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फूड वेल्यू चेन के लिए सीएसए तैयार करेगा टेक्नीशियन

आने वाले समय में अनाज व सब्जियों को लंबे समय तक संरक्षित रखा जा सकेगा। फसल कटाई के बाद यह रखे-रखे सड़ेंगी नहीं

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Apr 2019 01:28 AM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2019 06:31 AM (IST)
फूड वेल्यू चेन के लिए सीएसए तैयार करेगा टेक्नीशियन
फूड वेल्यू चेन के लिए सीएसए तैयार करेगा टेक्नीशियन

जागरण संवाददात, कानपुर : आने वाले समय में अनाज व सब्जियों को लंबे समय तक संरक्षित रखा जा सकेगा। फसल कटाई के बाद यह रखे-रखे सड़ेंगी नहीं। इससे सब्जियों में जल्द सड़ने वाले आलू, प्याज व टमाटर का इस्तेमाल कई महीनों बाद किया जा सकेगा। फसल कटने से लेकर उसे बाजार तक संरक्षित पैकिंग में पहुंचाने की फूड वेल्यू चेन के लिए चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) टेक्नीशियन तैयार करेगा।

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विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसके लिए कैसेटसर्ट विश्वविद्यालय बैंकॉक के साथ करार किया। बैंकॉक में विश्वविद्यालय के एक्टिंग प्रेसीडेंट डॉ. चांगरक वाकीनरट व सीएसए कुलपति प्रोफेसर सुशील सोलोमन ने यह करार किया। इस करार के सीएसए के छात्रों के लिए यहां आकर शोध करने व शैक्षणिक संसाधनों के इस्तेमाल करने का रास्ता खुल गया है। इसके अलावा वे यहां की आधुनिक तकनीकी का उपयोग भी कर सकेंगे जो उन्हें फूड वेल्यू चेन के लिए तैयार करेगी। इसके अलावा सीएसए के शिक्षकों के लिए बैंकॉक में सेमिनार व उच्च प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिनसे उनकी वर्तमान शोध भी गति पकड़ेगी। करार के दौरान कैसटसर्ट विश्वविद्यालय के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. वानी के अलावा डॉ. विराट व सीएसए के संयुक्त निदेशक शोध डॉ. डीपी सिंह समेत अन्य शिक्षाविद् मौजूद रहे।

प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को मिलेगा ट्रेंड मैन पावर :

सीएसए के शोध निदेशक प्रोफेसर एचजी प्रकाश ने बताया कि बैंकॉक में कृषि प्रसंस्करण तकनीकी बहुत आगे है। इसका इस्तेमाल करके अपने देश की प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ाया जा सकता है। बैंकॉक का यह विश्वविद्यालय ट्रेंड मैन पावर तैयार करने में सीएसए की सहायता करेगा। आलू प्रोसेसिंग, टमाटर प्रोसेसिंग व मटर प्रोसेसिंग इंडस्ट्री लगाए जाने पर सरकार का जोर है। इन इंडस्ट्री के लिए ट्रेंड टेक्नीशियन मिलना जरूरी है। वहीं किसानों की फसलों को किस प्रकार पैक करके उसे उच्च गुणवत्तापूर्ण व अधिक आमदनी प्राप्त करने योग्य बनाया जाएगा, इस पर दोनों विश्वविद्यालय काम करेंगे। इसका लाभ किसानों को मिलेगा।


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