श्वांस राेगियों के लिए संजीवनी का काम करेगा कानपुर में बना 'आक्सीजन वाला गद्दा', जानिए; इसकी विशेषताएं
Polyethylene Mattress Specialties कोरोना काल में आक्सीजन का स्तर कम होने पर डाक्टर की सलाह पर दो से चार तकिए शरीर के अलग-अलग स्थानों पर लगाकर मरीजों के बेड को सेट करने का प्रयास किया गया था। इसे प्रोनिंग एक्सरसाइज कहा जाता है ।
कानपुर, [अनुराग मिश्र]। Polyethylene Mattress Specialties कोरोना संक्रमित होकर आक्सीजन की कमी से जूझने के बाद कानपुर के उद्यमी अतुल सेठ ने चिकित्सकों की सलाह से ऐसा गद्दा तैयार किया है जो शरीर में आक्सीजन स्तर बढ़ाने में मददगार है। स्ट्रेचर के आकार के 'लो डेंसिटी पाली एथलीन फोमÓ के इस गद्दे को ऐसा आकार दिया गया है, इससे पेट व सीने का हिस्सा उतना ही नीचे-ऊपर होता है जितना आक्सीजन का स्तर बढ़ाने के लिए डाक्टर जरूरी बताते हैं। यह गद्दा श्वांस रोगियों के लिए भी सहायक है।
कोरोना काल में डाक्टरों ने दी थी सलाह: कोरोना काल में आक्सीजन का स्तर कम होने पर डाक्टर की सलाह पर दो से चार तकिए शरीर के अलग-अलग स्थानों पर लगाकर मरीजों के बेड को सेट करने का प्रयास किया गया था। इसे प्रोनिंग एक्सरसाइज कहा जाता है । इसके कारण मरीजों को आक्सीजन के लिए ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ा और आराम मिलता रहा। होम आइसोलेशन में रहे मरीजों के लिए भी विशेषज्ञों ने सांस लेने में दिक्कत होने पर पेट के बल विशेष मुद्रा में लेटने की सलाह दी थी ताकि आक्सीजन का स्तर सही बना रहे।
सही पोश्चर के अनुसार निर्माण: महामारी के दौरान अतुल सेठ को भी इन स्थितियों से गुजरना पड़ा और तभी उनके दिमाग में ये गद्दा बनाने का विचार आया। वह बताते हैैं कि डाक्टरों के बताए डिजाइन के आकार का छह फीट लंबा व दो फुट चौड़ा गद्दा इस तरह डिजाइन किया है जिससे पेट की जगह खाली रहती है। जरूरत होने पर मरीज जब उल्टा इस पर लेटता है तो उसका पेट अनावश्यक दबता नहीं है और गद्दे के कारण शरीर सीने की तरफ थोड़ा उठा रहता है। आक्सीजन का स्तर शरीर में बनाए रखने में सहायक इस पोश्चर के आधार पर ही गद्दे को तैयार किया गया है। घर पर इसे जमीन, स्ट्रेचर, बेड पर कहीं भी प्रयोग किया जा सकता है। उद्यमी अतुल अग्रवाल बहुत जल्द इसे अस्पतालों को उपलब्ध कराने जा रहे हैं।
नहीं टिकता तरल पदार्थ, रीसाइकल हो सकता : अतुल सेठ ने बताया कि गद्दे की विशेषता यह है कि इसे पानी व साबुन से धोया जा सकता है। इस पर कोई तरल पदार्थ नहीं रुकता है। इसके अलावा यह रीसाइकल भी किया जा सकता है। इसे नष्ट करके प्लास्टिक दाना बनाया जा सकता है। इसकी लागत 1,500 रुपये आई है।
पूर्व में पैकिंग शीट से बनाए थे गद्दे: उद्यमी ने बताया कि कोरोना की पहली लहर में मरीजों के लिए कोविड गद्दे बनाए थे। इन गद्दों की खासियत यह थी कि इन्हें लैपटाप, एलईडी, टैबलेट व सीसीटीवी पैकिंग में काम आने वाली शीट से बनाया गया था। इस्तेमाल के बाद इससे प्लास्टिक दाने बनाकर दूसरे उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। इन गद्दों पर भी तरल पदार्थ नहीं रुकता है। इसमें ठंड व गर्मी रोकने की भी जबरदस्त क्षमता है।
इनका ये है कहना:
- उल्टा लेटने की स्थिति में फेफड़ों में आक्सीजन जल्दी पहुंचती है और शरीर को आराम मिलता है। यह गद्दा इसी सोच पर बनाया गया है। इसे फैक्ट्री की प्रयोगशाला में देखा था। यह वाकई आरामदायक है और मरीजों के लिए यह बेहतर साबित होगा। कई बार उल्टा लिटाने में मरीज आरामदायक महसूस नहीं करते हैं लेकिन अगर गद्दे से ऐसा सपोर्ट मिलता है तो उन्हें दिक्कत नहीं होती। - डा. भरत मेहरोत्रा, चेस्ट स्पेशलिस्ट
- सांस लेने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है लेटने की स्थिति। यह गद्दा उस स्थिति को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसमें लेटने से मरीज को आराम मिलता है। यह प्रोनिंग एक्सरसाइज को आसान बनाता है जिससे आक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। - डा. प्रवीण कटियार, प्रभारी, यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ साइंसेज, सीएसजेएमयू