गंगा को बचाने के लिए शहर की 191 टेनरियों पर लटके ताले, उत्पादन ठप
उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नोटिस दी है। शहर की 249 टेनरी सीईटीपी चालू होने तक बंद रखनी होंगी। इससे टेनरी मालिकों को करोड़ों का नुकसान होगा।
कानपुर, जागरण संवाददाता। गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए एनजीटी की निगरानी समिति की रिपोर्ट पर उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 249 टेनरियों की बंदी के आदेश जारी कर दिए हैं। बोर्ड के अधिकारियों ने 191 टेनरी संचालकों को नोटिस थमा दिए, इससे इन सभी पर ताले लग गए हैं। शेष टेनरियां भी बंद कर दी जाएंगी। जल निगम की नाकामी की सजा आखिरकार कानपुर के चमड़ा उद्योग को भुगतनी पड़ रही है।
जाजमऊ स्थित कॉमन इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) को पूरी क्षमता पर अब तक जल निगम नहीं चला सका है। नाकाबिल अधिकारियों की वजह से गंगा में नालों और टेनरियों का डिस्चार्ज गिर रहा है। इसकी मार कानपुर को पहचान दिलाने वाले चमड़ा उद्योग पर पड़ी है। वाजिदपुर स्थित स्मार्ट ट्रेनर्स में उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी आशुतोष पांडेय ने 191 टेनरी संचालकों को बंदी के नोटिस थमाए। उन्होंने बताया कि इसमें जाजमऊ की बड़ी टेनरी सुपर टेनरी, इंडियन टेनरी इंडस्ट्रीज, नार्दर्न टेनरी, सुल्तान टेनरी, शिवान टेनरी, न्यू लाइट टैनिंग इंडस्ट्रीज, अपर इंडिया टेनरी और एशिया टैनिंग इंडस्ट्रीज आदि हैं, जो मंगलवार को बंद कर दी गईं। बुधवार को बाकी टेनरी भी बंद हो जाएंगी। सीईटीपी पूरी क्षमता से चालू होने तक सभी टेनरी बंद रहेंगी।
250 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन
कानपुर से चमड़ा और चर्म उत्पादों का करीब 5000 करोड़ रुपये का निर्यात होता है। उद्यमी अशरफ रिजवान का कहना है कि सीईटीपी के संचालन, सत्यापन और फिर टेनरी संचालन के आदेश में कम से कम दस दिन का वक्त लग सकता है। अचानक आए फैसले से कच्चा माल फंस गया है, जो खराब होगा। उन्होंने बताया कि जिन्होंने ऑर्डर ले रखे थे, वह पूरे नहीं होंगे। करीब 40 जूता निर्माता ऐसे हैं, जिनकी खुद की टेनरी है। वह स्टॉक नहीं रखते। उनका माल तैयार नहीं होगा। इस तरह कम से कम 250-300 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
मोहलत को लगाई लखनऊ तक दौड़
अवध टेनरी जाजमऊ में चमड़ा उद्योग से जुड़े टेनरी मालिक व व्यापारियों ने बैठक की। स्माल टेनर्स एसोसिएशन के हफीजुर्रहमान बाबू ने कहा कि बंदी का आदेश अचानक से आया है। 249 छोटी व बड़ी टेनरियों में इस समय पीक सीजन के चलते चमड़ा भारी मात्रा में तैयार किया जा रहा है। कच्चा चमड़ा पैंडिल व ड्रम में भरा है। इसके बाद क्रोमियम व वेजिटेबल टैङ्क्षनग प्रक्रिया में कम से कम पांच से सात दिन का समय लगता है। इसे तुरंत निकाला गया तो करोड़ों की बर्बादी होगी।
साथ ही इसके सडऩे से बीमारी भी फैल सकती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व सरकार से मांग रखी कि 24 नवंबर तक का समय दे दिया जाए। इसके बाद खुद ही टेनरियों में गीला काम बंद कर देंगे। मो. फिरोज ने कहा कि प्लांट के अधिकारियों की धीमी मरम्मत रफ्तार के कारण हम लोग परेशान हो रहे हैं। आखिर उनकी गलती की सजा हम लोगों को क्यों दी जा रही है। इसके बाद दर्जनों टेनरी मालिक प्लांट पहुंचे और मरम्मत कार्य के साथ ही आ रहे सीवेज को देखा। धीमे कार्य पर उन लोगों ने नाराजगी जताई। वह लखनऊ जाकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव से भी मिले, लेकिन उन्होंने भी सीईटीपी चालू होने तक की शर्त सुना दी।
सात टीमें करेंगी निगरानी
टेनरी बंदी की निगरानी के लिए मंगलवार को प्रभारी जिलाधिकारी व सीडीओ अक्षय त्रिपाठी ने बैठक की। उन्होंने बताया कि निगरानी के लिए सात टीम बनेंगी। हर टीम में एसीएम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केस्को, जल निगम और पुलिस अधिकारी शामिल होंगे। जल निगम के महाप्रबंधक आरके अग्रवाल का कहना है कि 36 एमएलडी सीईटीपी की मरम्मत चल रही है। फिलहाल एक रिएक्टर कार्य कर रहा है। 30 नवंबर तक काम पूरा कर लिया जाएगा।