Move to Jagran APP

आइआइटी के विभ्रम का सफल परीक्षण, एनडीआरएफ व भारतीय सेना की बेड़े में शामिल करने की थी योजना

आइआइटी की इन्क्यूबेटेड कंपनी के वैज्ञानिकों ने श्रीनगर में पहाड़ों पर आटो पायलट प्रणाली से लैस यूएवी का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है। यह पहाड़ी सीमाओं पर दुश्मन की निगरानी करने के साथ प्राकृतिक आपदाओं के समय मददगार साबित होगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 09:54 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 09:54 AM (IST)
आइआइटी के विभ्रम का सफल परीक्षण, एनडीआरएफ व भारतीय सेना की बेड़े में शामिल करने की थी योजना
आटो पायलट प्रणाली से लैस यूएवी उठा सकता पांच किलो वजन।

कानपुर, [चंद्र प्रकाश गुप्ता]। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) की इन्क्यूबेटेड कंपनी की ओर से बनाया गया अत्याधुनिक यूएवी (मानव रहित हवाई यान) विभ्रम ड्रोन अब देश की सीमाओं और पहाड़ों पर प्राकृतिक आपदा के दौरान निगरानी करेगा। वैज्ञानिकों ने ड्रोन का इलेक्ट्रिक वर्जन भी तैयार किया है, जिसमें उडऩे के दौरान आवाज नहीं होती। हाल ही में वैज्ञानिकों ने श्रीनगर के पहाड़ों पर इसका सफलतापूर्वक प्रदर्शन व ट्रायल किया है। जल्द ही हिमालय के कुछ और स्थानों पर ट्रायल के बाद इसका वृहद उत्पादन शुरू किया जाएगा।

loksabha election banner

पिछले वर्ष उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर फटने के बाद धौली गंगा नदी में आई बाढ़ व आपदा के दौरान आइआइटी के विभ्रम की मदद से ही एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचक बल) ने वहां फंसे तमाम लोगों को खोजकर उन्हें सकुशल निकालने में सफलता हासिल की थी। विभ्रम की इसी उच्च स्तरीय सर्विलांस तकनीक को देखते हुए ही पिछले वर्ष एनडीआरएफ के साथ ही भारतीय सेना ने भी उसे अपने बेड़े में शामिल करने की योजना बनाई थी। सूत्रों के मुताबिक अब कंपनी को ऐसे कई ड्रोन तैयार करने को कहा गया है।

इसी कड़ी में कंपनी के अधिकारियों ने पिछले दिनों श्रीनगर में ऊंचे पहाड़ों व सीमा क्षेत्र में सर्विलांस प्रणाली का डेमोस्ट्रेशन (प्रदर्शन) किया था। यह पूरी तरह से सफल रहा। आइआइटी के वैज्ञानिक डा.अभिषेक ने बताया कि विभ्रम को पिछले वर्ष तेलंगाना में भी उड़ाया गया था। तब यूएवी ने चार किलोग्राम भार लेकर 42 किमी दूर पहुंचाने का रिकार्ड बनाया था। उन्होंने बताया कि विभ्रम पेट्रोल से चलने वाला यूएवी है, लेकिन पहाड़ों के मौसम को देखते हुए इसका इलेक्ट्रिक वर्जन तैयार किया गया है।

किसी भी मौसम में निगरानी कर सकेगा ड्रोन : विभ्रम में अत्याधुनिक कैमरे व सेंसर हैं। इससे यह किसी भी मौसम में और रात के अंधेरे में निगरानी करने में सक्षम है। तेज हवा, बारिश या बर्फबारी के दौरान भी यह उड़ान भर सकेगा और संदेश मुख्य सर्वर तक पहुंचा सकेगा। पहाड़ों पर मौसम कैसा है और किसी ग्लेशियर या कुंड में कोई बदलाव हो रहा है। इसकी मदद से पता लग सकेगा।

साउंडलेस होगा यूएवी, बार्डर पर जा सकेगा : विभ्रम के पेट्रोल वर्जन में उडऩे के दौरान तेज आवाज होती थी, लेकिन इलेक्ट्रिक वर्जन में जरा सी भी आवाज नहीं होगी। इससे यूएवी का इस्तेमाल बार्डर की निगरानी में किया जा सकेगा। इससे सेना को काफी मदद मिलेगी। यही नहीं, 14 से 15 हजार फीट की ऊंचाई पर उडऩे की क्षमता होने के कारण यह ऊंचाई से ही जमीन पर नजर रख सकेगा। इलेक्ट्रिक वर्जन यूएवी एक घंटे तक उड़ सकेगा।

ऐसे बचाई थी आपदा में लोगों की जान : उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने के बाद आई आपदा में बहुत से लोग सुरंग में फंस गए थे। सेना और एनडीआरएफ के जवानों को सुरंग के अंदर फंसे लोगों की जानकारी जुटाने में दिक्कत हो रही थी। तब इसी ड्रोन ने अपने सर्विलांस सिस्टम के जरिए एनडीआरएफ को सुरंग के अंदर फंसे लोगों की जानकारी दी। तब बचाव कार्य किया गया था। ड्रोन की मदद से ही यह पता लगा था कि लोगों को किस रास्ते से बचाया जाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.