसका भी रिश्ता निकलेगा, उससे पूछताछ की जाएगी।

विकास को सुरक्षित भगाने का था मकसद : पुलिस का दावा है कि जय बाजपेयी अपने आका विकास दुबे को फरार होने के लिए ही तीनों कारें वहां लाया था। पुलिस को भनक लगने के कारण छोड़कर भाग गया था। विधायक का कार पास लगी गाड़ी को कोई रोकता टोकता नहीं और विकास दुबे सुरक्षित ठिकाने पहुंच जाता। पर, यह दांव चला नहीं।

विकास को रुपये व कारतूस देने का आरोप : रविवार देर रात तक चले हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद जय बाजपेयी और उसके साथी प्रशांत शुक्ला को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। सोमवार दोपहर बाद दोनों को माती कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। आरोप है कि दो जुलाई को घटना से पहले उसने ही विकास दुबे को रुपये और कारतूस पहुंचाए थे। जय बाजपेयी पिछले 15 दिन से पहेली बना था। रविवार शाम उसके सुरक्षित घर पहुंचने पर खबर सामने आई तो सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हो गया। हालांकि पुलिस ने बताया था कि कुछ कागजात बरामद करने के लिए उसे घर ले जाया गया था। देर रात एसएसपी दिनेश कुमार पी ने नजीराबाद थाने में जय से पूछताछ की तो पता चला कि उसने ही पुलिस कर्मियों की हत्या से एक दिन पहले विकास दुबे को दो लाख रुपये और 25 कारतूस दिए थे। जांच में जय के लाइसेंसी रिवाल्वर में 25 कारतूस कम भी मिले। वह यह नहीं बता सका कि उसने इन कारतूस का इस्तेमाल कहां पर किया है। इसी से शक गहराया और सच्चाई सामने आई।

विकास व गैंग सदस्यों को बाहर भेजने की कर रहा था तैयारी : जय बाजपेयी के खिलाफ दर्ज की गई रिपोर्ट के मुताबिक चार जुलाई को वह अपने साथी प्रशांत शुक्ला उर्फ डब्बू निवासी आर्यनगर के साथ मिलकर अपनी तीन गाडिय़ों से विकास दुबे और उसके गैंग के सदस्यों को कानपुर से सुरक्षित निकालने की तैयारी कर रहा था। पुलिस की सक्रियता से वह इस काम को अंजाम नहीं दे सका। तीनों गाड़ियों को विजय नगर चौराहे के पास छोड़कर भाग निकला। इसीलिए गाड़ियों से नंबर प्लेट हटाकर उन्हें लावारिस छोड़ा था।

पुलिस कर्मियों की हत्या में साजिश रचने का भी आरोपित : पुलिस ने जय बाजपेयी और उसके साथी प्रशांत शुक्ला को दो जुलाई की घटना में 120-बी का भी आरोपित बनाया है। थाना नजीराबाद में उसके खिलाफ आम्र्स एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया है। ल जाने से पहले जय ने विकास दुबे के साथ लेन-देन की बात भी स्वीकारी है। उसने बताया कि विकास ने अपनी पत्नी को चुनाव लड़वाने के दौरान 10 लाख रुपये लिए थे। वही, रुपये बाद में लौटाए थे। उसके बाद विकास से पैसे का कोई लेन-देन नहीं हुआ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.