Kanpur Metro Updates: बढ़ सकता है मेट्रो में सफर का इंतजार, नगर निगम व मेडिकल कॉलेज ने फंसाया रोड़ा
Kanpur Metro Updates 15 नवंबर को प्रस्तावित मेट्रो के ट्रायल रन में देरी हो सकती है। मेट्रो प्रबंधन नगर निगम और मेडिकल कॉलेज के बीच निर्माण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। मेट्रो प्रबंधन ने मेडिकल कॉलेज व नगर निगम पर मनमानी का आरोप लगाया है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। Kanpur Metro Update: मेट्रो में सफर के लिए कानपुर के लोगों का इंतजार लंबा खिंच सकता है। कानपुर मेट्रो, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। 15 नवंबर 2021 को इसके ट्रायल रन की तिथि निर्धारित है। फिलहाल मेट्रो निर्माण पूरी तेजी पर चल रहा है, लेकिन नगर निगम और मेडिकल कॉलेज के रवैये से निर्माण की गति सुस्त पड़ सकती है। मेट्रो प्रबंधन का आरोप है कि नगर निगम और मेडिकल कॉलेज, मनमानी शर्तें थोप रहा है। अगर जल्द इसका निदान नहीं हुआ तो निर्धारित समय पर ट्रायल रन कर पाना संभव नहीं होगा।
मेडिकल कालेज ने मेट्रो प्रबंधन को पत्र लिख, मेडिकल कालेज से लाला लाजपत राय अस्पताल के बीच अंडरपास और परिसर में एक स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाने की मांग की है। इसके अलावा मेट्रो ने जलकल कालोनी में निर्माण के लिए कुछ मकान तोड़े थे, जिनका वो दोबारा निर्माण करवा रहा है। नगर निगम ने इन मकानों को अवैध बता फिर तोड़ दिया है। इन बाधाओं को देख मेट्रो अधिकारियों ने नगर नगर निगम अधिकारियों से कह दिया है कि इन परिस्थितियों में 15 नवंबर 2021 को मेट्रो का ट्रायल रन नहीं हो सकेगा। मेट्रो अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों को भी स्थितियों के बारे में बता दिया है।
वैध-अवैध का निर्धारण नहीं करता मेट्रो
मेट्रो ने निर्माण तेजी से पूरा करने के लिए गीतानगर, रावतपुर में राह में आ रहे मकान और दुकान के मालिकों से बात कर पहले उनका निर्माण तोड़ा और फिर उन्हें बनाकर दे दिया लेकिन मामला जलकल कालोनी में उलझ गया। यहां कुछ अवैध मकान मेट्रो की राह में आ रहे थे। मेट्रो ने इनसे दोबारा मकान बनाकर देने की बात की। जितने हिस्से को तोड़कर निर्माण कर सकते थे, मेट्रो ने तोड़ा और निर्माण पूरा कर उन्हें दोबारा बनाना शुरू कर दिया। नगर निगम ने इसे अवैध बता तोड़ दिया। इस पर बुधवार को मेट्रो व नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बातचीत हुई। मेट्रो अधिकारियों ने कहा कि वे किसी मकान तोड़ते और बनाते समय वैध, अवैध नहीं देखते। जलकल के आगे आंबेडकर बस्ती है, वहां भी कुछ अवैध मकान मेट्रो के रूट में आ रहे हैं। अब नगर निगम उन कब्जों को तोड़कर मेट्रो को जगह मुहैया कराए वरना काम नहीं हो पाएगा।
मेट्रो भी खुलकर सामने आया
मेट्रो के जनसंपर्क अधिकारी व उप महाप्रबंधक पंचानन मिश्रा के मुताबिक नगर निगम ने यह आरोप लगाया है कि यूपीएमआरसी ने बेनाझाबर के पास जिन मकानों को अपने निर्माण के लिए क्षतिग्रस्त किया था, वह दोबारा उनका निर्माण बिना नींव बनाए कर रहा है जबकि मेट्रो किसी मकान की नींव क्षतिग्रस्त नहीं करता। वहां जो मकान थे, उनके वैध-अवैध का निर्धारण मेट्रो के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।
अंडरपास व स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का समझौता नहीं हुआ
मेडिकल कालेज के विवाद पर जनसंपर्क अधिकारी पंचानन मिश्रा ने कहा कि कालेज परिसर में मेट्रो के निर्माण का कुछ हिस्सा आ रहा है। उसके लिए मेडिकल कालेज की दीवार को तोड़ा गया था। इसे दोबारा बनाकर दिया जा रहा है। अब मेडिकल कालेज प्राचार्य डा. संजय काला मेट्रो से अंडरपास और स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाने की अतिरिक्त मांग कर रहे हैं, जबकि मेडिकल कालेज प्रशासन के साथ मेट्रो का ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ था।
नगर निगम ने मांगे 106 करोड़ रुपये
इसके अलावा नगर निगम ने मेट्रो प्रबंधन से 106 करोड़ रुपये की मांग की है। मेट्रो प्रवक्ता के अनुसार यह वास्तविक नहीं, बल्कि बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया आंकड़ा है। नगर निगम की जिन परिसंपत्तियों को स्थाई या अस्थाई रूप से उपयोग में लाया गया या उसका अधिग्रहण किया, उसके बदले निर्धारित प्रभार इससे काफी कम हैं। नियमानुसार निर्धारित हर भुगतान के लिए मेट्रो तैयार है। तुलसी उपवन का कुछ हिस्सा मेट्रो स्टेशन के निर्माण के लिए स्थाई रूप से लिया गया है। इसके बदले जो भुगतान देय होगा, मेट्रो उसे देगा। नगर निगम की जिन परिसंपत्तियों को यूपीएमआरसी ने क्षतिग्रस्त किया, उन्हें या तो दोबारा बना दिया या भुगतान पहले ही कर दिया गया है। अभी नगर निगम के साथ यूपीएमआरसी सर्वेक्षण करा रहा है। इसके बाद देनदारी का निर्धारण सरकारी नीतियों के अनुसार होगा।