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यूपीसीडा के निलंबित प्रधान महाप्रबंधक अरुण मिश्रा को चार्जशीट, रितु महेश्वरी जांच अधिकारी नामित

पीडब्ल्यूडी की सड़क को यूपीसीडा का बताकर फर्जी ढंग से दो करोड़ रुपये का भुगतान करने के मामले में चकेरी पुलिस ने नाम सामने आने के बाद शासन से अनुमति लेकर यूपीसीडा के प्रधान महाप्रबंधक अरुण मिश्रा को गिरफ्तार किया था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 12:53 PM (IST)Updated: Fri, 13 Nov 2020 05:19 PM (IST)
यूपीसीडा के निलंबित प्रधान महाप्रबंधक अरुण मिश्रा को चार्जशीट, रितु महेश्वरी जांच अधिकारी नामित
पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद अरुण मिश्रा को लखनऊ जेल भेजा था।

कानपुर, जेएनएन। भ्रष्टाचार के मामले में उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के निलंबित प्रधान महाप्रबंधक अरुण मिश्रा को अब चार्जशीट दी गई है। साथ ही विभागीय जांच के लिए नोएडा विकास प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी को शासन ने जांच अधिकारी नामित किया है, वह तीन बिंदुओं पर जांच करेंगी।

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निलंबित प्रधान महाप्रबंधक अरुण मिश्रा पर आरोप है कि चकेरी औद्योगिक क्षेत्र से पाली गांव की ओर जाने वाली पीडब्ल्यूडी की सड़क को यूपीसीडा का बताकर ठेकेदार को भुगतान कर दिया था। जांच में पाया गया था कि पीडब्ल्यूडी ने मान्यवर कांशी राम शहरी गरीब आवास योजना के तहत इस सड़क का निर्माण किया था। उसी समय गबन की नियत से यूपीसीडा के तत्कालीन अधिशासी अभियंता अजीत सिंह, सहायक अभियंता नागेंद्र सिंह, अवर अभियंता एसके वर्मा ने गठित किया टेंडर निकाला और फिर कागज पर सड़क का निर्माण दिखाकर कार्तिक इंटरप्राइजेज को भुगतान कर दिया।

करीब दो करोड़ का भुगतान हुआ था। इस मामले में 2012 में तत्कालीन प्रबंध निदेशक मोहम्मद इफ्तिखार उद्दीन ने मामले में मुकदमा दर्ज कराया था। विवेचना के दौरान अरुण मिश्रा का नाम सामने आया था। शासन से अनुमति के बाद पुलिस ने अरुण मिश्रा को गिरफ्तार करके लखनऊ जेल भेजा था। शासन ने अरुण मिश्रा को निलंबित किया था और रितु महेश्वरी को जांच अधिकारी नामित किया है। शासन द्वारा दी गई चार्जशीट में तीन बिंदु है। पहला बिंदु है पीडब्ल्यूडी की सड़क को अपना बताकर भुगतान करना, दूसरा फर्जी तरीके से आगणन गठित करना और तीसरा दो अलग-अलग बांड को बिना पड़ताल के ही स्वीकार करके उसका भुगतान कर देना। इन तीन बिंदुओं पर नामित अधिकारी को जांच करना है।


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