Vikas Dubey News: बिकरू कांड में सामने आई पुलिस की एक और चूक, मुकदमे में नहीं दफा 34
कानून के जानकारों की मानी जाए तो सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के मुकदमे में धारा 34 लगने पर आरोपितों को बचना मुश्किल होगा।
कानपुर, जेएनएन। दो जुलाई को सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के मामले में एक बड़ी चूक सामने आई है। पुलिस भले आरोप लगा रही हो कि विकास दुबे ने गिरोहबंद होकर एकराय से पुलिस वालों पर हमला बोला, लेकिन इस आरोप को तय करने वाली धारा 34 मुकदमे में गायब है। कानून के जानकारों के मुताबिक इससे आरोपितों को लाभ मिल सकता है।
बिना धारा कोर्ट में गिरोहबंदी साबित करना होगा मुश्किल
पुलिस ने चौबेपुर थाने में विकास दुबे और उसके साथियों पर आइपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 394 और 120बी और क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। घटना के बाद से पुलिस लगातार यह दावा कर रही है कि विकास को दबिश के बारे में पहले से पता चल गया था। इसके बाद उसने गुर्गों को जमा किया और पुलिस पर हमला बोल दिया। कानून के जानकारों के मुताबिक पुलिस ने मुकदमे में आइपीसी की धारा 34 का प्रयोग नहीं किया है। इससे कोर्ट में पुलिस यह साबित नहीं कर पाएगी कि हमला गिरोहबंद होकर एकराय से किया गया। एसपी ग्रामीण बृजेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि जांच चल रही है। जांच के दौरान साक्ष्यों के आधार पर विवेचक धाराएं बढ़ाएंगे। अभी धारा 34 नहीं लगाई गई है।
कानून के जानकारों की राय
वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र वर्मा का कहना है कि धारा 34 से सभी आरोपित पुलिस कर्मियों की हत्या के लिए जिम्मेदार होंगे, भले ही वह हत्या में शामिल हों या नहींं। हालांकि एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता कौशल किशोर शर्मा का मानना है कि धारा 149 पर्याप्त है, लेकिन धारा 34 भी लग जाए तो और बेहतर होगा। पुलिस को वारदात की एकमात्र चश्मदीद गवाह मनु पांडेय का कोर्ट में बयान भी करा देना चाहिए, उसका बयान अधिक विश्वसनीय होगा।
क्या होती है धारा 34
आइपीसी (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 34 के अनुसार जब एक आपराधिक कृत्य दो या अधिक व्यक्तियों ने सामान्य इरादे से किया हो, तो प्रत्येक व्यक्ति ऐसे कार्य के लिए जिम्मेदार होता है।
क्या होगी सजा
आइपीसी 1860 की धारा 34 में किसी अपराध की सजा की बारे में नहीं बताया गया है, बल्कि एक ऐसे अपराध के बारे में बताया गया है जो गिरोहबंद होकर किया गया हो। इस धारा में एक ऐसे अपराध के बारे में बताया गया, जो किसी अन्य अपराध के साथ किया गया। ऐसे अपराध में सभी अपराधियों की मंशा एक समान होती हैं और पहले से ही आपस में प्लानिंग करते हैं। इसमें शामिल हर व्यक्ति आपराधिक कार्य के लिए सभी के साथ अपनी भूमिका निभाता है तो सजा का इस प्रकार हकदार होता है मानो वह कार्य अकेले उसी ने किया हो।