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इटावा : समझा बाल-गोपाल का हाल, अब निजाम करेगा देखभाल

स्वाभाविक तौर पर लाभार्थियों की संख्या 33 ही नहीं हो सकती। लेकिन योजना के अंतर्गत 18 वर्ष तक के वही बच्चे पात्र माने गए हैं जिनकेे घर में कमाऊ शख्स नहीं रहा और करीबी अभिभावक या नाते-रिश्तेदार ने भी पालन-पोषण की जिम्मेदारी लेने से हाथ खड़े कर दिए हों

By Akash DwivediEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 07:15 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 07:15 AM (IST)
इटावा : समझा बाल-गोपाल का हाल, अब निजाम करेगा देखभाल
उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना मुरझाए बचपन को सींचेगी

इटावा (सोहम प्रकाश)। कोरोना की भयावह लहर आई और उजाड़ गई मासूमों के ख्वाबों के आशियां। बहा ले गई छोटे-छोटे दिल की छोटी-छोटी आशाएं। छोड़ गई यादों की लंबी होती परछाईयां। कोरोना क्री कूर लहर से बाल-गोपाल की जिंदगी में ऐसा तूफान आया कि सब-कुछ बिखर गया। हिस्से में आई माता-पिता को खोने की तन्हाई। परछाई पकडऩे की छटपटाहट और यादों के सहारे सुबकना-फफक पडऩा। मुरझाए बचपन को सहानुभूति के लेप का सहारा है। कोरोना ने उनको जो जख्म दिया है, उसको ताजिंदगी भरा तो नहीं जा सकता, मदद का मरहम लगाकर दर्द का अहसास कम जरूर किया जा सकता है। ऐसे ही अनाथ बाल-गोपाल के हाल पर संजीदा हुए निजाम ने देखभाल का बीड़ा उठाया है। उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना मुरझाए बचपन को सींचेगी, बाल-गोपाल फिर से ख्वाब बुन सकेंगे, ऐसी उम्मीद बंधी है।

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योजना के अंतर्गत 1 अप्रैल 2020 से लेकर 5 जून 2021 तक जनपद भर में 22 बच्चे चिह्नित हुए थे। इनमें 21 बच्चों के सिर से पिता का और एक बच्चे के सिर से मां का साया छिन गया है। शुरुआत में योजना की गाइड लाइन में जिक्र था कि शून्य से 18 साल के ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु कोविड काल में हो गई हो और वह परिवार का मुख्य कर्ता हो और वर्तमान में जीवित माता या पिता सहित परिवार की आय दो लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक न हो। बाद में जब इसी शर्त को परिवर्तित कर तीन लाख रुपये आय सीमा की गई तो आवेदकों की संख्या बढऩे लगी। फिलहाल यह संख्या 22 से बढ़कर 33 हो गई है। योजना की श्रेणी में आने वाले बच्चों के वैध संरक्षक के बैंक खाते में 4000 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे। अलबत्ता महामारी के प्रभाव से जनपद में सैकड़ों बच्चों ने माता-पिता में से किसी एक को खोया है। स्वाभाविक तौर पर लाभार्थियों की संख्या 33 ही नहीं हो सकती। लेकिन योजना के अंतर्गत 18 वर्ष तक के वही बच्चे पात्र माने गए हैं, जिनकेे घर में कमाऊ शख्स नहीं रहा और करीबी अभिभावक या नाते-रिश्तेदार ने भी पालन-पोषण की जिम्मेदारी लेने से हाथ खड़े कर दिए हों। दीगर तौर पर महामारी की दोनों लहर में स्वास्थ्य विभाग का 5 जुलाई 2021 तक कोविड मृतकों का आधिकारिक आंकड़ा 293 है।

आवासीय विद्यालयों में पढ़ सकेंगे बच्चे : योजना के तहत 11 से 18 साल के बच्चों की कक्षा 12 तक की मुफ्त शिक्षा के लिए अटल तथा कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में भी प्रवेश कराया जा सकेगा। ऐसे वैध संरक्षक को विद्यालयों की तीन माह की अवकाश अवधि के लिए बच्चे की देखभाल के लिए 12 हजार रुपये प्रति वर्ष खाते में भेजे जाएंगे। यह राशि कक्षा 12 तक या 18 साल की उम्र जो भी पहले पूर्ण होने तक दी जाएगी। यदि बच्चे के संरक्षक इन विद्यालयों में प्रवेश नहीं दिलाना चाहते हों तो बच्चों की देखरेख और पढ़ाई के लिए उनको 18 साल का होने तक या कक्षा 12 की शिक्षा पूरी होने तक 4000 रुपये की धनराशि दी जाएगी। बशर्ते बच्चे का किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया हो। फिलहाल 18 बच्चों में से एक भी बच्चे ने आवासीय विद्यालय में प्रवेश की इच्छा नहीं जताई है।

मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना

  • - 33 आवेदन आए 20 जुलाई तक
  • - 18 बच्चों को पहले चरण में मदद
  • - 15 आवदेनों की चल रही है जांच
  • - 18 बच्चों में 9-9 बालक-बालिका
  • - 3 माह की आर्थिक मदद से शुरुआत
  • - 4 हजार रुपये प्रतिमाह मिलेगी मदद
  • - 9वीं कक्षा से ऊपर बच्चे को लैपटाप
  • - 1,01000 रु. बालिका के विवाह हेतु

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