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IIT Kanpur के विज्ञानियों ने बताया Pink Moon का रहस्य, क्यो चंद्रमा आया पृथ्वी के सबसे नजदीक

आइआइटी के वैज्ञानिक खगोलीय घटना पर नजर रख रहे हैं 2021 में दो सुपर मून देखने को मिल सकते हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 01:16 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 05:42 PM (IST)
IIT Kanpur के विज्ञानियों ने बताया Pink Moon का रहस्य, क्यो चंद्रमा आया पृथ्वी के सबसे नजदीक
IIT Kanpur के विज्ञानियों ने बताया Pink Moon का रहस्य, क्यो चंद्रमा आया पृथ्वी के सबसे नजदीक

कानपुर, जेएनएन। चंदा मामा दूर के, पुए पकाए चूर के... बचपन में यह कविता तो जरूर सुनी होगी। यानि अबतक चंद्रमा को दूर का ही माना जाता है लेकिन, अब चंदा मामा दो दिन आपके करीब नजर आएंगे। मंगलवार के बाद बुधवार को भी अाकाश में चंद्रमा ज्यादा बड़ा और चमकदार नजर आने वाला है। इस खगोलीय घटना पर आइआइटी के विज्ञानी नजर रख रहे हैं और अगले साल दो सुपर मून देखने को मिलेंगे।

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ज्यादा बड़ा और चमकदार नजर आया

चंद्रमा अपनी ऑर्बटि में घूमते हुए पृथ्वी के सबसे नजदीक आ गया है। मंगलवार को आकाश में 14 फीसद बड़ा और 30 फीसद ज्यादा चमकदार नजर आया, इसका असर बुधवार को भी रहेगा। खगोल वैज्ञानिकों ने इसे पिंक मून नाम दिया है, जबकि बड़े आकार की वजह से सुपर मून कहलाता है, अभी 28 दिन बाद फिर से चंद्रमा अपने इसी आकार में रहेगा।

सबसे नजदीक दूरी कहलाती है पैरिगी

पृथ्वी एलिप्टिकल पाथ में सूर्य के चक्कर लगाती है जबकि चंद्रमा एलिप्टिकल पाथ (दीर्घवृत्त कक्षा) में पृथ्वी के चक्कर काटता है। दोनों अपनी धुरी पर ही घूमते हैं। चंद्रमा निर्धारित पाथ करीब एक साल में पूरा करता है। इसकी पृथ्वी से सबसे अधिक दूरी 405 हजार किलोमीटर और सबसे कम 360 हजार किलोमीटर है। सबसे नजदीक की दूरी पैरिगी कहलाती है। पैरिगी के पास पहुंचने पर जरूरी नहीं है कि चंद्रमा अपने पूरे आकार में हो। जब वह 28 दिन का समय पूरा करता है तो फुल मून (पूरा चांद) निकलता है। इस खगोलीय घटना पर आइआइटी के वैज्ञानिक नजर रखे हैं।

2021 में दिखेंगे दो सुपर मून

आइआइटी के खगोल विज्ञानियों की मानें तो आने वाले वर्ष 2021 में दो सुपर मून दिखाई देंगे। यह 27 अप्रैल और 26 मई को नजर आएंगे। 2022 में 14 जून और 13 जुलाई को दिखने की उम्मीद है।

अगले महीने दिखेगा सुपर मून

आइआइटी के प्रो.पंकज जैन ने बताया कि चंद्रमा अपने एलिप्टिकल पाथ में जाते हुए अगले महीने भी ऐसा ही चमकदार दिखाई देगा। उस समय उसकी पैरिगी से ज्यादा दूरी नहीं होगी। यह पृथ्वी के 90 फीसद पास रहेगा।

प्रदूषण कम होने से और चमकीला

सिविल इंजीनियरिंग के प्रो.मुकेश शर्मा ने बताया कि वायुमंडल में धूल के कण और अति सूक्ष्म तत्व कम होने से चंद्रमा ज्यादा चमकीला दिखाई दे रहा है। अति सूक्ष्म कणों और गैसों के जमाव की वजह से चंद्रमा की रोशनी हवा में बिखरती है।


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