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कुलदीप सेंगर की राजनीतिक विरासत सहेजना संगीता के लिए होगी 'अग्निपरीक्षा', सामने हैं यह चुनौतियां

Kuldeep Singh Sengar सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के लिए कहा जाता है कि एक बार जिस सीट से विधायक बने फिर उसपर चुनाव न लड़ते हुए नई रणनीति के तहत क्षेत्र बदल दिया। वह सबसे पहले 2002 में सदर विधानसभा से बसपा के टिकट विधायक बने।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 10:33 PM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 10:33 PM (IST)
कुलदीप सेंगर की राजनीतिक विरासत सहेजना संगीता के लिए होगी 'अग्निपरीक्षा', सामने हैं यह चुनौतियां
सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उनकी पत्नी संगीता सेंगर।

उन्नाव, जेएनएन। Kuldeep Singh Sengar माखी दुष्कर्म कांड और दुष्कर्म पीडि़ता के पिता की हत्या के मामले में सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने अपने करीब 17-18 वर्ष के राजनीतिक इतिहास में ऐसा अभेद्य किला तैयार किया कि समर्थक अजेय कहने लगे थे। राजनीति के माहिर खिलाड़ी ने सत्ता दल के खिलाफ वर्ष 2015 में पत्नी संगीता को जिला पंचायत का अध्यक्ष बनाकर जिले की प्रथम नागरिक का ओहदा दिलाया था। इसके बाद सत्ता दल सपा ने गले भी लगा लिया था। 

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ये है कुलदीप सेंगर का राजनीतिक प्रोफाइल: सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के लिए कहा जाता है कि एक बार जिस सीट से विधायक बने, फिर उसपर चुनाव न लड़ते हुए नई रणनीति के तहत क्षेत्र बदल दिया। वह सबसे पहले 2002 में सदर विधानसभा से बसपा के टिकट विधायक बने। इसके बाद 2007 में बांगरमऊ विधानसभा क्षेत्र से सपा के टिकट पर निर्वाचित हुए। 2012 में बांगरमऊ छोड़ भगवंत नगर पहुंचे और फिर सपा से चुनाव जीते। 2017 में सपा छोड़ी और फिर बांगरमऊ विधानसभा से मैदान मार दिया। इससे पहले 2015 के पंचायत चुनाव में पत्नी संगीता सेंगर को मियागंज से सदस्य बनाया और सपा से अध्यक्ष का टिकट मांगा। पार्टी ने हरदोई की सांसद ज्योति रावत को अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया। बस यहीं पर उन्होंने बगावती तेवर दिखाते हुए पार्टी के घोषित प्रत्याशी के सामने पत्नी को अध्यक्ष के लिए मैदान में उतार दिया। उनकी दबंग छवि काम आई और मुकाबला बराबरी पर छूटा। आखिर में लाटरी से फैसला हुआ तो पत्नी अध्यक्ष बन गईं। अब वर्ष 2018 से कुलदीप जेल में हैं। यह पहला चुनाव है, जब संगीता उनकी अनुपस्थिति में चुनाव लडऩे जा रही हैं। ऐसे में कुलदीप का साम्राज्य बचाए रखना बड़ी चुनौती है। वही, यहीं से संगीता का राजनीतिक भविष्य भी तय होगा।   

अटकलों पर विराम, चुनौतियां बरकरार: माखी कांड में सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप की पत्नी संगीता सेंगर के जिला पंचायत चुनाव लडऩे को लेकर लग रही अटकलों पर भाजपा के प्रत्याशियों की घोषणा के साथ विराम लग गया है। उन्हें महिला के लिए आरक्षित फतेहपुर चौरासी तृतीय वार्ड से पार्टी समर्थित प्रत्याशी बनाया गया है। मूलरूप से मियागंज ब्लाक के गांव माखी निवासी संगीता सेंगर ने वर्ष 2015 में मियागंज तृतीय सीट से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता था। इसके बाद वह अध्यक्ष बनीं थीं। इस बार वह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई है। हालांकि, पड़ोस की दो सीटों में से एक महिला के लिए व दूसरी अनारक्षित है। इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें फतेहपुर चौरासी ब्लाक की तृतीय सीट से उतारा है। इससे चुनाव लडऩे को लेकर चल रहीं अटकलों का दौर खत्म हो गया है, लेकिन चुनौतियां बरकरार हैं।


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