रिटर्न फाइल करने में कारोबारियों को मुश्किलों का करना पड़ रहा सामना, टैक्स जमा करने से बेहतर मान रहे ब्याज देना
वे व्यापारी इस समय बुरी तरह परेशान हैं जिन्हें माल बेचने वालों ने अपने रिटर्न 11 दिसंबर तक दाखिल नहीं किए। अब 2बी रिटर्न लागू होने के बाद अब भारी पड़ रही पिछले वर्ष लागू धारा 36(4)। जीएसटीआर 1 रिटर्न में दाखिल इनवाइस ही 2बी में दिख रहे।
कानपुर, जेएनएन। जीएसटी में पिछले वर्ष अक्टूबर में लागू हुई धारा 36(4) अब कारोबारियों पर भारी पड़ती दिख रही है। इस वर्ष जीएसटीआर 2बी रिटर्न शुरू होने के बाद दाखिल किए जा रहे 3बी रिटर्न में कारोबारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसे फाइल करने की अंतिम तिथि 24 दिसंबर है। जिन विक्रेताओं ने 11 दिसंबर तक अपनी बिक्री जीएसटीआर वन में नहीं दिखाई है। उनसे माल खरीदने वालों को ऑटो जेनरेट होने वाले जीएसटीआर 2बी रिटर्न में अपनी खरीदारी नहीं दिख रही है। इसकी वजह से वे माल खरीद के साथ जो टैक्स देकर आए हैं, उनकी आइटीसी भी नहीं मिल पा रही है। नकद टैक्स जमा करने से कारोबारी को उस धन की वापसी नहीं होगी और उनकी पूंजी फंस जाएगी, इसलिए वे नकद टैक्स देने की जगह अगले माह ब्याज भरने को तैयार हैं। वे व्यापारी इस समय बुरी तरह परेशान हैं जिन्हें माल बेचने वालों ने अपने रिटर्न 11 दिसंबर तक दाखिल नहीं किए। अब 3बी रिटर्न में टैक्स भरने का समय आया तो उनके (इनपुट टैक्स क्रेडिट) आइटीसी लेजर में वह धन नजर नहीं आ रहा जिसका वे माल खरीदते समय भुगतान कर चुके हैं।
इनका ये है कहना
एक्सप्रेस रोड व्यापार मंडल अध्यक्ष रोशन गुप्ता के मुताबिक कारोबारी अगर नकद टैक्स जमा करें तो उनका धन फंस रहा है। इसलिए ज्यादातर कारोबारी टैक्स जमा करने की जगह अगले माह उसका ब्याज देना उचित समझ रहे हैं। कारोबारी मान रहे हैं कि अगले माह इनवाइस समय से दाखिल होने पर उनकी आइटीसी दिखने लगेगी तब टैक्स को समायोजित कर लिया जाएगा।