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पयर्टन स्थल की तर्ज पर विकसित होगा कानपुर का बारादेवी मंदिर, जानिए- यहां की महिमा और कुछ खास बातें

Navratri 2021 मंदिर की सबसे खास बात यह है कि भक्त अपनी मनोकामना मानकर चुनरी बांधते हैं। जिसकी मन्नत पूरी होती है वह उस चुनरी की गांठ खोल देता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस कारण मां की महिमा के प्रति भक्तों का अटूट विश्वास है

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Sun, 21 Mar 2021 03:55 PM (IST)Updated: Sun, 21 Mar 2021 03:55 PM (IST)
पयर्टन स्थल की तर्ज पर विकसित होगा कानपुर का बारादेवी मंदिर, जानिए- यहां की महिमा और कुछ खास बातें
कानपुर दक्षिण के बारादेवी मंदिर का दरबार।

कानपुर, जेएनएन। Navratri 2021 शहर के दक्षिण क्षेत्र के सबसे पुराने मंदिरों में शुमार बारादेवी मंदिर की महिमा अपने आप में एक रहस्य है। 13 अप्रैल से नवरात्र शुरू होते ही मां के मंदिर श्रद्धालुओं का उमड़ना भी प्रारंभ हाे जाएगा। पर्यटन विभाग ने बारादेवी मंदिर को लेकर एक नई योजना बनाई है। खबरों की इस कड़ी में हम आपको पर्यटन विभाग की नई योजना के बारे में तो बताएंगे ही साथ ही मां बारादेवी के मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें भी बताएंगे।

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मां बारादेवी के मंदिर से दक्षिण क्षेत्र अस्तित्व: कानपुर का बारादेवी मंदिर पौराणिक और प्राचीनतम मंदिरों में शुमार है। 1700 साल पुराने इस मंदिर की देवी के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। यह कहने में भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि कानपुर दक्षिण क्षेत्र का अस्तित्व ही मां बारादेवी के मंदिर से है। ऐसा हम इसलिए कह रहे क्योंकि -

  • कानपुर दक्षिण स्थित बारादेवी मंदिर का क्षेत्र, वास्तव में बारादेवी के नाम से ही जाना जाता है।
  • कानपुर दक्षिण के ज्यादातर इलाकों के नाम मां बारादेवी मंदिर पर ही रखे गए हैं।
  • जिनमें बर्रा एक से बर्रा नाै तक, बिनगवां और बारासिरोही शामिल हैं।
  • इसके अलावा बर्रा विश्व बैंक का नाम भी मां के नाम पर ही रखा गया है।

ये है खास: मंदिर की सबसे खास बात यह है कि भक्त अपनी मनोकामना मानकर चुनरी बांधते हैं। जिसकी मन्नत पूरी होती है, वह उस चुनरी की गांठ खोल देता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस कारण मां की महिमा के प्रति भक्तों का अटूट विश्वास है।

मंदिर को लेकर ये है किंवदंती: वैसे ताे मंदिर के रहस्य को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। मंदिर के लोगों की मानें, तो एएसआइ की टीम ने जब यहां का सर्वेक्षण किया था तब यह पाया था कि मंदिर की मूर्ति लगभग 15 से 17 सौ वर्ष पुरानी है। मंदिर की स्थापना के विषय में पुजारी कहते हैं कि एक बार पिता से हुई अनबन पर उनके कोप से बचने के लिए घर से एक साथ 12 बहनें भाग गईं थीं। सारी बहनें किदवई नगर में मूर्ति बनकर स्थापित हो गईं और पत्थर बनीं यही 12 बहनें कई सालों बाद बारा देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुई। कहा जाता है कि बहनों के श्राप से उनके पिता भी पत्थर के बन गए थे।

पर्यटन विभाग ने मंदिर के जारी किया बजट: मां बारादेवी के मंदिर को पर्यटन स्थल की तर्ज पर विकसित कराये जाने की योजना है। इसके लिए पर्यटन विभाग से बजट भी जारी हो चुका है। अब टेंडर होने के बाद काम शुरू होगा। सैकड़ों वर्ष पुराने बारादेवी मंदिर में जाने के लिए चार प्रवेश द्वार बने हुए हैं। मंदिर को पर्यटन स्थल की तर्ज पर विकसित करने के लिए विभाग यहां पर सड़क, हरियाली, मेज, बेंच, प्रवेश द्वारा का सुंदरीकरण सहित अन्य कार्य कराए जाएंगे। मंदिर के रखरखाव की जिम्मेदारी मंदिर प्रबंधन व नगर निगम की है। मंदिर सुंदरीकरण के काम का किदवई नगर विधायक महेश त्रिवेदी ने शिलान्यास किया था।


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