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Amitabh Bacchan की फिल्म गुलाबो सिताबो के गीत का कानपुर से नाता, यहां बीता गायक का बचपन

Gulabo Sitabo Full Movie कानपुर के हूलागंज की गलियों में उछलने कूदने वाले विनोद दुबे क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज से बीकॉम की डिग्री लेने के बाद किस्मत आजमाने मुंबई चले गए।

By Edited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 01:20 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2020 09:39 AM (IST)
Amitabh Bacchan की फिल्म गुलाबो सिताबो के गीत का कानपुर से नाता, यहां बीता गायक का बचपन
Amitabh Bacchan की फिल्म गुलाबो सिताबो के गीत का कानपुर से नाता, यहां बीता गायक का बचपन

कानपुर, जेएनएन। महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्म गुलाबो सिताबो खासा सुर्खियां बटोर रही है, यू-ट्यूब से लेकर सोशल साइट्स पर उसका ट्रेलर काफी देखा जा रहा है। वहीं युवाओं में इस फिल्म काे देखने का बेसब्री से इंतजार था। लेकिन, शायद आप नहीं जानते हैं कि इस फिल्म में गीत क्या लेके आयो जग में... का कानपुर से नाता है।

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गुलाबो सिताबो फिल्म में गीत को आवाज देने वाले विनोद दुबे का शहर से नाता है। उनका बचपन हूलागंज की गलियों में बीता। जब वो छोटे थे तब पिता शिव प्रकाश दुबे ने फिल्मी दुनिया से अपना नाता जोड़ लिया था। उत्सव व राग दरबारी समेत कई फिल्मों के अलावा तमस जैसे सीरियल में निर्देशन की टीम का हिस्सा रहे पिता को देखकर उनके अंदर भी बॉलीवुड का आकर्षण बढ़ने लगा। क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज से बीकॉम की डिग्री लेने के लिए वह भी अपनी किस्मत आजमाने मुंबई चले गए।

गायक व गीतकार विनोद दुबे ने बताया कि उन्हें याद है जब उनके पिता फिल्म उत्सव में चीफ असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे थे तब उन्होंने उनसे कहा था कि मैं भी मुंबई आना चाहता हूं। पिता ने कहा कि पहले पढ़ाई पूरी कर लो फिर इस क्षेत्र में आना। उन्होंने जैसा कहा मैंने वैसा ही किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद मुंबई चला गया। वहां पर ऑल इंडिया रेडियो के कई कार्यक्रम किए। कई गीत व भजनों की रिकॉर्डिंग करने के बाद संगीतकार शांतनु मोइत्रा ने अपने संगीत निर्देशन में गाने का अवसर दिया।

गुलाबो सिताबो फिल्म में उन्होंने अपना लिखा गीत गाया है। उन्हें एक और फिल्म से गीत गाने का ऑफर मिला है। वह स्टूडियो पॉट्री की कला भी सिखाते हैं। मिट्टी की इस शिल्पकला को सीखने वाले बढ़ते जा रहे हैं। पिता 40 साल तक बॉलीवुड में काम करने के बाद लखनऊ में रहने लगे हैं जबकि वह मुंबई में रहकर गीत लेखन, गायन व शिल्पकला के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।


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