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सामने आया ट्रेन में मिले रुपयों का दावेदार, गाजियाबाद की कंपनी ने जीआरपी को भेजा पत्र

स्वंतत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस की पेंट्री कार में मिले 1.4 करोड़ रुपये का दावेदार अब सामने आया है। टेलीकॉम सेक्टर में सर्विस देने वाली गाजियाबाद की एक कंपनी ने जीआरपी अधिकारियों को पत्र भेजकर इन रुपयों को अपना होने का दावा किया है।

By Sarash BajpaiEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 06:56 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 06:56 PM (IST)
सामने आया ट्रेन में मिले रुपयों का दावेदार, गाजियाबाद की कंपनी ने जीआरपी को भेजा पत्र
ट्रेन में मिले रुपयों का दावेदार सामने आया, जीआरपी ने दी आयकर विभाग को सूचना।

कानपुर, जेएनएन। स्वंतत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस में 16 फरवरी को पेंट्री कार में रखे सूटकेस में मिली 1.4 करोड़ रुपये की नकदी के मामले में आखिर उसका दावेदार सामने आ गया है। टेलीकॉम सेक्टर में सर्विस देने वाली गाजियाबाद की एक कंपनी ने जीआरपी अधिकारियों को पत्र भेजकर यह राशि अपनी होने का दावा किया है। जीआरपी ने आयकर विभाग को इसकी जानकारी दे दी है। अब आयकर विभाग भी इसको लेकर अपनी तैयारी कर रहा है।

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ट्रेन में दिल्ली से आए सूटकेस के संबंध में दस दिन से ज्यादा समय तक यही विवाद होता रहा कि आखिर ये रुपया किसका है और कौन इसे रखेगा। इस बीच गाजियाबाद की कंपनी ने जीआरपी कंपनियों को पत्र भेजा कि यह धन उसका है और उसने इसे लखनऊ में अपने आफिस के कर्मचारियों का वेतन बांटने के लिए भेजा था। जीआरपी ने इस पत्र की जानकारी आयकर विभाग को भी दी। आयकर विभाग ने अभी तक इस कंपनी के बारे में जानकारी हासिल की है। टेलीकॉम सेक्टर में सर्विस देने वाली कंपनी का लखनऊ में तो आफिस है ही, इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई ब्रांच आफिस हैं।

अधिकारियों के मुताबिक जीआरपी के पास कंपनी का यह पत्र 28 फरवरी को आ गया था। इसके बाद एक मार्च को आयकर विभाग ने यह रकम अपने कब्जे में कर ली थी। अब आयकर विभाग अपनी तैयारी कर रहा है कि कंपनी के अधिकारी जब सामने आएंगे तो उनसे क्या-क्या पूछा जाए। फिलहाल यह राशि इतनी आसानी से कंपनी के हाथ में नहीं आएगी। कंपनी को इसके लिए तमाम साक्ष्य भी पेश करने होंगे। साथ ही यह भी बताना होगा, इस तरह से वह इतनी बड़ी रकम क्यों भेज रही थी। इसके अलावा इससे पहले भी क्या उसने इस तरह से रकम भेजी थी। इसके साथ ही कंपनी के सामने सबसे बड़े सवाल रेलवे के इंटरनल सिस्टम पर अलग-अलग नाम से आने वाले फोन होंगे। इस तरह के फोन उसने क्यों कराए और जब स्टेशन पर सूटकेस आ ही गया था तो फोन करने वाले व्यक्ति ने सूटकेस लेने वाले का नाम और पहचान क्यों नहीं बताई। इस संबंध में जीआरपी इंस्पेक्टर राम मोहन राय ने बताया कि कंपनी का पत्र मिला है। इसकी जानकारी आयकर विभाग को दे दी गई है। आगे की कार्रवाई आयकर विभाग ही करेगा।  


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