बड़ी दर्दनाक है बांदा के इन बच्चाें की कहानी, तीन माह में सड़क हादसों ने छीना माता-पिता का साया
देहात कोतवाली क्षेत्र के कलेक्टर पुरवा निवासी रविकरन की 30 वर्षीय पत्नी सोना अपने तीन बच्चों व अन्य पारिवारिक लोगों के साथ दिल्ली में रहकर मजदूरी करती थी। बारिश की वजह से गांव के कच्चे मकानों की मरम्मत करने के लिए वह दिल्ली से सुबह बांदा स्टेशन आए थे।
बांदा, जेएनएन। पति की मौत के तीन माह बाद उसकी विधवा पत्नी की सांसें भी थम गईं। दरअसल, महिला की मौत अनियंत्रित आटो खंती में पलटने के कारण हुई। हादसे में उसके तीन बच्चों को मामूली चोटें आईं। जबकि परिवार के छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। सभी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
यह है पूरा मामला: देहात कोतवाली क्षेत्र के कलेक्टर पुरवा निवासी रविकरन की 30 वर्षीय पत्नी सोना अपने तीन बच्चों व अन्य पारिवारिक लोगों के साथ दिल्ली में रहकर मजदूरी करती थी। बारिश की वजह से गांव के कच्चे मकानों की मरम्मत करने के लिए वह दिल्ली से सुबह संपर्कक्रांति एक्सप्रेस से बांदा स्टेशन आए थे। यहां से गांव जाने के लिए सभी लोगों ने आटो बुक की थी। आटो जैसे ही कलेक्टर पुरवा के पहले हथौरा गांव के पास आटो की स्टेरिंग अनियंत्रित हो गई। इससे वह रोड किनारे खंती में पलट गया। चीख-पुकार सुनकर ग्रामीणों ने आटो में फंसे घायलों को बाहर निकलवाया। बाद में गंभीर रूप से घायल सोना, रामचंद्र चुनूबादी, अक्षय, विजय, राजेश व निशा को एंबुलेंस से जिला अस्पताल भेजा। जहां उपचार के दौरान कुछ देर बाद सोना की मौत हो गई। देवर ओमप्रकाश व अन्य स्वजन ने बताया कि सोना के पति यानि उनके बड़े भाई की तीन माह पहले गुड़गांव में सड़क हादसे में मौत हो गई थी।
तीन माह में सड़क हादसों ने छीना माता-पिता का साया: दो अलग-अलग जगह हुए सड़क हादसों में जिस सोना व उसके पति रविकरन की मौत हो चुकी है। उनके तीन मासूम बच्चे हैं। उनके सिर से माता-पिता दोनों का साया छीन चुका है। ऐसे में बाबा किशोर व चाचा ओमप्रकाश का कहना है कि बिना माता-पिता के तीनों बच्चों की अब वही परिवार के साथ मिलकर किसी तरह परिवारिश करेंगे।