Bikru Case Update: एक विधायक ने माफ कराई थी जय की शस्त्र लाइसेंस फीस, डीएम को लिखा था पत्र
विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी के शस्त्र लाइसेंस से जुड़ी पत्रावली से नए तथ्य सामने आए हैं। विधायक ने कहा- मैं जनप्रतिनिधि हूं अगर मेरे द्वारा किसी का भला होता है तो उसमें कोई क्या बुराई है।
कानपुर, जेएनएन। बिकरू कांड में आरोपित जय बाजपेयी के सियासी गलियारे में भी कई रहनुमा थे। शस्त्र लाइसेंस से जुड़ी पत्रावली खंगालने पर पता चला कि उसके रिवॉल्वर लाइसेंस की फीस माफ कराने के लिए सपा विधायक इरफान सोलंकी ने तत्कालीन डीएम से सिफारिश की थी।
पत्रावली के मुताबिक जय ने 24 नवंबर 2007 को रिवॉल्वर के लिए आवेदन किया था, जिसमें थाने की पुलिस रिपोर्ट में उसे इनवर्टर कारोबारी बताया गया है। रिवॉल्वर के लिए लाइसेंस फीस 50 हजार थी। जय ने इसके लिए विधायक इरफान सोलंकी से एक पत्र उस वक्त के डीएम को लिखवाया, जिसके आधार पर लाइसेंस फीस 50 हजार से घटाकर 20 हजार कर दी गई थी।
इसके बाद ही 19 जनवरी 2008 को उसे शस्त्र लाइसेंस जारी हुआ। पत्रावली के मुताबिक उसकी शस्त्र लाइसेंस फाइल पर बजरिया के तत्कालीन थाना प्रभारी एसके वर्मा ने 29 दिसंबर 2007 को रिपोर्ट लगाई थी कि उसके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं है। जांच के बाद यह माना गया है कि जय ने बाद में शस्त्र लाइसेंस के रिन्यूवल में अपने आपराधिक रिकार्ड को छिपाते हुए असत्य शपथ पत्र दिया था।
अभी चल रही जांच, चार्जशीट की तैयारी
जय के खिलाफ स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) के आदेश पर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से शस्त्र लाइसेंस बनवाने में बजरिया और पासपोर्ट बनवाने के मुकदमा नजीराबाद में दर्ज हुआ था। बजरिया में दर्ज शस्त्र लाइसेंस के मामले की जांच प्रभारी निरीक्षक सीसामऊ महेशवीर ङ्क्षसह कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मामले की जांच अभी चल रही है। चार्जशीट की तैयारी है और सप्ताह के अंत तक पुलिस जांच किसी निष्कर्ष पर पहुंच जाएगी। वहीं, नजीराबाद थाना प्रभारी ज्ञान ङ्क्षसह ने बताया कि पासपोर्ट मामले में चार्जशीट बनकर तैयार है। सोमवार को अदालत में विवेचक ने चार्जशीट पेश की की है।
तीनों मामलों में जालसाजी के आरोप से बचा रही पुलिस
जय के खिलाफ शस्त्र लाइसेंस, पासपोर्ट और गाड़ी में विधायक लिखा पास लिखा होने के मामले में पुलिस जांच कर रही है। गाड़ी में वाहन पास के मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, जबकि पासपोर्ट मामले में अभी अदालत ने चार्जशीट को संज्ञान नहीं लिया है जबकि तीसरे मामले में जांच अभी चल रही है। तीनों ही मामलों में जय को जालसाजी के गंभीर आरोपों से क्लीनचिट मिलते दिख रही है। गौरतलब है कि धोखाधड़ी में अधिकतम सात साल जबकि जालसाजी में आजीवन कारावास तक सजा हो सकती है।
-वर्ष 2005 से 2012 तक जय का भाई रजय बाजपेयी सपा का वार्ड अध्यक्ष था। उसके कहने पर ही मैंने जय के लिए सिफारिशी पत्र लिखा होगा। जय से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। लाइसेंस बनने के बाद ही फीस जमा होती है। मैं जनप्रतिनिधि हूं, अगर मेरे द्वारा किसी का भला होता है तो उसमें कोई क्या बुराई है। आगे जाकर व्यक्ति क्या करेगा, इसका निर्धारण पहले कैसे किया जा सकता है। -इरफान सोलंकी, विधायक