कानपुर के बहुचर्चित संजीत प्रकरण से मिलता जुलता है बर्रा का यह केस, जानें क्या है पूरा मामला
14 अक्टूबर की शाम निकला था घर से 23 अक्टूबर को स्वजन ने दर्ज कराई गुमशुदगी। पिता अरुण कुमार के मुताबिक वह कैंसर से पीडि़त हैं। इकलौता बेटा किदवई नगर के कॉल सेंटर में जॉब करता था। रिश्तेदारों के यहां तलाश की लेकिन उसका कुछ सुराग हाथ नहीं लगा।
कानपुर, जेएनएन। बर्रा में संजीत अपहरण कांड के बाद अब जेड वन बर्रा निवासी ट्रांसपोर्टर अरुण कुमार द्विवेदी का 27 वर्षीय इकलौता बेटा भूपेंद्र 14 अक्टूबर की शाम से लापता हो गया। स्वजन ने काफी तलाशने के बाद 23 अक्टूबर को गुमशुदगी दर्ज कराई है। हालांकि अब तक भूपेंद्र का कोई सुराग नहीं लगा है।
पिता अरुण कुमार के मुताबिक वह कैंसर से पीडि़त हैं। इकलौता बेटा किदवई नगर के कॉल सेंटर में जॉब करता था। इधर एक सप्ताह पहले उसने वहां जाना बंद कर दिया था। 14 अक्टूबर की शाम 4 से 5 बजे के बीच वह काली शर्ट और नीली जीन्स पहनकर घर से निकला था। कुछ देर बाद उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ हो गया। औरैया गांव और नाते रिश्तेदारों के यहां तलाश की, लेकिन उसका कुछ सुराग हाथ नहीं लगा। काफी तलाशने के बाद 23 अक्टूबर को उन्होंने बर्रा थाने गुमशुदगी दर्ज कराई थी। गुमशुदगी दर्ज कराने के छह दिन बाद भी उसका पता नहीं चला है।
नितिन से लिये थे पांच सौ रुपये
बर्रा थाना प्रभारी हरमीत सिंह ने बताया कि भूपेंद्र की तलाश के लिए उसका मोबाइल सॢवलांस पर लगाया गया है। 14 अक्टूबर को मोबाइल की आखिरी लोकेशन गंगा बैराज मिली है। दोस्तों और करीबियों से पूछताछ में सामने आया कि बर्रा में रहने वाले दोस्त नितिन शुक्ल से उसने पांच सौ रुपये नकद लिए थे और पेटीएम करने को कहा था।
अक्सर बिना बताए जाता था घर से
भूपेंद्र की बहन पारुल ने बताया कि भाई जब भी नौकरी करने जाता था तो बिना कुछ सामान और कपड़े लिए ही जाता था। इससे ओहले मुंबई, देहरादून के काल सेंटर में ज्वाइन करने के चार पांच दिन बाद ही घरवालों को सूचना देता था।
कमरे से मिला लेटर
भूपेंद्र के कमरे में फोटो के पीछे एक लेटर मिला है। जिसे बहन ने गुरुवार को पुलिस को सौंपा है।
जिसमे उसने लिखा है कि मेरे घरवालो ने मुझे बहुत कुछ दिया। जिसमें विशेष कर मेरे पिता ने, जितना भी घरवालों ने किया उसे मैं उन्हेंं लौटा नहीं सकता।