कर्वी से भरतकूप तक दौड़ी इलेक्शन बाइक, वोटर बोले- हम तौ भइय्या वहीं का चुनवै जौन क्षेत्र में काम करिस है...
बुंदेलखंड में चित्रकूट जिले में चुनावी चर्चा का जायजा लेने संवाददाता ने बाइक से दौरा किया और वोटरों व युवाओं का मन टटोलने का प्रयास किया। सभी एक सुर से कहते नजर आए कि क्षेत्र में विकास कराने को वाले के साथ रहेंगे।
कानपुर, [चुनाव डेस्क]। बुंदेलखंड का चित्रकूट जिला भले ही भौतिक रूप से पिछड़ा हो लेकिन, आध्यात्मिक रूप से काफी समृद्धिशाली है। वर्ष 1997 में जिला बनने के बाद 23 साल बसंत देख चुकी प्रभु श्रीराम की इस तपोभूमि की देश दुनिया में अलग पहचान है। हाल के वर्षों में रमणीक चित्रकूट की सुंदरता में और चार चांद लगाने का काम शुरू हुआ है। केंद्र और प्रदेश सरकार की कई योजनाओं से यहां बदलाव दिखता है। स्थानीय लोग भी झट से काम गिनाते हैं। हालांकि, महंगाई, खाद की दिक्कत और अफसरशाही का दर्द भी फूटता है। बाइक से चित्रकूट की राजनीतिक आकांक्षाओं की थाह लेने निकले हेमराज कश्यप की रिपोर्ट....
दिन के 12 बजे बज चुके हैं लेकिन, हल्की धुंध अब भी छायी है। सूर्यदेव दिखे लेकिन, सर्द हवा चुभ रही है। चुनावी माहौल जानने के लिए कर्वी से भरतकूप को ओर निकले तो चार किलोमीटर चलने पर हाईवे किनारे बेड़ी पुलिया में कुछ लोग आग तापते दिखे। यहां रुके तो लोग चुनावी चर्चा करते मिले। अमर सिंह अपने मोबाइल फोन में इंटरनेट मीडिया की पोस्ट लोगों को दिखाते कह रहे थे, सबै नेता कै आपन परी है, कौनो इहां जा रहे है कौनों ऊंहा। हम तौ भइय्या वहीं का चुनवै जौन क्षेत्र में काम करिस है। इह सरकार में हमरे इहां चकाचक सड़क बन गई है। रसोई गैस, कालोनी मिला है मुफ्त मा अनाजौ देति है।
बीच में बात काटते हुए राममिलन बोल पड़े, ...और तो भइय्या ठीक हवै पर महंगाई मारे डारत है। बुर्जुग भोलानाथ बोले, बहुतै चुनाव देखे हैं। नेतन का मडइन (जनता) के दुख दर्द से कौनों ले ना नहीं रहत हैं। यहां से थोड़ा और आगे बढे तो धूप खिल आई थी। शिवरामपुर कस्बे में कुछ लोग कुर्सी डालकर गुनगुनी धूप का आनंद ले रहे थे। जब उनसे पूछा गया कि इस बार किसकी सरकार? पहले कोई कुछ नहीं बोला। मुद्दों पर चर्चा होने पर फौजी वंशगोपाल मिश्र बोले, हम तो राष्ट्रीय मुद्दों पर वोट करेंगे। देश और प्रदेश सुरक्षित हुआ है। थोड़ी महंगाई जरूर समस्या है लेकिन, लोगों की आय भी तो बढ़ी है। पहले दो सौ रुपये में मजदूर मिल जाते थे लेकिन, अब चार से पांच सौ रुपये मजदूरी है।
बगल में बैठे किसान बाबूलाल बोल पड़े, सरकार किसान का सम्मान निधि तो देति है पर खाद कै लनै बहुतै परेशानी भै है। रातन खडे रहेन पड़ा है। वहीं बगल में कुछ लोग चाय की दुकान पर चुस्कियों के साथ चुनाव की चर्चा कर रहे थे। युवक सत्ता दल की वाहवाही कर रहे थे तो बीच में किसान सुग्रीव नहर में पानी न मिलने, डीएपी यूरिया की किल्लत और किसानों की अन्य समस्याओं को गिनाने लगे। यहां से बढ़कर भरतकूप बाजार में पहुंचे तो धूप खिली होने के बाद भी बाजार सूनी थी।
लोग सर्द हवा में ठिठुर रहे थे लेकिन, उनके बीच चुनावी चर्चा का बाजार गर्म था। अशोक गुप्ता कहने लगे कि इस सरकार में व्यापारियों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। अफसरशाही व भ्रष्टाचार बढ़ा है। जीएसटी के नाम पर व्यापारियों को परेशान किया जाता है। इस रामजी गुप्ता बोले, गुंडन से तो छुटकारा मिला है। अब कौनो आंख नहीं दिखावत। यह चर्चा लंबी चलती रही और हमारी बाइक वापसी के लिए चल दी।