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Vikas Dubey के 10 मददगारों पर दर्ज हुआ मुकदमा, कार्रवाई में देरी होने से उठे सवालों पर पुलिस ने कही ये बात

Vikas Dubey Kanpur News Update निवासी विष्णु कश्यप धनीरामपुर निवासी अमन शुक्ला व अभिनव तिवारी रसूलाबाद तुलसीनगर निवासी रामजी उर्फ राधे करियाझाला निवासी संजय परिहार मंगलपुर निवासी शुभम पाल के साथ हथियारों के तस्कर भिंड के डिंडी कला निवासी मनीष यादव उर्फ शेरू को गिरफ्तार किया था।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Thu, 18 Mar 2021 08:50 AM (IST)Updated: Thu, 18 Mar 2021 08:50 AM (IST)
Vikas Dubey के 10 मददगारों पर दर्ज हुआ मुकदमा, कार्रवाई में देरी होने से उठे सवालों पर पुलिस ने कही ये बात
कानपुर के बिकरू कांड में पकड़े गए विकास दुबे की सांकेतिक तस्वीर।

कानपुर, जेएनएन। Vikas Dubey Kanpur News Update देर से ही सही पुलिस ने विकास दुबे को संरक्षण देने वाले 10 मददगारों के खिलाफ पनकी थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया है। मुकदमा एसटीएफ के प्रभारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने दर्ज कराया है।

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एक मार्च 2021 को स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की कानपुर टीम ने गैंगस्टर विकास दुबे को आश्रय देने वाले और उसके हथियार खरीदने वाले सात लोगों को गिरफ्तार कर उनके पास से बिकरू में दो जुलाई की रात कहर बरपाने वाली सेमी ऑटोमेटिक 30 स्प्रिंगफील्ड रायफल, कार्बाइन के साथ हथियारों और कारतूसों का जखीरा बरामद किया था। एसटीएफ ने शिवली निवासी विष्णु कश्यप, धनीरामपुर निवासी अमन शुक्ला व अभिनव तिवारी, रसूलाबाद तुलसीनगर निवासी रामजी उर्फ राधे, करियाझाला निवासी संजय परिहार, मंगलपुर निवासी शुभम पाल के साथ हथियारों के तस्कर भिंड के डिंडी कला निवासी मनीष यादव उर्फ शेरू को गिरफ्तार किया था। इसके पास से एसटीएफ ने शिव तिवारी की सेमी ऑटोमेटिक रायफल, एक फैक्ट्री मेड सिंगल बैरल बंदूक और एक फुली ऑटोमेटिक कार्बाइन, एक रिवाल्वर और दो तमंचे और भारी मात्रा में कारतूस बरामद किए थे। इस प्रकरण में सभी सातों आरोपितों के खिलाफ आम्र्स एक्ट के तहत थाना पनकी में मुकदमा दर्ज हुआ था। गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ में अर्पित मिश्रा उर्फ पुत्तू मिश्रा, विक्की यादव, अभिषक उर्फ छोटू और मोहन अवस्थी का नाम भी प्रकाश में आया था। इस मामले में बुधवार को एसटीएफ की ओर से हथियारों के तस्कर मनीष यादव को छोड़कर शेष दसों आरोपितों के खिलाफ विकास दुबे को संरक्षण देने के आरोप में आइपीसी की घारा 216-ए के तहत मुकमदा दर्ज कराया गया। कुछ अज्ञात आरोपी भी बनाए गए हैं।

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देरी से रिपोर्ट पर उठे सवाल

हालांकि रिपोर्ट पहली एफआइआर से 17 दिन देरी से दर्ज हुई, जिससे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं। सवाल है कि पुलिस ने मददगारों की गिरफ्तारी के तुरंत बाद केस दर्ज क्यों नहीं किया। इस संबंध में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि संशय था कि इन सभी के नाम बिकरू कांड के केस में बढ़ाए जाएं या अलग से केस दर्ज हो। विधिक राय लेने में देरी हुई, जिसमें तय हुआ कि अलग से रिपोर्ट दर्ज कराई जाए।

सभी मुकदमों की जांच करेंगे इंस्पेक्टर अर्मापुर

डीआइजी डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि मददगारों के खिलाफ दर्ज सभी आठों मुकदमों की जांच स्थानांतरित करके अर्मापुर भेज दी गई है। अब आगे की जांच इंस्पेक्टर अर्मापुर करेंगे।


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