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गो-स्मार्ट कार्ड से यूपी में कहीं भी करें मेट्रो में सफर, जानें, कुमार केशव ने श्रीधरन के लिए क्या कहा Kanpur News

यूपी मेट्रो रेल कारपोरेशन के एमडी कुमार केशव ने कहा कानपुर में वक्त से काम पूरा करेंगे।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 11:53 AM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 11:53 AM (IST)
गो-स्मार्ट कार्ड से यूपी में कहीं भी करें मेट्रो में सफर, जानें, कुमार केशव ने श्रीधरन के लिए क्या कहा Kanpur News
गो-स्मार्ट कार्ड से यूपी में कहीं भी करें मेट्रो में सफर, जानें, कुमार केशव ने श्रीधरन के लिए क्या कहा Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। लखनऊ, कानपुर, आगरा या सूबे में कहीं भी मेट्रो रेल चलेगी, वहां एक ही गो-स्मार्ट कार्ड काम करेगा। दूसरे शहर जाने पर टिकट खरीदने या नया कार्ड बनवाने की जरूरत नहीं होगी। मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने विशेष बातचीत में लखनऊ मेट्रो से जुड़े अनुभव और कानपुर में मेट्रो को रफ्तार देने की योजना साझा की। पढि़ए, बातचीत के कुछ मुख्य अंश...

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  • लखनऊ और अब कानपुर, दोनों शहरों में क्या फर्क देखते हैैं?

    दोनों जगह समस्याएं समान हैैं। लखनऊ में चारबाग और मवैया जिस तरह भीड़ भरा है, वैसा ही कानपुर है। आसानी से काम पूरा करने का भरोसा है।

  • लखनऊ और कानपुर में मेट्रो का प्राथमिक सेक्शन नौ किलोमीटर ही है। लखनऊ में यह 1095 दिन (तीन साल) में पूरा हुआ, फिर कानपुर में 790 दिन (दो साल) में कैसे कर पाएंगे?

    देखिए...एक बड़ा फर्क है दोनों में। हमने लखनऊ में काम शुरू किया था, तब तीन लोग प्रशिक्षित थे। अब 135 लोग प्रशिक्षित हैैं। नई भर्तियां भी करेंगे। इसी टीम के बूते कानपुर में पहला चरण दो साल में पूरा कर लेंगे। आगरा भी यही टीम जाएगी।

  • लखनऊ मेट्रो में चल रहे गो-स्मार्ट कार्ड क्या कानपुर में भी काम आएंगे?

    बिलकुल। ये लखनऊ, कानपुर व आगरा ही नहीं, जहां भी हम मेट्रो चलाएंगे, वहां काम आएंगे। इससे दूसरे शहर गए लोगों को मेट्रो का अलग टिकट नहीं लेना पड़ेगा।

  • कानपुर में जाम बड़ी चुनौती है। कैसे काम करेंगे?

    देखिए, बड़ा काम है तो मैं यह नहीं कहूंगा कि कोई समस्या नहीं होगी। लेकिन, हम बैरीकेडिंग करके बीच में निर्माण करते हैं और दोनों तरफ वाहन चलते रहते हैैं। हमारे मार्शल ट्रैफिक मैनेज भी करते हैैं। बड़े काम रात में कराएंगे।

  • कानपुर में प्रदूषण बहुत है। निर्माण के दौरान इसे कैसे नियंत्रित करेंगे?

    हमारा निर्माण कवर्ड रहता है। कास्टिंग यार्ड से लेकर सभी जगह धूल दबाने के लिए पानी भी छिड़कते हैैं।

  • पहले मेट्रो की लागत 18,142 करोड़ रुपये थी। अब यह 11076 करोड़ है। 7066 करोड़ कैसे बचा लिए?

    पहले हम निजी जमीन ले रहे थे। इसे घटा दिया है। इसी से रिवाइज डीपीआर में लागत घट गई। बाकी सुविधाएं समान ही रहेंगी।

  • मेट्रो के लिए 5552 करोड़ का लोन कहां से और किस ब्याज दर पर मिल रहा है?यह काम केंद्र सरकार कर रही है। मैं इस पर कुछ न बता पाऊंगा।
  • देश के मेट्रो मैन श्रीधरन के बिना यूपी मेट्रो का पहला प्रोजेक्ट है कानपुर। क्या उनकी कमी खल रही है?

    उनके बिना कुछ नहीं हो रहा। कुछ समय पहले मार्गदर्शन लिया था। आगे फिर मिलने वाला हूं। उनकी सलाह से काम कर रहे हैैं, क्योंकि उन जैसा कोई नहीं।


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