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Chitrakoot Tourism: संवरने की आस में टिकी उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी चित्रकूट की निगाहें

Chitrakoot Tourism चित्रकूट को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है लेकिन यह लंबे समय तक उपेक्षित ही रहा। अब इसे धार्मिक पर्यटन की सर्किट में शामिल कर विकास किया जा रहा है। हालांकि इसकी गति धीमी है। विकास कार्यों की समीक्षा करती एक रिपोर्ट।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 10:25 AM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 10:25 AM (IST)
Chitrakoot Tourism: संवरने की आस में टिकी उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी चित्रकूट की निगाहें
भगवान राम ने अपने वनवास काल के 11 साल छह माह 18 दिन गुजारे थे।

हेमराज कश्यप, चित्रकूट। Chitrakoot Tourism भले, प्रयागराज को तीर्थों का राजा कहते हैं, लेकिन चित्रकूट सभी तीर्थों का तीर्थ है। किवदंती है कि एक बार प्रयागराज को जब चित्रकूट की पदवी पता चली तो वह प्रतिवर्ष मंदाकिनी में स्नान करने आने लगे। यहीं भगवान राम ने अपने वनवास काल के 11 साल छह माह 18 दिन गुजारे थे। उप्र के बुंदेलखंड में स्थित ऐसा चित्रकूट, हमेशा देश के अति पिछड़े जिलों में शुमार रहा। लंबे समय तक उपेक्षित रहा चित्रकूट अयोध्या के विकास के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके भी विकास पर ध्यान दिया। पर्यटन विकास को पंख लगे। मथुरा, वृंदावन और अयोध्या की तर्ज पर उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के 84 कोस क्षेत्र में स्थित पौराणिक और धार्मिक स्थलों का कायाकल्प तो हो रहा है, लेकिन प्रगति धीमी है।

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नौ साल से हवाई कनेक्टिविटी का इंतजार: नौ साल से चित्रकूट को हवाई कनेक्टिविटी का इंतजार है। सरकार की ओर से दावे पर दावे हो रहे हैं, लेकिन अभी तक नई हवाई पट्टी का निर्माण व टर्मिनल बनकर तैयार नहीं हुए हैं।

सड़कों का जाल है, बसें नहीं: यही हाल चित्रकूट के रोडवेज डिपो का है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से लेकर फोरलेन सड़कों का जाल तो साकार रूप ले रहा है पर बस डिपो अब तक शुरू नहीं हो सका है। ऐसी ही कई बाधाओं को जल्द दूर करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद अब तक कामदगिरि के आसपास अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका है। वहीं, अमावस्या मेला को लेकर पार्किंग के बेहतर इंतजाम करने की जरूरत है।

लेजर शो बनकर तैयार। उद्घाटन का है इंतजार।

ये हुए काम, उद्घाटन व लोकार्पण का इंतजार: यात्री सुविधा केंद्र और डिजिटल रामायण गैलरी कामदगिरि परिक्रमा मार्ग पर डिजिटल गैलरी और यात्री सुविधा केंद्र का निर्माण हुआ है। रामायण गैलरी 9.04 करोड़ रुपये से बनी है। इसमें पर्यटन विभाग ने एनिमेशन फिल्म दिखाने के लिए विशेष थियेटर तैयार किया है। देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालु चित्रकूट का प्राकृतिक सौंदर्य 270 डिग्री स्क्रीन पर थ्री- डी एनिमेशन फिल्म में देख सकेंगे। थियेटर में वन्य जीवों के साथ डिजिटल जंगल तैयार किया गया है। वहीं, यात्री सुविधा केंद्र का निर्माण 6.35 करोड़ रुपये से हुआ है। इसमें भी खाने-पीने के साथ रुकने की भी व्यवस्था होगी। यह पूरी तरह से बन चुका है ट्रायल भी दिसंबर में सफल रहा, लेकिन उद्घाटन न होने के कारण जनता के लिए नहीं खुल सका है।

लेजर शो का आकर्षण: रामघाट में योगी सरकार 35 मिनट के एक लेजर शो की शुरुआत करने जा रही है। 5.15 करोड़ रुपये की लागत से काम हो चुका है। पर्यटन विभाग ने एनीमेशन फिल्में तैयार की हैं, जो यहां शो में दिखाई जाएंगी। प्रभु राम के वनवास काल से लेकर बाकी तथ्य आकर्षण का केंद्र होंगे। मंदाकिनी नदी में पानी के पर्दे पर विशेष आकर्षक शो होगा। तुलसीदास खुद चित्रकूट के र्धािमक स्थलों का महत्व बताते दिखेंगे। ट्रायल भी कई बार हुआ है। अब सिर्फ उद्घाटन होना है।

काशी की तर्ज पर मंदाकिनी आरती: मंदाकिनी तट स्थित रामघाट पर प्रतिदिन काशी की तर्ज पर आरती का भव्य आयोजन होता है। घाट पर करीब 14 लाख रुपये से आरती स्थल का निर्माण कराया गया है। इसमें 11 पुरोहित भव्य आरती करते हैं।

चत्रकूट का प्रवेश द्वार और डिवाइडर युक्त फोरलेन सड़क।

परिक्रमा पथ पर कवर्ड शेड: श्रद्धालु सर्दी, गर्मी और बरसात में नंगे पांव कामदगिरि की परिक्रमा में दिक्कत महसूस करते थे इसलिए केंद्र सरकार ने स्वदेश दर्शन योजना से 14.41 करोड़ रुपये की लागत से परिक्रमा मार्ग पर कवर्ड शेड बनाया है।

फूड प्लाजा: रामघाट में खाने-पीने का भी इंतजाम पर्यटन विभाग कर रहा है। 5.59 करोड़ की लागत से फूड प्लाजा के दो मंजिला भवन का निर्माण हो चुका है। अभी तक ओपनिंग नहीं हुई है।

आधुनिक शौचालय: पर्यटन विभाग ने तीर्थ यात्रियों के लिए दो मॉडर्न शौचालय निर्मित कराए हैं। 98 लाख रुपये से सुलभ शौचालय भी परिक्रमा मार्ग पर बनाए गए हैं।

अत्याधुनिक अंतरराज्यीय बस अड्डा: अंतरराज्यीय अत्याधुनिक बस अड्डा 9.47 करोड़ रुपये से बना है। अभी रोडवेज डिपो का काम अधूरा है। डिपो बनने से पूरे देश में कनेक्टिविटी हो जाएगी। इसका निर्माण वर्ष 2017 से चल रहा है। इससे श्रद्धालुओं को सहूलियत मिलेगी।

चित्रकूट का इतिहास: मर्हिष वाल्मीकि आश्रम के महंत भरतदास ने बताया कि चित्रकूट का एक विशिष्ट पहचान है। वाल्मीकि रामायण में इसका उल्लेख है। महर्षि वाल्मीकि ने प्रभु श्रीराम को चित्रकूट में अपना वनवास काल काटने का उपयुक्त स्थान बताया था। महर्षि वाल्मीकि चित्रकूट को पवित्र स्थान के रूप में चित्रित किया है। महान ऋषियों की तपोस्थली है। यह स्थान सभी इच्छाओं पूर्ण करने और उसे मानसिक शांति देने वाला है। रामोपाख्यान और महाभारत में भी चित्रकूट को स्थान मिला है। अध्यात्म रामायण और बृहद रामायण भी चित्रकूट को आध्यात्मिक और प्राकृतिक सुंदरता को प्रमाणित करते हैं। फादर कामिल बुलके ने भी चित्रकूट-महात्म्य में उल्लेख किया है।

भरतकूप का निर्माण हो चुका है। कुछ निर्माण कार्य शेष।

गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस, कवितावली, दोहावली और विनय पत्रिका में इस स्थान का अत्यंत आदरपूर्वक उल्लेख किया है। चित्रकूट में ही तुलसीदास को भगवान राम के दर्शन रामघाट पर हुए थे। हनुमानधारा में हनुमान जी को लंका दहन में मिली तपिश से शीतलता मिली थी। यहां पर भगवान श्रीराम के वनवास से जुड़े तमाम साक्ष्य मौजूद हैं। जो भरत मिलाप, रामसैय्या, स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, जानकीकुंड आदि तमाम स्थलों पर देखे जा सकते हैं।

अधूरे ख्वाब: चित्रकूटधाम तीर्थ विकास परिषद जमीन पर नहीं उतरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बुंदेलखंड को पर्यटन हब बनाने की घोषणा के साथ चित्रकूटधाम तीर्थ विकास परिषद के गठन की बात दो साल पहले कही थी। जिससे चित्रकूटधाम मंडल के चित्रकूट समेत बांदा, महोबा, हमीरपुर के आसपास के जिलों के पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को जोड़कर पर्यटन विकास की नई इबारत लिखी जानी है । प्रस्ताव तैयार है, कैबिनेट से हरी झंडी नहीं मिली।

भरतकूप मंदिर होगा खास: प्रभु श्रीराम की यादों से जुड़ा अहम स्थल है भरतकूप मंदिर। सरकार उसका कायाकल्प करा रही है। यहां 93 लाख रुपये से व्यवस्थाएं

की जा रहीं हैं।

पावन चित्रकूट-मनभावन चित्रकूट’ की थीम पर सरकार तपोभूमि में तमाम विकास कार्य करा रही है। 31 मार्च के पहले सभी अधूरे कार्यों को पूरा कराने का लक्ष्य है। कामदगिरि परिक्रमा पथ पर चिन्हित अस्थायी अतिक्रमण को हटाया जा रहा है। पुस्तैनी निवासियों के मुआवजा के लिए आकलन कराया जा रहा है।

- शेषमणि पांडेय, जिलाधिकारी

प्रदेश सरकार बुंदेलखंड को पर्यटन हब बनाना चाहती है। उसके केंद्र में चित्रकूट है। हवाई अड्डा शुरू होने के बाद तपोभूमि में विदेशी सैलानी भी आएंगे।

- शक्ति सिंह, पर्यटन अधिकारी।

जल्द देवांगना स्थित टेबल टॉप एयरपोर्ट पर उतरेंगे विमान: देश व विदेश से हवाई कनेक्टिविटी को लेकर विंध्य पर्वतमाला पर स्थित देवांगना घाटी में अत्याधुनिक टेबल टॉप एयरपोर्ट बन रहा है। करीब 98 करोड़ रुपये की लागत से राइट कंपनी ढाई किलोमीटर लंबी नई हवाई पट्टी बना रही है। उड्डयन विभाग एयरपोर्ट टर्मिनल के निर्माण में जुटा है। प्रदेश सरकार ने 31 मार्च से छोटी हवाई पट्टी में प्लेन उतारने की योजना तैयार की है। हालांकि, बड़ी पट्टी 30 जून तक बनकर तैयार होगी। वैसे दोनों निर्माणदायी संस्था काफी मंदगति के काम कर रही है।

चौपड़ा तालाब का सुंदरीकरण: कामदगिरि परिक्रमा पथ पर प्राचीन चौपड़ा तालाब का 40 लाख रुपये से सुंदरीकरण कराया गया है। फव्वारा लगाने की तैयारी है। श्रद्धालुओं के बैठने के लिए बेंच भी लगी हैं।

महर्षि वाल्मीकि आश्रम बन रहा आकर्षण का केंद्र: मर्हिष वाल्मीकि आश्रम में 1.87 करोड़ रुपये से पर्यटन विकास को लेकर काम हो रहे हैं। सीढ़ियों के सौंदर्यीकरण, श्रद्धालुओं के लिए टीन शेड, आश्रम और असावर माता मंदिर में बैठने के लिए बेंच-कुर्सी, पेयजल व्यवस्था, हाईवे किनारे र्पांिकग के लिए इंटरलाकिंग और सामुदायिक शौचालय बन रहा है। 50 फीसद काम हो चुका है। नहीं बना नगर निगम, सिर्फ पालिका का हुआ विस्तार योगी सरकार अयोध्या की तरह चित्रकूट को नगर निगम बनाना चाहती है। घोषणा भी की थी, लेकिन सिर्फ नगर पालिका का विस्तार कर दिया गया।

फुट ओवर ब्रिज से जुड़े यूपी-एमपी रामघाट में मध्यप्रदेश के घाटों को जोड़ने के लिए 5.71 करोड़ रुपये से फुटओवर ब्रिज का निर्माण हुआ है। इससे अमावस्या मेला में रामघाट में होने वाली भीड़ के दबाव को कम करने में मदद मिलेगी।

इतिहासकार संग्राम सिंह ने बताया कि बांदा जनपद से काट कर छह मई 1997 को छत्रपति शाहू जी महाराज नगर के नाम से नए जिले का सृजन हुआ था। कर्वी तथा मऊ तहसीलें शामिल है। चार सितंबर 1998 को नाम बदल कर चित्रकूट कर दिया गया। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फैली उत्तरी विंध्य श्रृंखला में स्थित है। प्रयुक्त चित्रकूट शब्द, इस क्षेत्र के विभिन्न स्थानों और स्थलों की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक और पुरातावकि विरासत का प्रतीक है। प्रत्येक माह अमावस्या में लाखों श्रृद्धालु आते हैं। सोमवती अमावस्या, दीपावली, शरद-पूर्णिमा, मकर-संक्रांति और राम नवमी विशेष पर्व हैं।

जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ला ने बताया कि पावन चित्रकूट- मनभावन चित्रकूट’ की थीम पर सरकार तपोभूमि में तमाम विकास कार्य करा रही है। 31 मार्च के पहले सभी अधूरे कार्यों को पूरा कराने का लक्ष्य है। कामदगिरि परिक्रमा पथ पर चिह्नति अस्थायी अतिक्रमण को हटाया जा रहा है। पुस्तैनी निवासियों के मुआवजा के लिए आकलन कराया जा रहा है।


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