Vikas Dubey News: 22 साल पहले भी विकास ने किया था पुलिस पर हमला, हिरासत से हुआ था फरार
Vikas Dubey Latest News गिरफ्तारी के विरोध में बवाल के बाद पुलिस खाली हाथ लौटी थी शिवली थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था।
कानपुर, जेएनएन। विकास दुबे में पुलिस से भिडऩे की पुरानी आदत थी, जैसे-जैसे उसके अपराधी जीवन का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है, नए-नए राज उजागर हो रहे हैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक 22 साल पहले भी विकास पुलिस पर हमला करके अभिरक्षा से फरार हो गया था। तब उसके खिलाफ शिवली थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था।
गिरफ्तारी के विरोध में की थी मारपीट
पुलिस के अनुसार यह घटना 9 मई 1998 की है। शिवली थाने में दर्ज एक मुकदमे में आरोपित होने की वजह से तत्कालीन एसएसआइ बिजेन्द्र सिंह, एएसआइ शिव सिंह, सिपाही रामकिशोर, लायक सिंह, प्रतिपाल सिंह और होमगार्ड शांति कुमार के साथ दोपहर सवा तीन बजे बिकरू गांव पहुंचे थे। पुलिस ने विकास दुबे व उसके भाई दीपू दुबे को गिरफ्तार कर लिया था। आरोप है कि उसी समय विकास की मां, पत्नी व भाई अविनाश दुबे ने 15-16 लोगों के साथ पुलिस पर हमला कर दिया और मारपीट करके दोनों अभियुक्तों को पुलिस अभिरक्षा से छुड़ा लिया। पुलिस को तब भी गांव से खाली हाथ वापसी के लिए विवश होना पड़ा था। शिवली थाने में नामजद मुकदमा भी दर्ज किया गया था।
बम कांड में भी गवाह न होने से हो गए थे बरी
विकास दुबे के खौफ के कारण कभी कोर्ट में गवाह खड़े नहीं हो सके। संतोष शुक्ला हत्याकांड की तरह पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष लल्लन वाजपेयी के घर पर हुए बम कांड में विकास और उसका भाई दीपू दुबे बरी हो गए थे। मामले में सात लोगों को आजीवन कारावास की सजा मिली थी। गवाहों के मुकरने पर बरी होने के बाद उसकी दबंगई और बढ़ी थी। कौशल किशोर के भाई राज किशोर ने विकास दुबे, उसके भाई दीपू दुबे, शशिकांत, कुमुद, सुनील, कमलेश, रमेश जोशी, राम बाबू, जाहिद व आजाद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। उस समय विकास जेल में बंद था। मुकदमे का ट्रायल शुरू होने पर ज्यादातर गवाह मुकर गए थे। इसी आधार पर विकास, उसका भाई दीपू व शशिकांत बरी हुए थे। बाकी लोगों को वर्ष 2012 में आजीवन कारावास की सजा मिली थी। एक आरोपित भोजपुरवा निवासी जाहिद गैंगवार में मारा गया था। अब मामले की फाइल को एसआइटी ने कब्जे में लेकर पड़ताल शुरू की है।