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UP Chunav 2022: सीसामऊ में कांग्रेस, भाजपा और सपा के बीच दुर्ग पाने-बचाने की जंग, 1974 में शुरू उठापटक आज भी जारी

UP Assembly Chunav 2022 सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र की राजनीति अब तक के इतिहास में तीन प्रमुख दलों के बीच लड़ाई का अखाड़ा रही है। कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा तो कभी यहां से साइकिल दौड़ी है। इस बार फिर से यह विधानसभा कानपुर का केंद्र बिंदु बनी हुई है।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 05:29 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 05:29 PM (IST)
UP Chunav 2022: सीसामऊ में कांग्रेस, भाजपा और सपा के बीच दुर्ग पाने-बचाने की जंग, 1974 में शुरू उठापटक आज भी जारी
कानपुर की सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र की राजनीति इस बार फिर चर्चा में है।

कानपुर, चुनाव डेस्क। UP Vidhan Sabha Chunav 2022 : सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र  (Sisamau assembly constituency) की राजनीति अब तक के इतिहास में तीन दलों के बीच लड़ाई का अखाड़ा रही है। कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा, फिर कांग्रेस और उसके अरमानों को रौंद आगे बढ़ी सपा की साइकिल। यहां यही चलता आ रहा है। फिलहाल, दो चुनाव से सपा का गढ़ बनी इस सीट पर फिर कब्जे की लड़ाई अब होनी है। यहां की राजनीतिक उठापटक पर दिग्विजय सिंह की रिपोर्ट....

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सीसामऊ विधानसभा सीट (Sisamau Vidhan Sabha) अब समाजवादी पार्टी का अभेद्य किला बन गई है। इस किले को ढहाने के लिए भाजपा ने एमएलसी सलिल विश्नोई जबकि बसपा ने रजनीश तिवारी को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस अभी असमंजस में है। सपा से विधायक इरफान सोलंकी फिर मैदान में हैं। सपा से पार्षद जीते हाजी सुहैल अहमद भी उनकी राह रोकने कांग्रेस में कई पार्षदों के साथ पहुंच गए हैं। सुहैल कांग्रेस से टिकट की उम्मीद लगाए हैं। 2017 के चुनाव में भाजपा के सुरेश अवस्थी इस सीट पर 5826 वोट से हार गए थे। भाजपा ने वोटों के इस अंतर पाटने के लिए ही आर्यनगर सीट से 2017 में हारे सलिल विश्नोई पर भरोसा जताया है। यहां से लड़े सुरेश को आर्यनगर भेजा है।

1974 में अस्तित्व में आई सीट, पहली जीत कांग्रेस की

सीसामऊ सीट का गठन 1974 में हुआ था तब यह सीट सुरक्षित थी। 2012 में जब परिसीमन हुआ तब यह सामान्य हुई। पहली बार यहां से कांग्रेस के शिवलाल जीते थे, लेकिन 1977 के चुनाव में जनता पार्टी यहां से जीत गई थी।

हालांकि जनता पार्टी से यह सीट 1980 के चुनाव में कांग्रेस की कमला दरियावादी ने छीन ली थी । कमला यहां से दो बार जीतीं , लेकिन 1989 के चुनाव में जनता दल की लहर में यह सीट कांग्रेस को गंवानी पड़ी थी।

राम मंदिर आंदोलन की लहर से भाजपा को मिला उभार

1991 की राम मंदिर आंदोलन की लहर में यहां भाजपा का कमल खिला। राकेश सोनकर विधायक बने और लगातार तीन बार जीते। 1993 में जब सपा और बसपा का गठबंधन हुआ तब भी भाजपा की जीत हुई। तमाम कोशिशों के बाद भी भाजपा से यह सीट विरोधी नहीं छीन सके, लेकिन 2002 में भाजपा ने राकेश सोनकर का टिकट काट दिया था। केसी सोनकर भाजपा से मैदान में उतरे मगर, हार का सामना करना पड़ा। फिर भाजपा इस सीट पर कभी नहीं जीती। कांग्रेस के खाते में 2002 में कांग्रेस के संजीव दरियावादी विधायक बने। 2007 में भी वे जीते।  

परिसीमन बदलने से कांग्रेस के लिए मुसीबत

2012 में परिसीमन बदला और यह सीट सामान्य हुई तो कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी हो गई। यहां से सपा के हाजी इरफान सोलंकी पहली बार जीते और फिर 2017 में भी उन्हें जीत मिली। यह चुनाव इरफान के लिए चुनौती भरा है। भाजपा हो या बसपा, कांग्रेस, सभी इरफान को घेरने में जुटे हुए हैं। सपा में बगावत इरफान के लिए चुनौती बन रही है। इरफान के खास रहे पार्षद हाजी सुहैल अहमद ने 2017 में ही बगावत कर दी थी, लेकिन बाद में वे मान गए थे। इस बार वह कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और टिकट के मजबूत दावेदार भी हैं।

बदले परिसीमन से बदला सपा का भाग्य

पहले सीसामऊ का ज्यादातर हिस्सा आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र में आता था। तब ज्यादातर मुस्लिम क्षेत्र आर्यनगर में थे लेकिन, 2012 में जब परिसीमन बदला तो मुस्लिम क्षेत्र सीसामऊ में आ गया। परिणामस्वरूप जो सपा कभी नहीं जीती, उसे भी 2012 में जीत का मौका मिला।

ओवैसी फिर कर सकते हैं सभा

इरफान की राह में एआइएमआइएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी कांटे बिछाने की तैयारी में हैं। दिसंबर में चुन्नीगंज के जीआइसी मैदान में आयोजित सभा में ओवैसी ने सर्वाधिक निशाने पर इरफान को ही लिया था। इसी क्षेत्र में ओवैसी की सभा फिर कराने की तैयारी उनकी पार्टी के रणनीतिकार कर रहे हैं।

कौन कब जीता

1974 : कांग्रेस के शिवलाल

1977 : जनता पार्टी के मोती राम

1980 : कांग्रेस की कमला दरियावादी

1985 : कांग्रेस की कमला दरियावादी

1989 : जनता दल के शिव कुमार बेरिया

1991 : भाजपा के राकेश सोनकर

1993 : भाजपा के राकेश सोनकर

1996 : भाजपा के राकेश सोनकर

2002 : कांग्रेस के संजीव दरियावादी

2007 : कांग्रेस के संजीव दरियावादी

2012 : सपा के इरफान सोलंकी

2017 : सपा के इरफान सोलंकी

वर्तमान में मतदाताओं की स्थिति

कुल मतदाता : 2,73,109

पुरुष मतदाता : 1,47,135

महिला मतदाता  1,25,963

अन्य : 11

2017 में उम्मीदवारों को मिले वोट

सपा के इरफान सोलंकी  को 73,030

भाजपा के सुरेश अवस्थी को   67,204

बसपा के नंदलाल कोरी को  11,949

फ्लैश बैक

मूंगफली खाकर पूरा दिन करते थे प्रचार

आज भले चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं को बड़े- बड़े होटलों से मंगाकर खाना खिलाया जाता है लेकिन, पहले के चुनावों में उम्मीदवार मूंगफली, चना, लइया , गुड़ खुद खाते और कार्यकर्ताओं को भी खिलाते थे। देव नगर निवासी विजय त्रिपाठी का कहना है कि 1974 में घर में ही भारतीय जनसंघ का कार्यालय था। पन्नालाल तांबे चुनाव लड़ रहे थे। हम युवाओं की टोली तब मूंगफली, गुड़ खाकर प्रचार करते थे। बिल्ला बांटने की होड़ लगती थी। तब नारे गढ़े जाते थे। उस समय हम भारतीय जनसंघ की ओर से नाराज गूंजता था- हर हाथ को काम, हर खेत को पानी, घर- घर में दीपक जनसंघ की निशानी। कांग्रेस की ओर कार्यकर्ता नारे लगाते थे- इस दीपक में तेल नहीं सरकार बदलना खेल नहीं। नेहरू नगर के सतीश शर्मा का कहना है कि कई बार दोनों दलों के कार्यकर्ता और प्रत्याशी आमने सामने आ जाते थे, लेकिन तब मन में किसी के प्रति कोई कटुता नहीं होती थी। तब जाति-पात पर चुनाव नहीं होता था।


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