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Vikas Dubey Kanpur News: बिकरू गांव से छह माह बाद हटाई गई पीएसी और पुलिस, फिर पटरी पर लौटी जिंदगी

बिकरू गांव में नववर्ष में नया सूरज उदय हुआ है छह माह बाद पुलिस और पीएसी हटने के बाद गांव वालाें ने खुली हवा में सांस का अहसास किया है। वहीं विकास दुबे सहयोगी रहे प्रेमप्रकाश की पत्नी गांव छोड़कर चली गई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 02 Jan 2021 10:45 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jan 2021 10:45 AM (IST)
Vikas Dubey Kanpur News: बिकरू गांव से छह माह बाद हटाई गई पीएसी और पुलिस, फिर पटरी पर लौटी जिंदगी
कानपुर के बिकरू गांव में अबतक कायम थी दहशत।

कानपुर, जेएनएन। चौबेपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे और उसके साथियों द्वारा सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद पीएसी और पुलिस फोर्स तैनात किया गया था। गांव में दहशत का आलम इतना था कि कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं था। आखिर छह माह बाद गांव के हालात अब सामान्य हुए तो पीएसी और पुलिस फोर्स को हटा लिया गया है। हालांकि गांव में पुलिस चौकी खोलने का प्रस्ताव तैयार हो गया है।

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बिकरू कांड के बाद गांव में पीएसी और पुलिस डेरा डाले थी। रोजाना दिन भर में कई बार अधिकारियों का भी गांव आना-जाना रहता था जिससे ग्रामीण दहशत में थे। ग्रामीणों ने बताया कि पहले पीएसी और दो दिन पहले गांव से पुलिस भी हटा दी गई। हालांकि गांव में अस्थायी चौकी का प्रस्ताव है, मगर अब तक उसे लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है। वहीं दूसरी ओर गांव में दहशत का माहौल अब छंटने लगा है।

लोग सामन्य जीवन जीने की कोशिश कर रहे हैं। आधे से अधिक लोग जहां वारदात के बाद घरों में ताला डालकर गांव छोड़कर भाग गए थे, वह वापस आ गए हैं। अतुल दुबे, गोपाल सैनी, प्रेम प्रकाश और दो चार कुछ परिवारों को छोड़कर सभी वापस आ गए हैं। विकास दुबे के घर बिखरा पड़ा सामान अभी भी वैसे ही पड़ा है। कोई भी ग्रामीण उस परिसर में अब भी कदम नहीं रखता है।

प्रेम प्रकाश की पत्नी छोड़ गईं गांव

बिकरू कांड के बाद मारे गए विकास के कथित मामा प्रेम प्रकाश की पत्नी सुषमा गांव छोड़ गईं। प्रेम प्रकाश का बेटा शशिकांत जेल में है। परिवार में शशिकांत की पत्नी मनु और सुषमा ही अकेली बचीं थी। बीमार सास को छोड़कर मनु दो महीने पहले मायके चली गई है। चार दिन पहले सुषमा भी घर में ताला बंद करके किसी के साथ चली गईं। चर्चा है कि वह अपनी बहू मनु के पास रहने गई हैं।

अभी परवान नहीं चढ़ी घोषणाएं

छह महीने के दौरान शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों के लिए कई घोषणाएं हुई। आर्थिक घोषणाएं पूरी हो चुकी हैं, मगर शहीदों के नाम पर सड़कों का नामकरण अभी नहीं हुआ। किसी को भी मृतक आश्रित कोटे में नौकरी अब तक नहीं मिली, जबकि चार शहीदों के आश्रित नौकरी के लिए आवेदन कर चुके हैं।

ये था पूरा घटनाक्रम

बीती दो जुलाई 2020 को विकास दुबे के घर चौबेपुर, शिवराजपुर व बिठूर की पुलिस दबिश डालने गई थी। दबिश की पूर्व सूचना मिलने की वजह से विकास ने अपने घर की ओर आ रही सड़क पर जेसीबी खड़ी करके पुलिस टीम पर हमला करा दिया। ताबड़तोड़ गोलीबारी कर तत्कालीन सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी गई थी। जवाब में पुलिस ने भी विकास दुबे समेत उसके छह साथियों को मुठभेड़ में ढेर कर दिया था। इस प्रकरण में पुलिस की छवि धूमिल हुई। तत्कालीन चौबेपुर एसओ विनय तिवारी और हलका प्रभारी केके शर्मा मुखबिरी के आरोप में जेल में हैं। 55 पुलिसकर्मी एसआइटी जांच में विकास दुबे के मददगार मिले हैं।

न्यायिक जांच का इंतजार

वारदात व एनकाउंटर की जांच को एसआइटी व सुप्रीम कोर्ट का न्यायिक आयोग जांच कर रहा है। एसआइटी की जांच रिपोर्ट 16 अक्टूबर को शासन को दी जा चुकी है, जिसमें 55 पुलिसकर्मी व 25 प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं। एसआइटी की संस्तुति पर चार राजपत्रित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच, दो को कारण बताओ नोटिस, 11 के खिलाफ प्रारंभिक जांच के आदेश दिए गए हैं। वहीं सात अराजपत्रित पुलिसकर्मियों के खिलाफ दीर्घ दंड, छह के खिलाफ लघु दंड और 23 के खिलाफ प्रारंभिक जांच चल रही है। नौ लेखपाल भी जांच के दायरे में हैं। पूर्व एसएसपी अनंत देव के अलावा, बीडीओ चौबेपुर सहित तीन प्रशासनिक कर्मी निलंबित किए जा चुके हैं।

यह पुलिसकर्मी हुए थे शहीद

सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा, एसओ शिवराजपुर महेश यादव, चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार, सब इंस्पेक्टर नेबू लाल, सिपाही जितेंद्र पाल, सिपाही सुल्तान सिंह, सिपाही बबलू कुमार, सिपाही राहुल।

पुलिस मुठभेड़ में मारे गए अभियुक्त

1- विकास दुबे

2- राजाराम उर्फ प्रेमकुमार उर्फ प्रेमप्रकाश

3- अमर दुबे

4- प्रभात मिश्रा

5- प्रवीन शुक्ल

6-अतुल दुबे


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