# Good News : कानपुर में अब Oxygen Plant लगाने की एजेंसी बनेगा UPSIC
सरकारी अस्पतालों के साथ ही निजी में भी प्लांट लगाने की योजना पर काम हो रहा है। इसके साथ ही निजी क्षेत्र को भी बिना एनओसी के ही दिसंबर तक प्लांट लगा लेने के लिए कहा गया है। कई बड़ी कंपनियां जगह-जगह प्लांट लगा रही हैं।
कानपुर, जेएनएन। उप्र लघु उद्योग निगम (यूपीएसआइसी ) अब आक्सीजन प्लांट लगाने की एजेंसी बनेगा। इस बार की कैबिनेट बैठक में उसे आक्सीजन प्लांट लगाने की एजेंसी का दर्जा मिलने की उम्मीद है। इसके बाद सरकारी औरनिजी अस्पतालों के प्रबंधन निगम को सीधे प्लांट लगाने के लिए आर्डर दे सकेंगे। साथ ही निगम अस्पतालों में आक्सीजन की पाइप लाइन बिछाने और प्लांट का बेस बनाने का भी काम करेगा।
एजेंसी बनने की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। साथ ही कानपुर समेत एक दर्जन जिलों के डीएम ने प्लांट लगाने के लिए एस्टीमेट भी मांग लिया है। कानपुर के डफरिन अस्पताल में पांच सौ लीटर प्रति मिनट क्षमता के साथ ही हैलट के मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल और जच्चा बच्चा अस्पताल में भी प्लांट लगाने के लिए निगम ने एस्टीमेट तैयार कर लिया है। आक्सीजन उत्पादन के क्षेत्र में सूबे को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में राज्य सरकार तेजी से काम कर रही है।
सरकारी अस्पतालों के साथ ही निजी में भी प्लांट लगाने की योजना पर काम हो रहा है। इसके साथ ही निजी क्षेत्र को भी बिना एनओसी के ही दिसंबर तक प्लांट लगा लेने के लिए कहा गया है। कई बड़ी कंपनियां जगह-जगह प्लांट लगा रही हैं। सरकारी अस्पतालों में प्लांट लगाने के लिए निगम को अब अधिकृत किया जाएगा। इसके लिए निगम की ओर से प्लांट बनाने वाली कंपनियों का पैनल बनाया जा रहा है। फिलहाल, निगम के पैनल में तीन कंपनियां शामिल हो गई हैं। हर कंपनी के प्लांट का स्टैंडर्ड रेट होगा। उनमें से ही किसी एक कंपनी को निगम प्लांट लगाने का काम देगा। इससे अब टेंडर की प्रक्रिया से भी मुक्ति मिल जाएगी और प्लांट तेजी से लगेंगे। प्लांट लगाने के लिए कुल कीमत का तीन फीसद सेवा शुल्क निगम को मिलेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए एस्टीमेट तैयार हैं। जल्द ही अस्पतालों में प्लांट लगाने का काम शुरू होगा।
फिलहाल इन जिलों में लगेंगे प्लांट : लखमीपुर में सरकारी अस्पतालों में छह, हरदोई में तीन, अयोध्या, रायबरेली, एटा, हाथरस, अलीगढ़ व महोबा में एक-एक, कौशांबी, सीतापुर, हमीरपुर, मुरादाबाद, गोंडा में दो- दो, सहारनपुर में सात।