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Vikas Dubey Case: जेल भेजा गया विकास दुबे का 'खजांची' जय बाजपेई और साथी प्रशांत शुक्ला

Vikas Dubey Case विकास दुबे के मैनेजर के रूप में चर्चित जय बाजपेई के साथ उसके एक साथी प्रशांत शुक्ला को पुलिस ने मशक्कत के बाद सोमवार को जेल भेज दिया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 02:48 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 12:31 AM (IST)
Vikas Dubey Case: जेल भेजा गया विकास दुबे का 'खजांची' जय बाजपेई और साथी प्रशांत शुक्ला
Vikas Dubey Case: जेल भेजा गया विकास दुबे का 'खजांची' जय बाजपेई और साथी प्रशांत शुक्ला

कानपुर, जेएनएन। दुर्दांत गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद अब उसके साथियों पर भी पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। विकास दुबे के 'खजांची' जय बाजपेयी और उसके साथी प्रशांत शुक्ला को रविवार देर रात तक चले हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। सोमवार दोनों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। आरोप है कि दो जुलाई को घटना से पहले उसने ही विकास दुबे को रुपये और कारतूस पहुंचाए थे।

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जय बाजपेयी पिछले 15 दिन से पहेली बना था। रविवार शाम उसके सुरक्षित घर पहुंचने पर खबर सामने आई तो सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हो गया। हालांकि पुलिस ने बताया था कि कुछ कागजात बरामद करने के लिए उसे घर ले जाया गया था। देर रात एसएसपी दिनेश कुमार पी ने नजीराबाद थाने में जय से पूछताछ की तो पता चला कि उसने ही पुलिस कर्मियों की हत्या से एक दिन पहले विकास दुबे को दो लाख रुपये और 25 कारतूस दिए थे। जांच में जय के लाइसेंसी रिवाल्वर में 25 कारतूस कम भी मिले। वह यह नहीं बता सका कि उसने इन कारतूस का इस्तेमाल कहां पर किया है। इसी से शक गहराया और सच्चाई सामने आई।  

विकास दुबे के काले कारोबार में बड़े सहयोगी जय बाजपेई व प्रशांत शुक्ला को अदालत में पेश किया गया। जिसके बाद चौबेपुर पुलिस ने मेडिकल कराने के बाद जेल भेज दिया। जय बाजपेई को विकास दुबे का मैनेजर माना जाता है। वह विकास दुबे को आर्थिक मदद करने के अलावा कारतूस और फरार होने में वाहन भी उपलब्ध कराता था। कानपुर से विकास दुबे को भगाने में जय बाजपेई और उसके साथी ने मदद की थी।

कानपुर की नजीराबाद पुलिस रविवार शाम को जय बाजपेई को लेकर उसके घर भी गई थी। कल एसएसपी व एसपी समेत कई थानों की फोर्स देर रात नजीराबाद थाने में मौजूद थी। जहां पर जय बाजपेई से यूपी एसटीएफ ने भी पूछताछ की। जय बाजपेई को 13-14 दिन हिरासत में रखने के बाद एसटीएफ ने रविवार को छोड़ दिया था। उसके छोड़े जाने पर काफी शोर मचा तो पुलिस ने रविवार देर रात तक काफी कश्मकश के बाद जय बाजपेई और उसके एक साथी प्रशांत शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने जय पर घटना के दो दिन पहले विकास दुबे को दो लाख रुपये और 25 कारतूस देने के आरोप समेत कई धाराओं में देर रात नजीराबाद थाने में मुकदमा दर्ज किया है।

चौबेपुर के बिकरू कांड के बाद एसटीएफ जय बाजपेई को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही थी। 15 दिन बाद रविवार की शाम वह सुरक्षित घर पहुंचा तो बखेड़ा खड़ा हो गया। देर रात पुलिस ने जय को दोबारा घर से हिरासत में लिया था। इसके बाद एसएसपी दिनेश कुमार प्रभु ने नजीराबाद थाने पहुंचकर उससे पूछताछ की। पुलिस के अनुसार, यहां पर पूछताछ में सामने आया कि जय ने घटना के दो दिन पहले विकास दुबे को दो लाख रुपये और 25 कारतूस दिए थे। पुलिस की जांच में लाइसेंसी रिवाल्वर में 25 कारतूस की खरीद मिली, लेकिन वह नहीं बता सका कि कारतूस कहां प्रयोग किए।

एफआईआर के मुताबिक 4 जुलाई को जय बाजपेई अपने साथी प्रशांत शुक्ला उर्फ डब्बू निवासी आर्य नगर के साथ तीनों गाडिय़ों में विकास दुबे और उसके गैंग को कानपुर से सुरक्षित निकालने की तैयारी कर रहा था। पुलिस की सक्रियता के चलते वह इस काम को अंजाम नहीं दे सका और तीनों कार विजय नगर चौराहे के पास छोड़कर भाग खड़ा हुआ। इसलिए तीनों गाड़ियों की नंबर प्लेट हटाकर लावारिस हालत में छोड़ दिया। पुलिस ने जय बाजपेई और साथी प्रशांत शुक्ला को दो जुलाई की घटना में साजिश का आरोपी बनाया है और नजीराबाद थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।

जय का रिवॉल्वर और पासपोर्ट जब्त

विकास दुबे के खजांची जय बाजपेई पर पुलिस का शिकंजा कसना शुरू हो गया है। पुलिस ने रविवार को जय की रिवॉल्वर, शस्त्र लाइसेंस और पासपोर्ट जब्त कर लिए। इसके साथ ही शस्त्र लाइसेंस और पासपोर्ट के निरस्तीकरण की फाइल भी तैयार कर ली गई है। निरस्तीकरण के लिए दस्तावेज सोमवार को जिलाधिकारी को भेजे जाएंगे। आपराधिक मुकदमे के बावजूद जय का शस्त्र लाइसेंस बना था। उसके पास पासपोर्ट भी था और वह विदेश भी जाता था। तत्कालीन एएसपी कन्नौज केसी गोस्वामी की सवा दो साल से दबी हुई रिपोर्ट दैनिक जागरण में प्रकाशित होने के बाद पुलिस महकमे ने कार्रवाई का डंडा चलाना शुरू किया है। शस्त्र लाइसेंस और पासपोर्ट निरस्तीकरण के लिए एसएसपी ने शनिवार को बजारिया और नजीराबाद पुलिस को आदेशित किया था। इंस्पेक्टर बजरिया राममूर्ति यादव ने बताया कि शस्त्र लाइसेंस और पासपोर्ट निरस्तीकरण की कार्यवाही भी पूरी कर ली गई है। फाइल अनुमोदन के लिए एसएसपी के यहां भेज भी दी गई है।

जय बाजपेई विकास दुबे के फंड मैनेजर की तरह काम कर रहा था जिसके बदौलत कानपुर शहर से लेकर विदेश तक में उसने अरबों की बेनामी संपत्ति जुटा ली और आयकर विभाग को पता भी नहीं चला। जय बाजपेई की दुबई, थाईलैंड में 30 करोड़ रुपए की संपत्ति है। इसके अलावा कानपुर शहर के अंदर ब्रह्मनगर में छह मकान, आर्यनगर के एक अपार्टमेंट में आठ फ्लैट और पनकी में एक डुप्लेक्स कोठी है। इनकी अनुमानित कीमत 28 करोड़ रुपए बताई जा रही है। जय और विकास के बीच बैंक के जरिए लेन-देन के ठोस सबूत मिल चुके हैं। सोशल मीडिया में दो किलो सोने से लदी अपनी और बच्चे की तस्वीर जय ने कुछ दिन पहले पोस्ट की थी।

चार हजार रुपए महीने कमाने वाले जय बाजपेई ने खोली 1.5 करोड़ की दुकान

जय बाजपेई का कानपुर में ब्रह्मनगर में पालतू जानवरों का एक आलीशान शोरूम है। यहां पर 20 से 50 हजार रुपए की बिल्लियां, 50 हजार से एक लाख रुपए के कुत्ते और बेहद महंगी दुर्लभ प्रजाति की मछलियों का व्यापार खास तौर पर होता है। खास बात ये है कि पालतू पशुओं के इस मॉल का मालिक महज छह साल में करोड़पति बन गया। पहले इस मॉल का मालिक ब्रह्मनगर स्थित पालतू पशुओं की शॉप में केवल चार हजार रुपए महीने की नौकरी करता था।

कुछ ही वर्षों में बना अरबपति

चार हजार रुपए की नौकरी से चंद वर्षों में अरबपति बने जयकांत बाजपेई उर्फ जय बाजपेई की संपत्तियों, बैंक खातों और नकद लेन-देन की जांच आयकर विभाग की बेनामी विंग (शाखा) और आयकर निदेशालय (जांच) ने शुरू कर दी है। अभी तक जय के दो और उसकी पत्नी के एक खाते को जांच के दायरे में लिया गया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और विजया बैंक के खातों के अलावा बेनामी अकाउंट्स की भी जांच की जा रही है। इसके तहत उसके भाई रजय बाजपेई और परिवार के खातों को भी खंगाला जाएगा। जय से कारोबारी लेन-देन करने वाले सात और लोगों को भी जांच के दायरे में लाया गया है। इन सभी का कानपुर के जयकांत बाजपेई के साथ नियमित लेन-देन था। यह बैंक खातों के अलावा नकदी का भी उपयोग किया जाता था।

बेनामी खातों की तलाश शुरू

विदेशों में संपत्ति की जड़ें तलाश रही टीम को इस बात का अंदेशा है कि यह सौदा बेनामी खातों और हवाला नेटवर्क के जरिए किया गया है। आयकर टीम उन खातों और हवाला रैकेट तक पहुंचने की कोशिश करेगी। विदेशी संपत्तियों की छानबीन में छोटा सा सुराग हाथ लगते ही फेमा के तहत कारवाई की तैयारी भी की जा रही है। विभाग इस बात की जांच कर रहा है कि विदेशों में यदि संपत्ति खरीदी गई तो पैसे कैसे ट्रांसफर किए गए। संपत्ति खरीद में लेन-देन के स्रोत तलाशे जाएंगे। अभी तक जय के बैंक खातों से इस बात के प्रमाण नहीं मिले हैं कि पैसे विदेशों में भेजे गए हों। अधिकारियों को संदेह है कि विदेशों में पैसा खपाने के लिए हवाला रैकेट का इस्तेमाल किया गया है।

आय के स्रोत की जांच होगी

कानपुर में खरीदी गई सम्पतियों के स्रोत क्या हैं, इसकी जांच अलग टीम कर सकती है। साथ ही 50 हजार रुपए सालाना कमाने वाला व्यक्ति 7 साल में 12 लाख का आईटीआर कैसे भरने लगा, इसे भी जांच में शामिल किया गया है। आयकर विभाग उन जांच रिपोर्टों पर भी गौर कर सकता है जो स्थानीय प्रशासन की ओर से बीच में कराई गई थी। 

जय बाजपेई की तीन लावारिस लग्जरी कारें बरामद

कानपुर एनकाउंटर के बाद पुलिस ने विजय नगर (कानपुर) से तीन लावारिस लग्जरी कारें बरामद की थीं। जांच की गई तो पता चला कि कारें जय की हैं। इसके बाद पुलिस ने जय के असलहा और कारतूस की जांच शुरू की। एसएसपी दिनेश कुमार पी के मुताबिक, जय के घर से 20 से ज्यादा कारतूस कम पाए गए। पूछताछ में ठीक जवाब नहीं दे सका। पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम की जांच में सामने आया कि जय बाजपेई ने घटना से कुछ दिन पहले विकास को कारतूस सप्लाई किए थे।


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