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Vikas Dubey News: विकास के मोबाइल में मिले 18 प्रापर्टी डीलरों के नंबर, लखनऊ के एक बिल्डर से हुई थी बात

बिकरू में घटना के बाद मोस्टवांटेड विकास दुबे के घर पर पुलिस को तलाशी में मिले दो मोबाइल फोन की कॉल डिटेल की जांच में सामने आया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 12:13 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 12:13 PM (IST)
Vikas Dubey News: विकास के मोबाइल में मिले 18 प्रापर्टी डीलरों के नंबर, लखनऊ के एक बिल्डर से हुई थी बात
Vikas Dubey News: विकास के मोबाइल में मिले 18 प्रापर्टी डीलरों के नंबर, लखनऊ के एक बिल्डर से हुई थी बात

कानपुर, जेएनएन। आठ पुलिस जवानों की शहादत के बाद विकास दुबे के घर से मिले दो मोबाइल फोन और कॉल डिटेल में कानपुर, लखनऊ, इटावा के करीब 18 प्रापर्टी डीलर व बिल्डर के भी नंबर सामने आए हैैं। पिछले महीने ही उनमें से सात लोगों से विकास की फोन पर बात हुई थी। पुलिस अब उनसे पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि प्रापर्टी डीलरों के जरिए विकास या तो जमीनों की खरीद फरोख्त में जुटा था या फिर उन्हें धमका रहा होगा।

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29 अगस्त 2019 को विकास के जेल से छूटने के बाद से पुलिस ने उसके मोबाइल फोन की कॉल डिटेल निकलवाई है। इसके जरिए विकास की लोकेशन, कनेक्शन व आपराधिक नेटवर्क का पता लगाया जा रहा है। माना जा रहा है कि वारदात से पहले और फरार होने के बाद विकास ने इनमें से ही किसी की मदद ली होगी। पुलिस सूत्रों ने बताया कि पिछले माह विकास की लखनऊ के एक बिल्डर और शहर के छह लोगों से बात हुई थी। पुलिस उन सभी से पूछताछ करने से पहले उनके मोबाइल नंबरों की छानबीन कर रही है। एसपी ग्रामीण बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि कॉल डिटेल के आधार पर कई बिंदुओं पर जांच की जा रही हैै।

एसटीएफ ने दोहराया क्राइम सीन

बिकरू कांड की जांच कर रही एसटीएफ ने मंगलवार को क्राइमसीन दोहराया। एक ओर पुलिस वाले थे, दूसरी ओर पुलिसवाले ही बदमाश बनकर छतों पर चढ़े थे। इन्हें दो जुलाई को हुए घटनाक्रम की तरह ही पुलिस वालों पर हमला करना था। एसटीएफ की इस कवायद का मुख्य मकसद डिफेंसिव क्राइम सीन समझना था।

मुठभेड़ में घायल और मौके से भाग खड़े हुए पुलिसकर्मियों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने मंगलवार को क्राइम सीन दोहराया। देर शाम एसटीएफ निलंबित एसओ विनय तिवारी को सादा कपड़ों में लेकर पहुंची। उसी तरह पुलिस वाले विकास के घर आगे बढ़े जैसे 2 जुलाई की रात दबिश की रणनीति तय की गई थी। पुलिस वालों पर जिस तरह हमला हुआ, विशेष तौर पर उस सीन को दोहराया गया। अधिकारी यह देखना चाहते थे कि आखिर किन परिस्थितियों में पुलिस अपना बचाव नहीं कर सकी। इस दौरान गांव के अंदर किसी के भी आने-जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। 


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