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मेरी मृत्यु हो जाए तो अबतक दर्ज बयान होंगे अंतिम, उन्नाव के एडीजे ने पत्र में जाहिर की अपनी पीड़ा

उन्नाव के विशेष न्यायाधीश पॉक्सो ने जिला जज एसपी समेत अफसरों को पत्र भेजकर अपने मन की बात लिखी है। न्यायाधीश के सभी पत्र गोपनीय रखे गए हैं इसके साथ ही डीजीपी और गृह सचिव को भी प्रति भेजी गई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 29 Mar 2021 11:37 AM (IST)Updated: Mon, 29 Mar 2021 11:37 AM (IST)
मेरी मृत्यु हो जाए तो अबतक दर्ज बयान होंगे अंतिम, उन्नाव के एडीजे ने पत्र में जाहिर की अपनी पीड़ा
उन्नाव में वकीलों और एडीजे का प्रकरण।

उन्नाव, जेएनएन। 'घटना की जांच के दौरान मेरी मृत्यु हो जाए तो अब तक दर्ज कराए गए बयान ही अंतिम होंगे।' विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एडीजे प्रहलाद टंडन ने रविवार को जिला जज कार्यालय में तीन और पत्र दिए, जिनमें से एक में ये बात कही है। उन्होंने कहा है कि कोतवाली पुलिस को दी गई उनकी दो तहरीर, जिला जज व वरिष्ठ निबंधक हाईकोर्ट के सामने दिया गया बयान ही उनका अंतिम बयान होगा। ये पत्र गोपनीय रखे गए हैं।

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जाहिर हो रहा तनाव में होना

जज ने पत्रों की एक प्रति एसपी, मामले की विवेचना कर रही कोतवाली पुलिस और जांच कर रहे वरिष्ठ निबंधक हाईकोर्ट को जिला जज के माध्यम से सौंपी है। इसके साथ डीजीपी और गृह सचिव उप्र शासन को भी प्रतिलिपि भेजी है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस पत्र के आने के बाद कहीं न कहीं जज के अंदर घटना के बाद से खुद की जान को लेकर उत्पन्न भय और उनके तनाव में होने की बात जाहिर हो रही है। जिला जज कार्यालय में जहां इस पत्र के संबंध में कोई कुछ बताने के लिए नहीं तैयार है तो दूसरी तरफ न्यायाधीश प्रहलाद टंडन ने भी किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। घटना के पांचवें दिन आए इन पत्रों ने नया मोड़ ला दिया है।

सीसीटीवी फुटेज की कॉपी भी मांगी

विशेष न्यायाधीश ने वकीलों से हुए विवाद के बाद शुरू हुई जांच को ध्यान में रखते हुए जिला जज को भेजे गए एक अन्य पत्र में 23 से लेकर 26 मार्च तक हुए घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित कराने की मांग की है। इस पत्र के माध्यम से ही उन्होंने फुटेज की एक प्रति भी मांगी है। उन्होंने इसे मामले का अहम अंग होना बताया है।

23 मार्च को कोर्ट में मौजूद अधिवक्ताओं से भी कराए बयान

जांच अधिकारी वरिष्ठ निबंधक पंकज ङ्क्षसह को भी जिला जज के माध्यम से न्यायाधीश ने एक पत्र देकर मांग की है कि घटना की शुरुआत 23 मार्च बताई जा रही है। इसलिए उस दिन कोर्ट में आने वाले अधिवक्ताओं को भी जांच के दायरे में लेकर पूछताछ की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोर्ट के दस्तावेजों और सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से कोर्ट आने वाले लोगों की तस्दीक की जानी चाहिए। उसी आधार पर उनके भी बयान लिए जाने चाहिए, जिससे निष्पक्ष जांच हो सके।

जांच के दौरान वकील नहीं करेंगे कोई आंदोलन

बार एसोसिएशन की बैठक में अधिवक्ताओं के निलंबन के साथ बार अध्यक्ष रामशंकर सिंह यादव ने बताया कि बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि जब तक प्रकरण की त्रिकोणीय जांच पूरी नहीं हो जाती है, तब तक वकील कोई आंदोलन नहीं करेंगे। अधिवक्ता नियमित रूप से अपने न्यायिक कार्यों के साथ बार और बेंच के बीच सामंजस्य बनाकर आम दिनों की तरह से निस्तारित करेंगे।

यह था मामला

सफीपुर कोतवाली में दर्ज अनंतराम बनाम उप्र सरकार पॉक्सो एक्ट के मामले में आरोपितों के जमानत प्रपत्र को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो ने 23 मार्च को खारिज कर दिया था। इसको लेकर बार अध्यक्ष 24 मार्च की शाम को विशेष न्यायाधीश से बात करने पहुंचे। वहां किसी बात पर दोनों के बीच कहासुनी हो गई। इस पर न्यायाधीश ने बार अध्यक्ष, अधिवक्ता हरि सिंह व अन्य के खिलाफ तहरीर कोतवाली भेजी थी। कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। इसके बाद 25 मार्च की सुबह बार एसोसिएशन की बैठक के बाद अधिवक्ताओं ने कार्य बहिष्कार कर हंगामा किया। कोर्ट नंबर 11 भी पहुंचे।

न्यायाधीश का आरोप है कि अधिवक्ताओं ने उनके डायस पर चढ़कर हंगामा, नारेबाजी और मारपीट की व उनका मोबाइल फोन छीन लिया। कुर्सी मेज भी फेंक दिए। इस मामले की भी एक तहरीर शाम को कोतवाली भेज कर मुकदमा दर्ज करने के लिए कहा, लेकिन पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। जिला जज ने दोनों पक्षों को वार्ता के लिए बुलाया, जिसके बाद बार अध्यक्ष ने दोनों पक्षों के बीच सुलह की बात कही। शुक्रवार 26 मार्च की सुबह न्यायाधीश ने जिला जज को पारिवारिक कारणों के चलते स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दिए जाने की मांग करते हुए एक पत्र भेजा। इसी बीच पुलिस ने दोनों तहरीर पर 30 नामजद के साथ ही 200 अज्ञात वकीलों के खिलाफ अलग-अलग दो मुकदमे दर्ज कर लिए।


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