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प्रयोगशाला में मच्छरों का किया जाएगा परीक्षण, जैसा संक्रमण वैसा होगा इलाज

कानपुर समेत चार मंडलों में स्थापित होगी जोनल एंटोमोलॉजिकल यूनिट कीट विज्ञानियों की रिपोर्ट के आधार पर किए जाएंगे रोकथाम के उपाय।

By AbhishekEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 03:20 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 03:20 PM (IST)
प्रयोगशाला में मच्छरों का किया जाएगा परीक्षण, जैसा संक्रमण वैसा होगा इलाज
प्रयोगशाला में मच्छरों का किया जाएगा परीक्षण, जैसा संक्रमण वैसा होगा इलाज

कानपुर [ऋषि दीक्षित]। प्रदेश के सर्वाधिक डेंगू प्रभावित जिलों की निगरानी अब सीधे स्वास्थ्य निदेशालय करेगा। इन जिलों के मंडलों में विशेष यूनिट स्थापित होगी। इसके लिए कानपुर समेत चार मंडलों में जोनल एंटोमोलॉजिकल यूनिट की स्थापना का निर्णय लिया गया है, जहां मच्छरों की प्रजाति का पता लगाया जाएगा, साथ ही उनके घनत्व का आकलन होगा। प्रयोगशाला में यह भी परीक्षण होगा कि मच्छर संक्रमण फैला रहे हैं या नहीं। जहां जैसा संक्रमण होगा, उसी के अनुरूप मच्छरों की रोकथाम और मरीजों के इलाज की गाइडलाइन जारी की जाएगी।

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वर्ष 2017-2018 में डेंगू के सर्वाधिक केस कानपुर, देवीपाटन, मुरादाबाद और मेरठ मंडल से रिपोर्ट हुए थे। वेक्टर बॉर्न डिजीज की समीक्षा में शासन स्तर पर इसे गंभीरता से लिया गया। स्वास्थ्य निदेशालय को इन जिलों की निगरानी का जिम्मा दिया गया। इसके लिए केंद्र सरकार की मदद से चारों मंडलों में जोनल एंटोमोलोजिकल यूनिट स्थापित की जा रही है। इसके लिए बजट भी आवंटित कर दिया गया है। इसमें मच्छरों की प्रजाति की टेस्टिंग से लेकर घनत्व का पता लगाया जाएगा।

यूनिट के कीट विज्ञानी मच्छरों का विच्छेदन कर संक्रमण की स्थिति का अध्ययन करेंगे। इसके लिए माइक्रोस्कोप तथा मच्छरों के ब्लड से जांच की जाएगी। अध्ययन में जिस जिले में जैसा इंफेक्शन मिलेगा। उसी हिसाब से उनकी रोकथाम तथा लोगों के इलाज की गाइडलाइन तैयार की जाएगी। इसके अध्ययन तथा शोध मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों के रोकथाम में सहायक होंगे।

अपर निदेशक के कंट्रोल में होगी यूनिट

यूनिट अपर निदेशक चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कानपुर मंडल के नियंत्रण में होगी। यहां से मिलने वाले आंकड़ों की सीधी रिपोर्टिंग अपर निदेशक मलेरिया और निदेशक संचारी एवं वेक्टर जनित रोग, स्वास्थ्य महानिदेशालय को होगी।

इनकी होगी तैनाती

कीट वैज्ञानिक, लैब टेक्नीशियन, लैब असिस्टेंट, कार्यालय सहायक, वार्ड ब्वॉय एवं सफाई कर्मचारी।

4.64 लाख रुपये मिले

लैब के लिए जगह राज्य सरकार मुहैया करा रही है। अपर निदेशक, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के कार्यालय में लैब के लिए जगह देखी गई है। यूनिट सिविल कार्य के लिए पहले चरण में 4 लाख 64 हजार रुपये मिले हैं। उपकरण केंद्र सरकार देगी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बजट से कर्मियों को वेतन दिया जाएगा।

इनका ये है कहना

पिछले कई वर्षों से डेंगू के केस तेजी से बढ़े हैं इसलिए अध्ययन की जरूरत है। लैब की स्थापना के लिए बजट भी मिल चुका है। संयुक्त निदेशक मलेरिया लखनऊ से आकर यूनिट के लिए जगह देख गए हैं।

- डॉ. देव सिंह, जिला महामारी वैज्ञानिक 


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