कानपुर में लगे लॉकडाउन की ये सच्चाई जानकर रह जाएंगे दंग, हैरान कर देने वाले आंकड़े आए सामने
कहने को तो लॉकडाउन में वाहनों के चलने पर प्रतिबंध था लेकिन उसके बाद भी कुछ वाहन सवार हादसों का शिकार हुए। उस स्थिति में जिन लोगों ने सड़क हादसे में अपनी जान गंवाई उनकी संख्या जानकर आप दंग रह जाएंगे।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना संकट के दौरान लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की थी। इसे लेकर रविवार को सड़क सुरक्षा माह की संगोष्ठी में चौंका देने वाला खुलासा हुआ। कहने को तो लॉकडाउन में वाहनों के चलने पर प्रतिबंध था, लेकिन उसके बाद भी कुछ वाहन सवार हादसों का शिकार हुए। उस स्थिति में जिन लोगों ने सड़क हादसे में अपनी जान गंवाई उनकी संख्या जानकर आप दंग रह जाएंगे।
सड़क नियमों के प्रति बेरुखी क्यों
लॉकडाउन के समय हुई मौतें हमें यह सोचने पर विवश कर देती हैं हम यातायात के प्रति उतने जागरूक नहीं हैं जितना होना चाहिए। क्योंकि कोरोना के शुरुआती दौर में शहर में आवाजाही व यातायात पूरी तरह बंद कर दिया गया था। उस दौरान गिने चुने वाहनों को ही विशेष स्वीकृति के साथ सड़क पर चलने की छूट थी। लॉकडाउन खत्म होने के कुछ माह तक कम ही लोग अपने वाहन लेकर सड़क पर आए थे। उसे देखते हुए सड़क हादसों की संख्या अधिक रही। उन्होंने छात्र छात्राओं को वाहन चलाते वक्त लाइसेंस, पंजीकरण, बीमा व प्रदूषण के कागजात हर वक्त अपने साथ रखने की प्रेरणा दी। इसके अलावा दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट पहनने व कार चलाते समय सीड बेल्ट बांधने की अपील की। इस दौरान छात्र छात्राओं ने बड़ा चौराहा तक यातायात जागरूकता रैली भी निकाली।
कोरोना से हुई मौतों के बराबर ही है संख्या
मौत का यह आंकड़ा कोरोना महामारी के दौरान शहर में मृत्यु दर के करीब था। कोरोना से पिछले वर्ष शहर में करीब आठ सौ लोगों की जिंदगी का सफर सड़क पर ही खत्म हो गया था। यह बातें पीपीएन डिग्री कॉलेज के एनसीसी व एनएसएस कैडेट के लिए रविवार को सड़क सुरक्षा माह के तहत हुई संगोष्ठी में उप निरीक्षक यातायात शिव सिंह छोकर ने छात्र छात्राओं को बताईं।