स्वर्गवासी अनिल... कोर्ट में हाजिर हों, हास्यास्पद है कानपुर के बिजली विभाग और पुलिस का ये कारनामा
बिजली विभाग ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी और पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी थी। नौ साल से कोर्ट से समन दर समन भी जारी हो रह हैं। अब जब गिरफ्तारी वारंट जारी होने पर विवेचक को तलब किया गया तो पूरा मामला सामने अाया है।
कानपुर, [आलोक शर्मा]। ये व्यवस्था की ही खोट है कि नौ साल से मृत व्यक्ति पर मुकदमा चल रहा है। कोर्ट स्वर्गवासी अनिल को समन दर समन भेजकर हाजिर होने की ताकीद कर रही है। हालांकि, इसमें कोर्ट की कोई खामी नहीं है। इस गलती के पीछे हैं बिजली विभाग और पुलिस महकमा। बिजली विभाग ने मृत व्यक्ति के खिलाफ बिजली चोरी की रिपोर्ट लिखाई और पुलिस के विवेचक ने भी बिना कुछ पता किए चार्जशीट दाखिल कर दी। कई बार समन भेजने के बाद जब गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ तो सच सामने आया। अब कोर्ट ने विवेचक को तलब किया है। मामले की सुनवाई 24 फरवरी को होगी।
यह था मामला
कल्याणपुर निवासी अनिल चतुर्वेदी की वर्ष 1994 में मौत हो चुकी है। वर्ष 2011 में केस्को के प्रवर्तन दस्ते ने उनके मकान में छापा मारा। कनेक्शन कटने के बाद कटिया से बिजली जलते मिलने पर विद्युत अधिनियम की धारा 138 के तहत उनपर मुकदमा दर्ज करा दिया। मामले की विवेचना तत्कालीन एसआइ जय ङ्क्षसह ने की। उन्होंने भी अनिल के खिलाफ कटिया डालकर बिजली चोरी को सही ठहराते हुए कोर्ट में 26 सितंबर 2011 को चार्जशीट दाखिल कर दी। आरोप तय होने के बाद न्यायालय ने अनिल को कोर्ट में हाजिर होने के लिए समन भेजने शुरू किए।
पुलिस पहुंची घर तो सच चला पता
समन जारी होने के बाद भी अनिल के हाजिर नहीं होने पर न्यायालय की ओर से गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ। जब वारंट तामील कराने पुलिस उनके घर पहुंची तो पता चला कि उनकी आठ जनवरी 1994 को ही मौत हो चुकी है। स्वजन ने वारंट के साथ उनका मृत्यु प्रमाण पत्र भी दाखिल किया।
पिछले माह विवेचक को जारी हुआ नोटिस
कोरोना के कारण करीब आठ माह तक मुकदमों की सामान्य सुनवाई नहीं हुई, जिससे ये मामला भी लंबित रहा। केस्को के अधिवक्ता अमरेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि न्यायालय ने विवेचक जय सिंह को तलब किया है। थाना प्रभारी को आदेशित किया गया है कि विवेचक जहां कहीं भी हों, उन्हें न्यायालय में हाजिर करें। अधिवक्ता के मुताबिक, चार्जशीट से साफ जाहिर है कि थाने में ही बैठकर विवेचक ने केस डायरी लिख दी। केस्को ने गलती की थी, लेकिन पुलिस भी लापरवाह बनी रही। इससे वह गलती अब तक बरकरार है।
चार्जशीट के बजाय लगानी चाहिए थी अंतिम रिपोर्ट
अधिवक्ता बताते हैं, मृतक के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था तो विवेचक को चार्जशीट की बजाय अंतिम रिपोर्ट लगानी चाहिए थी या जो लोग बिजली चोरी करके उस दौरान उपभोग कर रहे थे, उनके खिलाफ रिपोर्ट कोर्ट में देनी चाहिए थी।