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सिख विरोधी दंगे की जांच कर रही एसआइटी का कार्यकाल छह माह बढ़ा

कानपुर में हुए सिख विरोधी दंगे की जांच शासन के निर्देश पर विशेष अनुसंधान दल कर रहा है। जांच के क्रम में कई लोगों के नाम मुकदमें में बढ़ाए थे। लगातार लोगों के नाम प्रकाश में आने के बाद एसआइटी उनसे पूछताछ कर रही है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 16 Nov 2021 07:53 AM (IST)Updated: Tue, 16 Nov 2021 07:53 AM (IST)
सिख विरोधी दंगे की जांच कर रही एसआइटी का कार्यकाल छह माह बढ़ा
एसआइटी कर रही कानपुर के सिख विरोधी दंगे की जांच।

कानपुर, जागरण संवाददाता। शहर में सिख विरोधी दंगों की जांच गठित हुई विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) कर रही है। जांच में कई नाम और प्रकाश में आने के बाद एसआइटी इनकी कडिय़ां खंगाल रही है। इससे जांच में अभी वक्त लग रहा है। एसआइटी सिख विरोधी दंगे के अध्यक्ष सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक अतुल कुमार ने जांच की समय अवधि बढ़ाने की मांग की थी। इस संबंध में शासन के विशेष सचिव वीके ङ्क्षसह ने एसआइटी जांच के लिए छह माह का और समय बढ़ाया है।

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पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए गठित एसआइटी वर्ष 2019 से शहर में जांच कर रही है। जांच के क्रम में एसआइटी ने बड़ी संख्या में लोगों के नाम मुकदमें में बढ़ाए थे। लगातार लोगों के नाम प्रकाश में आने के बाद एसआइटी उनसे पूछताछ करने के साथ उनके बयान दर्ज करके कार्रवाई को आगे बढ़ा रही है। इससे जांच में वक्त लग रहा है। पूर्व में एसआइटी के अध्यक्ष की ओर से जांच की समय अवधि बढ़ाने की मांग की गई थी। इसके चलते 27 मई 2021 को छह माह का कार्यकाल 27 नवंबर 2021 कर दिया गया था। फिर से समय अवधि बढ़ाने की मांग की थी। इस शासन के विशेष सचिव वीके ङ्क्षसह ने जांच अवधि को छह माह और बढ़ाया है। एसआइटी 27 मई 2022 तक अपनी छानबीन करेगी।

पांचवीं बार बढ़ा है कार्यकाल

सिख विरोधी दंगे की जांच कर रही एसआइटी ने फरवरी 2019 से काम शुरू किया था। तब भी इसका कार्यकाल छह महीने के लिए नियत किया गया था। इस तरह से तब से अब तक यह पांचवीं बार कार्यकाल बढ़ा है। ढाई वर्ष में एसआइटी 11 मुकदमों की विवेचना पूरी करके दंगाइयों का पता लगा चुकी है, लेकिन अनुमति न मिलने से अब तक एक भी आरोपित गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगों के दौरान शहर में 127 सिखों की हत्या हुई थी। हत्या, लूट, डकैती जैसे गंभीर मामलों के 40 मुकदमे दर्ज हुए थे।


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