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उन्नाव : आठ वर्षीय बालिका से अकेला पाकर किया था दुष्कर्म, कोर्ट ने युवक को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

आठ वर्षीय बालिका से दुष्कर्म करने के मामले में अपर जिला जज पाक्सो ने युवक को दोषी करार दिया। न्यायाधीश ने अभियुक्त को दुष्कर्म समेत विभिन्न धाराओं में आजीवन कारावास और 26 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Tue, 11 Jan 2022 06:01 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jan 2022 06:01 PM (IST)
उन्नाव : आठ वर्षीय बालिका से अकेला पाकर किया था दुष्कर्म, कोर्ट ने युवक को सुनाई आजीवन कारावास की सजा
आठ वर्षीय बालिका से दुष्कर्म में युवक को आजीवन कारावास।

उन्नाव, जागरण संवाददाता। आठ वर्षीय बालिका को घर पर अकेला पाकर दुष्कर्म करने के मामले में अपर जिला जज पाक्सो ने अभियुक्त को दोषी करार दिया। न्यायाधीश ने अभियुक्त को दुष्कर्म समेत विभिन्न धाराओं में आजीवन कारावास और 26 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड की वसूली गई धनराशि का 80 प्रतिशत पीड़िता को दिये जाने के आदेश दिये हैं।

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औरास थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी दंपती ने 13 जनवरी 2018 को मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें उन्होंने बताया कि घटना वाले दिन दंपती पड़ोस के गांव स्थित बाजार से सामान खरीदने गये थे। घर पर उस समय आठ वर्षीय पुत्री और 10 वर्षीय पुत्र थे। इसी बीच मौका पाकर गांव संतू पासी पुत्र भगवंती निवासी देवतारा उसके घर पहुंचा। जहां उसने पीड़ता के 10 वर्षीय भाई को कुछ पैसे देकर बिस्कुट लेने के लिए भेज दिया। इसके बाद आठ वर्षीय बालिका को अकेला पाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। जब पीड़िता के माता पिता घर पहुंचे तो पीड़िता ने उन्हें आपबीती सुनाई। इसपर पिता ने घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपित संतू को जेल भेज दिया था।आठ वर्षीय बालिका के साथ हुई दुष्कर्म की इस घटना को न्यायालय ने भी गंभीरता से लिया।

अपर जिला जज कोर्ट नंबर 13 पाक्सो की न्यायाधीश दीपाली सिंह ने मामले की सुनवाई करते हुए बचाव और अभियोजन पक्ष की दलीले सुनीं। साक्ष्यों को परखने के बाद अभियुक्त संतू पासी को दोषी करार दिया। उन्होंने मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए दुष्कर्म के मामले में संतू को आजीवन कारावास और 20 हजार रुपये अर्थदंड के अलावा अन्य धाराओं में एक वर्ष व छह माह की सजा और एक हजार और पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा है कि अर्थदंड के रूप में वसूल की जाने वाली धनराशि का 80 प्रतिशत भाग पीड़िता को क्षतिपूर्ति के लिए दिया जायेगा। इसके अलावा दोषी की अब तक जेल में बिताई गई अवधि को भी सजा में जोड़ा जायेगा।


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