आज नहाय खाय के साथ शुरू होगा छठ पर्व
चार दिन चलने वाले छठ पर्व का प्रथम दिन गुरुवार को नहाय खाय से शुरू होगा। सबसे पहले पूरे घर की साफ-सफाई होगी। इसके बाद व्रत रखने वाली महिलाएं गंगा या किसी सरोवर में स्नान करेंगी। वापसी में गंगाजल लेकर आएंगी।
जागरण संवाददाता, कानपुर : चार दिन चलने वाले छठ पर्व का प्रथम दिन गुरुवार को नहाय खाय से शुरू होगा। सबसे पहले पूरे घर की साफ-सफाई होगी। इसके बाद व्रत रखने वाली महिलाएं गंगा या किसी सरोवर में स्नान करेंगी। वापसी में गंगाजल लेकर आएंगी। गंगाजल का प्रयोग खाना बनाने में किया जाता है। व्रत करने वाली महिलाएं दिन में एक बार ही भोजन करती हैं। भोजन में लौकी की सब्जी, दाल, चावल आदि का प्रयोग किया जाता है। प्याज, लहसुन और तला खाद्य पदार्थ वर्जित है। मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी का प्रयोग कर खाना कांसा अथवा मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है।
छठ पर्व के दूसरे दिन संझवत यानी पंचमी तिथि (एक नवंबर) में दिन भर उपवास कर शाम को गुड़ व अरवा चावल से बनी बखीर या लौकी की खिचड़ी खाई जाती है। इसे खरना कहते हैं।
तीसरे दिन व्रत का मुख्य दिन डाला छठ (दो नवंबर) पर निराहार रह कर बास की सूप-डालियों में पूजन सामग्री रख कर किसी नदी-तालाब, पोखरा-बावली या जल स्थान के किनारे दूध-जल से अस्ताचल सूर्य (सूर्यास्त 5.32 बजे) को अर्घ्य दिया जाएगा। तिथि विशेष पर रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। इस दौरान दीप जलाकर गीत व कथा से भगवान सूर्य की महिमा का बखान किया जाता है।
चौथे दिन सुबह अरुणोदय बेला में उदीयमान सूर्य (सूर्योदय 6.29 बजे) को अर्घ्य दिया जाएगा। प्रसाद वितरण कर इससे ही पारन भी किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार सूर्य षष्ठी तिथि एक नवंबर को भोर में 4.07 बजे लग रही है जो दो नवंबर को भोर में 4.21 बजे तक रहेगी। पूजन सामग्री : व्रत की पूजन सामग्री में विभिन्न प्रकार के फल-मिष्ठान, नारियल, ऋतु फल, ईख, कनेर का लाल फूल, ईख, लाल वस्त्र, गुलाल, धूप-दीप आदि का विशेष महत्व है। ---------
रोशनी में नहाया अर्मापुर घाट
छठ पर्व को देखते हुए घाटों को खूब सजाया जाता है। इसी क्रम में अर्मापुर घाट भी रोशनी से जगमगा उठा। समिति के उपाध्यक्ष उमेश श्रीवास्तव बताते हैं कि पुल के पास एक गड्ढा है। वहीं नहर के किनारे कुछ पेड़ गिरे हुए हैं। गड्ढे में मिट्टी डालने और पेड़ों को हटाने के लिए नगर निगम को पत्र लिखा गया है। अधिकारियों ने गुरुवार तक सफाई का का आश्वासन दिया है।
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यहां लगती है श्रद्धालुओं की भारी भीड़
-अर्मापुर नहर
-आवास विकास नहर
-सीटीआइ नगर
-नमक फैक्ट्री चौराहा
-सेंट्रल पार्क शास्त्री नगर
- गंगा बैराज
- गोला घाट
- मैस्कर घाट
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तपस्या परक व्रत
सूर्य षष्ठी व्रत वस्तुत: अत्यंत ही कठिन व तपस्यापरक माना गया है। शास्त्रीय मान्यता अनुसार इस व्रत को करने से स्त्रिया पति-पुत्र व धन ऐश्वर्य से संपन्न होती है। इस दिन गंगा स्नान, जप आदि का विशेष महत्व है। सूर्य पूजन व गंगा स्नान ही इस व्रत का मुख्य है। संतान की प्राप्ति, दीर्घायु व आरोग्य प्राप्ति के लिए यह व्रत युगों से चला आ रहा है। हमारे यहा सनातन धर्म में सूर्य षष्ठी पर्व मूलत: सूर्य आराधना का महापर्व है। इसमें अस्ताचल व उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा के पीछे सबसे बड़ा कारण भगवान भास्कर की शक्तियों का मुख्य स्रोत उनकी पत्नियां ऊषा व प्रत्युषा हैं। छठ पर्व में सूर्य के साथ-साथ दोनों शक्तियों की आराधना होती है। वर्ष भर सूर्य आराधना के कई पर्व होते हैं लेकिन डाला छठ ही ऐसा पर्व होता है जिसमें सूर्य की शक्तियों संग उनकी आराधना होती है।