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चंपत राय ने कहा, मंदिर निर्माण को और चाहिए पत्थर, पत्थर खदान को वन विभाग के दायरे से बाहर लाए राजस्थान सरकार

विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा है कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए 3.75 लाख घन फीट पत्थर और चाहिए। देश भर से इकट्ठा की जा रही समर्पण निधि की 1050 ऑडिट रिपोर्ट तैयार की जाएंगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 14 Feb 2021 07:52 AM (IST)Updated: Sun, 14 Feb 2021 07:52 AM (IST)
चंपत राय ने कहा, मंदिर निर्माण को और चाहिए पत्थर, पत्थर खदान को वन विभाग के दायरे से बाहर लाए राजस्थान सरकार
कानपुर में विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष ने जुटाई समर्पण निधि।

कानपुर, जेएनएन। श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों की आपूर्ति शुरू करने को राजस्थान सरकार संबंधित क्षेत्र की पत्थर खदान को वन विभाग के दायरे से बाहर लाए। ये बात शनिवार को विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय ने लालबंगला में सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही।

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उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए 60 हजार घन फीट पत्थर नक्काशी के साथ तैयार हैं। अभी करीब 3.75 लाख घन फीट पत्थर की और जरूरत है। राजस्थान के भरतपुर स्थित जिस क्षेत्र की खदान से ये पत्थर आते हैं, वह अभी बंद है। राजस्थान सरकार से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि उन्हें वन विभाग के दायरे से बाहर लाए। कहा कि राजस्थान में वन क्षेत्र घटना नहीं चाहिए। इसलिए सरकार किसी और स्थान को वन क्षेत्र घोषित करे।

उन्होंने बताया कि खदान वाले क्षेत्र में जंगल तो है, लेकिन वन्य जीव नहीं हैं। राजस्थान सरकार भी देश के गौरव के प्रति उतनी ही जागरूक बने, जितना बाकी देश है। कहा कि यह राष्ट्र के गौरव का मंदिर है। किसी राजनीतिक लाभ का नहीं। अगर किसी को ऐसा लग रहा है तो वह भी अपने कार्यकर्ताओं को इसमें लगाकर लाभ उठा ले। जिन लोगों ने साढ़े तीन दशक पहले इस आंदोलन में भाग लिया, वर्तमान में वे सत्ता में हैं तो उसमें उनकी गलती नहीं है। बाकी सभी के लिए भी मैदान खुला है। यह भगवान का घर बन रहा है और इसमें मुस्लिम समाज भी सहयोग कर रहा है।

उन्होंने कहा कि मंदिर को जितना लंबा व चौड़ा बनना है, उतने हिस्से पर ठोस प्लेटफार्म रहेगा। मार्च के अंत तक नींव को ऊपर उठाने का कार्य शुरू कर देंगे। हर दो-दो फीट पर रोल चलाया जाएगा। लोगों की कल्पना से भी बहुत अधिक समर्पण राशि मिल रही है। हिसाब में भी पूरी पारदर्शिता रखी जा रही है। कानपुर का ऑडिट चार आडिटर कर रहे हैं, जबकि देश में 1,050 ऑडिट रिपोर्ट तैयार होंगी।


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