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84 साल के बुजुर्ग ने लिया कानपुर की यूनिवर्सिटी में दाखिला, जाेश और जज्बे को देख शिक्षकों ने किया सलाम

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में एक ऐसे शख्स की कहानी सामने आई है जिसके जोश और हौसले काे देख बड़े-बड़े अफसर भी हैरान हैं। कानपुर के सीताराम श्रीवास्तव ने 84 की आयु में एलएलबी करने की इच्छा व्यक्त की तो सीएसजेएमयू के कुलपति ने उन्हें खास तोहफा दिया।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Fri, 10 Sep 2021 09:49 PM (IST)Updated: Sat, 11 Sep 2021 09:10 AM (IST)
84 साल के बुजुर्ग ने लिया कानपुर की यूनिवर्सिटी में दाखिला, जाेश और जज्बे को देख शिक्षकों ने किया सलाम
कानपुर निवासी 84 वर्षीय सीताराम श्रीवास्तव और सीएसजेएमयू।

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। कहते हैं विद्या अर्जित करने की कोई उम्र नहीं होती। इसी कहावत को चरितार्थ करती है कानपुर शहर के 84 वर्षीय सीताराम श्रीवास्तव की कहानी। जो कि वीएसएसडी कालेज से एलएलबी करने जा रहे हैं। हालांकि जब उन्हाेंने छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के अधिकारियों के समक्ष यह इच्छा जाहिर की तो वे उन्हें आश्चर्य से देखने लगे। सीताराम का जोश और उनकी जीवटता देख सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने उन्हें ऐसा तोहफा दिया कि सीताराम श्रीवास्तव का मन भी प्रफुललित हो उठा। 

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1960 में डीएवी से किया बीए: सीताराम श्रीवास्तव ने 1960 में डीएवी से बीए किया। 1962 में एमए की परीक्षा पास की। उनके मुताबिक उन्हें शुरू से ही किताबें पढ़ने का शौक रहा। घर में कई तरह की पुस्तकें हैं। आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक से इलाज की पद्धति की किताबें जिसमें सबसे ऊपर रहती हैं। सुबह उठकर योग और थोड़ी दूर तक सैर करना आदत में शुमार है।

कौन हैं सीताराम: 84 वर्षीय सीताराम श्रीवास्तव कानपुर के नवाबगंज क्षेत्र के निवासी हैं। पीएफ कार्यालय से 1995 में इनफोर्समेंट आफिसर के पद पर रिटायर हो चुके हैं।  उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। बड़ा बेटा ललित कुमार डिफेंस में साइंटिफिक आफिसर है, जबकि छोटा बेटा अशोक कुमार एडवरटाइजिंग एजेंसी चलाता है। 

बताया, कैसे आया एलएलबी करने का विचार: सीताराम श्रीवास्तव ने स्वयं बताया कि आखिर उन्हें वीएसएसडी कालेज से एलएलबी करने का विचार कैसे आया। उन्हाेंने बताया कि उनकी पत्नी कृष्णा देवी की 1998 में एसजीपीजीआइ में इलाज में लापरवाही से मृत्यु हो गई थी। उन्होंने उपभोक्ता फोरम, स्टेट और नेशनल कमिशन में अपील की। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। आखिर में उन्हें न्याय मिला। उन्होंने कानून की सारी प्रक्रिया का अनुभव बेहतर ढंग से कर लिया तो अब वे कानून का ज्ञान और उसकी डिग्री हासिल करना चाहते हैं। बता दें कि उनकी जिजिविषा को देख वकील और बार एसोसिएशन के पदाधिकारी भी उनके कायल हो गए। 

कुलपति ने दिया तोहफा: नवाबगंज निवासी सीताराम का जोश और जज्बा देख छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने तोहफे के रूप में उन्हें एलएलबी करने की अनुमति दे दी। 

नई शिक्षा नीति में उम्र का बंधन नहीं: सीएसजेएमयू के सह मीडिया प्रभारी डा. विवेक सचान ने बताया कि नई शिक्षा नीति में उम्र का कोई बंधन नहीं है। अभी 1960 तक के जन्मे लोगों को दाखिला मिल जा रहा है। विशेष मामलों में विश्वविद्यालय प्रशासन निर्णय ले सकता है। सीताराम श्रीवास्तव को भी पढ़ाई के लिए कुलपति ने स्वीकृति दी है। उनका जन्म 1937 में हुआ है।


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