UPPSC Result : शहर के इन मेधावियों ने छुआ कामयाबी का आसमान, जानिए किसने किन परिस्थितियों में की तैयारी Kanpur News
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में कामयाब हुए शहर के कई होनहार कुछ ने नौकरी करके तो कुछ ने छोड़कर की तैयारी।
कानपुर, जेएनएन। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपी पीसीएस) में शहर के दर्जन भर से अधिक मेधावियों ने कामयाबी पाई है। इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वालों में आइआइटी से इंजीनियङ्क्षरग की पढ़ाई करने वाले, मल्टीनेशनल कंपनियों में एनालिस्ट के पद पर काम करने वाले टेक्नोक्रेट व राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) में झंडे गाडऩे वाले युवा हैं। सफलता की कहानी रचने वाले इन मेधावियों ने त्याग और तपस्या के साथ संघर्षों की सीढ़ी चढ़ कामयाबी का आसमां छुआ।
मोबाइल-सोशल मीडिया से दूरी, बस पीसीएस बनने का जुनून
नवाबगंज में रहने वाले हर्षित श्रीवास्तव ने इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए तीन साल से मोबाइल को हाथ नहीं लगाया। फेसबुक अकाउंट भी बंद कर दिया। उनका चयन कॉमर्शियल टैक्स ऑफीसर के पद पर हुआ है। कंप्यूटर साइंस से एमटेक करने के बाद मुंबई में असिस्टेंट एनालिस्ट के पद पर काम किया। लेकिन, प्रशासनिक अधिकारी बनने के जुनून के चलते उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और तैयारी में जुट गए। फील्ड गन फैक्ट्री से सेवानिवृत्त पिता विनोद श्रीवास्तव ने उनका मार्गदर्शन किया जबकि मां अल्पना श्रीवास्तव का भी कदम कदम पर साथ मिला। उन्होंने पहले ही प्रयास में इस परीक्षा में सफलता प्राप्त की। उनके बड़े भाई अश्विनी श्रीवास्तव एसआर पॉवर्स में महाप्रबंधक हैं। हर्षित ने बताया कि वह हरिद्वार के डीएम दीपक रावत से प्रेरित हैं। उनका लक्ष्य आइएएस अधिकारी बनने का है।
पिता को खेत में जीतोड़ मेहनत करते देख मिली प्रेरणा
महिला महाविद्यालय से स्नातक व डीबीएस कॉलेज से स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने वाली नेहा राजवंशी के पिता जगदंबा प्रसाद किसान थे। मूल रूप से सीतापुर के मिश्रिख के बरेथी गांव की रहने वाली नेहा ने उन्हें बचपन से खेत में जीतोड़ मेहनत करके देखकर सफलता का लक्ष्य तय किया। पिता की मृत्यु के बाद पढ़ाई जारी रखी। इतिहास से नेट में सफलता प्राप्त की। मां प्रभा देवी ने उनका साथ दिया। परिवार में चार बहनें व एक भाई हैं। घर को मजबूती प्रदान करने के लिए आइएएस को लक्ष्य बनाया और उसकी तैयारी में जुट गईं। पीसीएस की परीक्षा पास करके नायब तहसीलदार के पद पर चयनित होकर परिवार को गौरवान्वित किया है।
तीसरी बार पीसीएस में पाई सफलता
कानपुर के मंगला विहार निवासी अंबुजा त्रिवेदी ने तीसरी बार पीसीएस की परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। 2016 यूपीपीसीएस में उनका चयन जिला प्रशासनिक अधिकारी और 2017 में उत्तराखंड पीसीएस में जिला अल्पसंख्यक अधिकारी के पद पर चयनित किया गया। अब वह 18 अक्टूबर को पीसीएस 2018 मेंस की परीक्षा देंगी। वायु सेना से सेवानिवृत्त पिता सोम प्रकाश त्रिवेदी से उन्हें सिविल सर्विस में जाने की प्रेरणा मिली। उनकी मां रीता त्रिवेदी गृहणी हैं जबकि छोटी बहन शैली त्रिवेदी सिंडीकेट बैंक में प्रबंधक हैं। छोटी बहन रिजुल त्रिवेदी बीटेक की पढ़ाई कर रही हैं।
सफलता के पीछे माता-पिता का संघर्ष
सहायक कुलसचिव (पीसीएस परीक्षा के अंतिम परिणाम) के पद पर चयनित इंदू सिंह ने कहा कि मेरी सफलता का श्रेय माता-पिता को दूंगी। मेरे पिता रणधीर सिंह किसान हैं और माता रामा सिंह गृहणी हैं। उन्होंने जितना संघर्ष मेरे लिए किया, शायद ही कोई कर पाए। मुझे पढ़ाना आसान नहीं था, पर न वे खुद हिम्मत हारे, न मुझे हारने दी। सरसौल स्थित मवैया गांव निवासी इंदू ने कहा कि उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान ट्यूशन पढ़ाई। वर्ष 2014 से तैयारी के दौरान हमेशा बड़ी बहन संजू सिंह (मौजूदा समय में कॉमर्स टैक्स ऑफिसर, नोएडा) ने हौसला बढ़ाया। सीमित संसाधनों में ही तैयारी की। इसके बाद सफलता मिल गई।
परिस्थितियां विपरीत जरूर थीं, पत्नी ने दिया साथ
जिला दिव्यांग कल्याण अधिकारी के पद पर चयनित अवधेश कुमार कौशल ने कहा कि मैं दृष्टिबाधित हूं। मेरा पांच फीसद विजन ही बचा है। परिस्थितियां बेहद विपरीत रहीं, पर मेरी पत्नी नीरजा गुप्ता ने मेरा पूरा साथ दिया। बर्रा-आठ निवासी अवधेश कहते हैं कि उन्होंने वर्ष 2017 से तैयारी शुरू की। जब-जब मन में निराशा हुई तब-तब पत्नी ने साथ दिया। अवधेश मौजूदा समय में केंद्रीय विद्यालय अर्मापुर-2 में जीव विज्ञान के शिक्षक हैं। उनकी तीन बेटियां हैं। पिता सत्यदेव गुप्ता भूतपूर्व रक्षाकर्मी और माता माया देवी गुप्ता हैं। अवधेश को वर्ष 2016 में नेशनल टीचर अवार्ड भी मिल चुका है।
नौकरी के साथ तैयारी करना आसान नहीं था
नायाब तहसीलदार के पद पर चयनित किदवईनगर निवासी बलवंत उपाध्याय बताते हैं कि जैसे ही मैंने वर्ष 2015 में पीसीएस परीक्षा के लिए तैयारी शुरू की, उसी समय मेरा डाकघर में डाक सहायक के पद पर चयन हो गया। नौकरी के साथ तैयारी करना, पाठ्यक्रम का चयन बिल्कुल आसान नहीं था। हालांकि खुद को समझाया और जब-जब समय मिला, तब तैयारी करके सफलता हासिल की। मूलरूप से आजमगढ़ के ऊसुरकुढ़वा गांव निवासी बलवंत के पिता श्रीकृष्ण शरण उपाध्याय किसान हैं जबकि माता राधिका उपाध्याय गृहणी हैं। बलवंत कहते हैं कि अब वह आइएएस की तैयारी करेंगे।
पिता ने दिखाई सफलता की राह
ब्लॉक डेवलपमेंट अफसर के पद पर चयनित बिल्हौर निवासी अपर्णा सैनी को उनके पिता शिव गोपाल सैनी ने पीसीएस की राह दिखाई। एसडीएम कोर्ट में कार्यरत पिता को देखकर बचपन से उनके अंदर प्रशासनिक अधिकारी बनने की ख्वाहिश थी। एमए इतिहास से करने के बाद नेट की परीक्षा पास की। इसके साथ ही पीसीएस की तैयारी की। माता जानकी सैनी ने कदम-कदम पर उनका साथ दिया। अपर्णा की चाहत आइएएस बनने की है। 18 अक्टूबर को होने वाली पीसीएस-2018 मेंस की परीक्षा में भी वह शामिल होने जा रही हैं।
सहकर्मी बने प्रेरणास्रोत, मिली सफलता
डीएसपी के पद पर चयनित अरुण दीक्षित ने कंप्यूटर साइंस से एमटेक करके डॉ. आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड में बतौर अतिथि व्याख्याता पढ़ाया। यहां पर सहकर्मियों से उन्हें पीसीएस की तैयारी करने की प्रेरणा मिली। उन्होंने नेट की परीक्षा भी पास की, जबकि अब उनकी ख्वाहिश आइएएस की परीक्षा में सफलता पाने की है। पिता नरेंद्र कुमार दीक्षित बिजनेस मैन थे, जबकि मां सुनीता दीक्षित गृहणी हैं। उनके भाई विमल दीक्षित शहर के एक निजी इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज में कंप्यूटर साइंस ब्रांच में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
शिक्षकों की दिखाई स्वाध्याय से तय की मंजिल
उन्नाव के सिविल लाइंस में रहने वाली अपूर्वा पांडेय का चयन अपर नगर आयुक्त के पद पर हुआ है। पीपीएन डिग्री कॉलेज से रसायन विज्ञान में एमएससी करने के दौरान गुरुओं ने पीसीएस की राह दिखाई। उनकी दिखाई राह पर चलने के लिए समय प्रबंधन के अनुसार स्वाध्याय किया। प्रत्येक विषय को पढऩे के लिए समय निर्धारित किया। इसके लिए बैंक ऑफ बड़ौदा से प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त उनके पिता ज्ञानेंद्र नाथ पांडेय ने मार्गदर्शन किया। 12वीं में केंद्रीय विद्यालय की छात्रा रहकर टॉप किया जबकि स्नातकोत्तर की भी वह टॉपर रही हैं। उनका भाई परिजात पांडेय स्थानीय निकाय में प्रोजेक्ट एसोसिएट के पद पर कार्यरत हैं। उनकी मां कृष्णा पांडेय गृहणी हैं।