Bikru Case Update: पढ़िए- विकास दुबे की वो चार झूठी बातें जिससे राह भटक गई थी पुलिस, अब सामने आया सच
उज्जैन से कानपुर लाते समय विकास दुबे ने फरारी की जो बातें पुलिस को बताई थीं वो झूठ साबित हुई हैं जबकि मददगारों से पूछताछ में बताई गई कहानी ने स्पष्ट कर दिया कि वो कैसे कांड करने के बाद साथियों के साथ फरार हुआ था।
कानपुर, [गौरव दीक्षित]। विकास दुबे बेहद शातिर अपराधी था। बिकरू में नरसंहार करने के बाद लुकाछिपी खेलते जब वह पुलिस की गिरफ्त में आया तो भी उसका शैतानी दिमाग साजिश की 'चौसर' सजाए फरेब की 'चालें' चल रहा था। कानूनी शिकंजे में फंसने के बाद वह झूठ की चाबी से अपने बचने के दरवाजे खोज रहा था। झूठी कहानी से फरारी के सच्चे सबूतों को मिटाना चाहता था। मुठभेड़ में मारे जाने से पहले उसने पुलिस और एसटीएफ को वारदात के बाद फरार होने की जो कहानी सुनाई थी, सोमवार को पकड़े गए उसके मददगारों से पूछताछ में झूठी निकली। पुलिस अब तक विकास की सुनाई कहानी को सच मानकर चल रही थी, चार्जशीट में इसको शामिल किया। अब जब सच सामने आया तो गैंगस्टर के शातिराना अंदाज से एसटीएफ खुद भी हतप्रभ है।
झूठ नंबर-1
विकास ने बताया था कि वारदात के बाद अमर दुबे, प्रभात मिश्रा और उसने अपने मोबाइल तोड़कर गांव के किनारे पांडु नदी में फेंक दिए थे। अब तीनों के मोबाइल मददगारों से मिले हैं। मोबाइल फोन तीनों के खिलाफ पुख्ता सुबूत बन सकते थे इसलिए विकास इनकी मौजूदगी को ही समाप्त करने की कोशिश की।
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झूठ नंबर-2
विकास ने बताया था कि एक-एक छोटा हथियार लेकर गांव से निकले। बड़े हथियार गांव के गोङ्क्षवद दुबे के हवाले कर दिऐ थे। हकीकत निकली कि सभी हथियार वह साथ ले गया और रसूलाबाद में मददगारों को दिए। झूठ का पैंतरा इसलिए ताकि हथियारों की बरामदगी न हो सके और पुलिस केस कमजोर हो जाए।
झूठ नंबर-3
विकास ने पैदल शिवली जाने और वतन अग्निहोत्री (जिससे रंजिश थी) के घर पर रहने, पांच जुलाई की सुबह आई-20 कार से रसूलाबाद में जनप्रतिनिधि के घर जाने की बात कही। हकीकत में वह शिवली पुल के पास छिपा, विष्णु कश्यप स्विफ्ट डिजायर कार से उसे लेकर रसूलाबाद पहुंचा। यह झूठ अग्निहोत्री को फंसाने और पुलिस को उलझाने के लिए था।
झूठ नंबर-4
विकास ने बताया कि रसूलाबाद जाते समय कंजती पुलिस चौकी पर पुलिस ने उसकी कार रोकने की कोशिश की, लेकिन चकमा देने में सफल रहा। हकीकत में ऐसी कोई घटना नहीं हुई। यह दांव कंजती के तत्कालीन चौकी प्रभारी को फंसाने के लिए था, जिससे वह नाराज था।
टीवी पर होटल में छापेमारी की खबर देख फरीदाबाद से फरार
विकास फरीदाबाद में एक होटल में रुका था। प्रभात को होटल में अकेला छोड़कर वह दिल्ली में वकील से मिलने गया, जहां आत्मसमर्पण करना चाहता था। टीवी पर पुलिस के होटल पहुंचने की खबर देख वाल्वो बस पर सवार होकर वह झालावाड़ होते हुए उज्जैन पहुंचा। वहां पर कानपुर के मूल निवासी शराब कारोबारी की मदद से आत्मसमर्पण का ताना-बाना बुना।
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