Move to Jagran APP

'बेवफा चाय वाला' के बाद पेश है MBA फेल कचौड़ी वाला', दिलचस्प है यूपी के इस युवक की कहानी

MBA Fail Kachauri Wala बेवफा चाय वाला ठग्गू के लड्डू बाबा का ढाबा ये वो नाम हैं जिन्होंने अपने प्रतिष्ठान के अनोखे नाम से कम समय में प्रसिद्धि पाली थी। उत्तर प्रदेश में एक ऐसा ही एमबीए फेल कचौड़ी वाला कचौड़ी वाला सुर्खियां बटोर रहा है।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 11:57 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 08:00 AM (IST)
'बेवफा चाय वाला' के बाद पेश है MBA फेल कचौड़ी वाला', दिलचस्प है यूपी के इस युवक की कहानी
MBA Fail Kachauri Wala ; आवास विकास कालोनी में ठेली लगाए एमबीए फेल कचौड़ी वाला सत्यम मिश्रा।

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता। 'एमबीए फेल कचौड़ी वाला'... शहर की आवास विकास कालोनी में लोहिया प्रतिमा के पास रोज लगने वाला यह ठेला इन दिनों लोगों का ध्यान खासा आकृष्ट कर रहा है। एक युवक अपने भतीजे के साथ यहां सब्जी-कचौड़ी बेच रहा। 'एमबीए फेल कचौड़ी वाला' नाम क्यों? इसके जवाब में युवक से जुड़ी जो कहानी पता चलती है, वो न केवल दिलचस्प है बल्कि बहुतों को प्रेरणा और हौसला देने वाली है।

loksabha election banner

युवक का नाम है संजय। बीएससी उत्तीर्ण करने एमबीए की सोची और पढ़ाई शुरू भी कर दी, मगर, अपने परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के चलते पढ़ाई भी ध्यान न दे सका और फेल हो गया। चार साल गुजर गए, मगर एमबीए का सपना और हौसला दृढ़ है। पढ़ाई में आर्थिक तंगी आड़े न आए, इसलिए एक माह से कचौड़ी का ठेला लगाना शुरू कर दिया है। अच्छी कमाई की आस के साथ जीवन के अच्छे दिन लाने का प्रयास शुरू कर दिया है। संजय का साथ दे रहा है उसका भतीजा, जो हाईस्कूल फेल है। 

कंपिल क्षेत्र के गांव दीपपुर नगरिया निवासी वीरेंद्र बाबू मिश्रा के पुत्र सत्यम मिश्रा वर्ष 2018 में बरेली हाईवे स्थित संस्थान में एमबीए के छात्र थे, लेकिन परीक्षा में फेल हो गए। कुछ समय भटकने के बाद सत्यम ने शहर की आवास विकास कालोनी में कमरा किराए पर ले लिया और लोहिया प्रतिमा के पास कचौड़ी का ठेला लगाने लगे। उनका पारिवारिक भतीजा नितिन मिश्रा भी हाईस्कूल में फेल हो गया था। वह भी सत्यम का साथ दे रहा है। सत्यम बताते हैं कि पिता के नाम करीब सात बीघा जमीन है।

बड़े भाई शिवदत्त मिश्रा दिल्ली में रहते हैं। तीन बहनों की शादी हो चुकी है। वह खुद और एक बहन अविवाहित हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से अच्छी तरीके से पढ़ाई नहीं कर पाए और एमबीए में फेल हो गए। उन्होंने कासगंज के हजरत निजामुद्दीन डिग्री कालेज बकराई से बीएससी किया है। ठेले पर डिजिटल भुगतान की व्यवस्था भी कर रखी है। उन्होंने बताया कि दुकान से अच्छी कमाई हो गई तो फिर एमबीए में दाखिला लेंगे और पास होकर दिखाएंगे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.